मौलश्री (बकुल)
अभी तक हमने जितने भी फूलों के विषय में जाना उन सभी फूलों से सभी लोग अवगत हैं। गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, गुड़हल, केवड़ा, बोगनबेलिआ, अशोक और भी कई फूलों के पौधों के विषय में इस ब्लॉग में पोस्ट डाले जा चुके हैं। आज जिस फूल की बात करने जा रहे हैं, उसके विषय में कम लोगों को पता होगा। क्या आपने कभी मौलश्री (बकुल) (Moulsiri) पौधे और इसके फूलों के बारे में सुना है। आयुर्वेद में इसे औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। इसके फूल, फल और छाल सभी में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके फूलों में काफी अच्छी सुगंध होती है, जो तन और मन दोनों को शांति देता है। इसके फूलों के सूख जाने के बाद भी यह सुगंधित रहती है।
मौलश्री/मौलसिरी (बकुल) Moulsiri क्या है?
मौलश्री एक 12-15 मीटर तक ऊँचा, सीधा, बहुशाखित, छायादार, सदाहरित पेड़ होता है। इसके फूल छोटे,पीले सफेद रंग के, ताराकार, सुगन्धित, लगभग 2.5 सेमी व्यास के होते हैं। यह भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। इसकी पत्तियाँ छोटी चमकदार, मोटी, संकीर्ण नुकीली होती हैं। इसकी लकड़ी बहुत मूल्यवान होती है। इसका फल खाया जाता है और पारम्परिक औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है। मौलश्री दांत और पेट संबंधी समस्याओं के लिए लाभप्रद माना जाता है।
अन्य भाषाओं में मौलश्री के नाम
मौलसिरी का वानास्पतिक नाम Mimusops elengi Linn.(मिमुसोप्स एलेन्गी) है। इसका कुल Sapotaceae (सैपौटेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Bullet wood tree (बुलेट वुड ट्री) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि मौलसिरी और किन-किन नामों से जानी जाती है।
Sanskrit- बकुल, मधुगन्धि, चिरपुष्प, स्थिरपुष्प;
Hindi- बकुल, मौलसीरी, मौलसिरी, चिरपुष्प, स्थिरपुष्प;
Urdu- किराकुली (Kirakuli), मुलसारी (Mulsari);
Odia- बोकुलो (Bokulo), बौला (Baula), बोउलो (Boulo);
Konkani- वोनवोल (Vonvol);
Kannada- पगडेमारा (Pagademara), बकुला (Bakula);
Gujarati- बरसोली (Barsoli), बोलसारी (Bolsari);
Tamil- मगीलम (Magilam), इलांची (Ilanchi);
Telugu- पोगडा (Pogada), पोगड (Pogad);
Bengali- बकुल (Bakul);
Punjabi- मौलसारी (Maulsari);
Malyalam- इन्नी (Inni), एलन्नी (Elanni);
Marathi- ओवल्ली (Ovalli), बकुल (Bakul)।
English- स्पेनिश चेरी (Spanish cherry), टेनजोंग ट्री (Tanjong tree);
Persian- मौलसिरि (Moulsiry)
जानते हैं मौलश्री के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में :-
मौलसिरी प्रकृति से पित्त-कफ से आराम दिलाने वाला, स्तम्भक, कृमि को निकालने में मददगार, गर्भाशय की शिथिलता, सूजन एवं योनिस्राव को दूर करता है। इसके अलावा यह मूत्र मार्ग के स्राव और सूजन को कम करता है। मौलसिरी के फूल हृदय और मेध्य (Brain tonic) के लिए फायदेमंद होते हैं। फल तथा छाल पौष्टिक, रक्त-स्तम्भक (Blood-Styptic),बुखार, विष और, कुष्ठ के कष्ट को कम करने तथा दांतों के लिए विशेष लाभकारी होता है।
सिरदर्द से राहत दिलाने में
अगर थकान या तनाव के कारण सिर में हमेशा दर्द होने की शिकायत रहती है, तो मौलश्री (बकुल) के सूखे फल के चूर्ण का कुछ समय तक सेवन करने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
दांत संबंधी समस्याओं के इलाज में
- बकुल चूर्ण से दांतों का मर्दन करने से दंतरोग, दंतमूलक्षय, चलदंत आदि व्याधियों में लाभ होता है।
- बकुल के 1-2 फलों को नियमित रूप से चबाने से भी दांत मजबूत हो जाते हैं।
- बकुल छाल चूर्ण का मंजन करने से दांत चट्टान की तरह मजबूत हो जाते हैं।
- मौलसिरी छाल के 100 मिली काढ़े में 2 ग्राम पीपल, 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर गरारा करने से दांतों की वेदना का शमन होता है।
- मौलसिरी दातौन को ब्रश जैसा इस्तेमाल करने अथवा दांतों के नीचे रख कर चबाने से हिलते हुए दांत स्थिर व सख्त हो जाते हैं।
- इसकी शाखाओं के आगे के कोमल भाग का काढ़ा बनाकर, काढ़े में दूध या जल मिलाकर प्रतिदिन पीने से बुढ़ापे में भी दांत मजबूत रहते हैं।
- बकुल, आंवला और कत्था इन तीनों वृक्षों की छाल को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर दिन में दस-बीस बार कुल्ला करने से मुंह के छाले, मसूड़ों की सूजन और हर प्रकार के मुँह संबंधी रोगों से जल्दी लाभ मिलता है और दांत मजबूत हो जाते हैं।
खांसी-जुकाम में फायदेमंद
बकुल के फूलों का पानी और इसके चूर्ण का इस्तेमाल आयुर्वेद में खांसी को ठीक करने के लिए किया जाता है। अकसर मौसम बदलने पर छोटे बच्चों और कमजोर इम्यूनिटी वालों को खांसी की समस्या होती है। ऐसे में अगर कुछ बकुल के फूलों को रात को पानी में भिगो दिया जाए और सुबह उसे पिया जाए तो इससे खांसी में आराम मिलता है। इसे 3-5 दिन तक पीने से खांसी ठीक होती है। इसके साथ ही चाहें तो इसका सेवन अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं।
हृदय के लिए लाभकारी
हृदय संबंधी रोगों के इलाज में मौलश्री का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। इसके लिए मौलसिरी के 5-10 बूंद फूल के अर्क का सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
कब्ज के इलाज में
बकुल को पेट के रोगों को ठीक करने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसके सेवन से बच्चों या बड़ों में कब्ज (Constipation) की समस्या ठीक होती है। बकुल के बीजों को पीसकर या घी में मिलाकर खाने से कब्ज ठीक हो जाता है। पेट एकदम साफ हो जाता है। इसके साथ ही इसके सेवन से डायरिया या दस्त की समस्या भी ठीक होती है। इसके अलावा यह पेट में गैस और एसिडिटी की समस्या को भी ठीक करता है।
प्रवाहिका या पेचिश के इलाज में
पके फलों से प्राप्त फलमज्जा का सेवन करने से प्रवाहिका तथा अतिसार के कष्ट से जल्दी राहत मिलने में मदद मिलती है।
ल्यूकोरिया में फायदेमंद
5-10 ग्राम बकुल छाल चूर्ण या 10-20 मिली काढ़े में समान भाग शक्कर मिलाकर सेवन करने से प्रदर के इलाज में मदद मिलती है।
बकुल के नुकसान (Side Efects of Bakul or Moulsiri)
बकुल का सेवन गर्भवती महिलाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए। साथ ही इसका ज्यादा सेवन करने से भी बचना चाहिए।
कैसे करें बकुल का सेवन
चूर्ण : 1-2 ग्राम
काढ़ा : 20-50 मिली
वैसे तो इसका सेवन करना एकदम सुरक्षित होता है। यह शरीर के कई रोगों को दूर करने में मदद करता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।
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ReplyDeleteबहुत ही लाभप्रदाय जानकारी
ReplyDeleteVery nice information
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
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ReplyDeleteuseful post
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩
👍👍👍बहुत बढ़िया, लाभदायक व उपयोगी जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
🚩🚩जय माता दी 🚩🚩
Very Nice Information
ReplyDeleteNice
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