एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर जयपुर, राजस्थान
पिंक सिटी के नाम से मशहूर राजस्थान का शहर जयपुर, वैसे तो अपने किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस शहर में कई मंदिर ऐसे भी हैं, जो इन किलों और महलों की नींव डलने से भी पुराने माने जाते हैं। जानते हैं ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में, जिसके लिए इतिहासकारों का का कहना है कि जयपुर का यह एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर जयपुर से भी पुराना है। यह मंदिर सवाई जयसिंह के समय का है। भगवान शिव के नाम पर ही इस इलाके को शंकरगढ़ के नाम से जाना जाता है।
एकलिंगेश्वर महादेव का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और आम जनता के लिए साल में केवल एक ही बार महाशिव रात्रि को खोला जाता है। एकलिंगेश्वर महादेव का मंदिर मोदी डूंगरी पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी के निचले के इलाके में खूबसूरत बिड़ला मंदिर है। जबकि, बिड़ला मंदिर के ठीक पास में ही जयपुर के प्रथम पूज्य गणेश जी का मंदिर है। एकलिंगेश्वर मंदिर सिर्फ साल में एकबार महाशिवरात्रि को ही खुलता है जिस दौरान भक्त उनके दर्शन कर पाते हैं। (उस समय राज परिवार के लोग हर साल सावन के महीने में सहस्त्रघट रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक आयोजन भी करवाते थे। इन आयोजनों पर खर्च होने वाले धन का प्रबंध भी राज परिवार की तरफ से ही किया जाता था। महाशिवरात्रि पर एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर में पूजन के लिए शहर के श्रद्धालुओं समेत आसपास के ग्रामीण इलाके के लोग भी पहुंचते हैं।)
एकलिंगेश्वर महादेव की पूजा शिवरात्रि पर सबसे पहले जयपुर के राजघराने के द्वारा की जाती है। जब तक पूर्व राजमाता गायत्री देवी जीवित थीं, वह सबसे पहले इस मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक करती थीं और फिर जयपुर शहर के साथ ही दूर-दूर से आए भक्त शिवजी की पूजा करते थे। यह मंदिर आज भी शाही परिवार के अधिकार क्षेत्र में ही माना जाता है और केवल शिवरात्री पर आम लोगों के लिए खुलता है।
एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर जयपुर की स्थापना से भी पुराना मंदिर है। जब इसका भव्य रूप से निर्माण हुआ तो इस मंदिर में शिवलिंग के साथ शिव परिवार की स्थापना भी की गई। लेकिन दंतकथाओं के अनुसार कुछ समय बाद ही शिव परिवार की मूर्तियां यहां से ओझल हो गईं। इसके बाद पुन: यहां शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित कराई गईं लेकिन दूसरी बार भी मूर्तिया अदृश्य हो गईं। इसके बाद से अनहोनी के डर से फिर कभी यहां शिव परिवार की मूर्तियों की स्थापना नहीं की गई।
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Ekalingeshwar Mahadev Temple Jaipur, Rajasthan
Jaipur, the city of Rajasthan, known as the Pink City, is famous for its forts and palaces, but there are many temples in this city, which are considered older than the foundation of these forts and palaces. Let us know about one such Shiva temple, for which historians say that this Eklingeshwar Mahadev temple of Jaipur is older than Jaipur. This temple dates back to the time of Sawai Jai Singh. This area is known as Shankargarh after the name of Lord Shiva.
The temple of Ekalingeshwar Mahadev is situated on a hill and is opened to the general public only once a year on Mahashivratri. The temple of Ekalingeshwar Mahadev is situated on the Modi Dungri hill. There is a beautiful Birla temple at the base of this hill. Whereas, right near the Birla Temple is the temple of the first revered Lord Ganesha of Jaipur. Ekalingeshwar temple opens only once a year on Mahashivaratri during which devotees can have darshan. (At that time, the people of the royal family also organized religious events like Sahastraghat Rudrabhishek every year in the month of Sawan. The money spent on these events was also managed by the royal family. On Mahashivratri, people used to organize worship in Ekalingeshwar Mahadev temple. Along with devotees from the city, people from nearby rural areas also arrive.)
Ekalingeshwar Mahadev is first worshiped on Shivratri by the royal family of Jaipur. As long as the former queen mother Gayatri Devi was alive, she first used to anoint the Shivalinga in this temple and then devotees from far and wide along with the city of Jaipur used to worship Lord Shiva. This temple is still considered under the jurisdiction of the royal family and is open to the common people only on Shivratri.
It is said about Ekalingeshwar Mahadev Temple that this temple is older than the establishment of Jaipur. When it was constructed grandly, the Shiva family was also established in this temple along with the Shivalinga. But according to legends, after some time the idols of Shiva family disappeared from here. After this, the idols of Shiva family were installed here again but for the second time also the idols became invisible. After this, due to fear of untoward incident, idols of Shiva family were never installed here again.
बेहतरीन जानकारी।
ReplyDeleteThe Pink City is a very interesting place.
ReplyDeleteVery nice information
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय 🙏🏻
ReplyDeleteशुभ प्रभात जी🙏🏻🥀
ऊं नमः शिवाय
ReplyDeleteOm Namah Shivay
ReplyDeleteVery Nice Information 👌🏻🙏🏻
jai bhole
ReplyDeleteHar har mahadev
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩
👍👍👍बहुत सुन्दर जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
Om namah Shivay
ReplyDeleteJai ho
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