प्रेम क्या है..
प्रेम क्या है..
हथेली पर रखा
एक कपूर का टुकड़ा
टुकड़ा गल जाता है..
खुशबू रह जाती है
प्रेम क्या है..
बदन पर गिरा
शबनम का एक क़तरा
क़तरा बह जाता है..
एहसास रह जाता है
प्रेम क्या है..
माथे पर दिया गया
एक मीठा बोसा
बोसा छूट जाता है..
तिलस्म रह जाता है
प्रेम क्या है..
आँखों का जादू
जादू चल जाता है..
बुत थम जाता है
बस यूँ ही..
प्रेम चलता रहता है
दिल बहलता रहता है
रुत आती हैं
कभी गुदगुदा कर चली जाती हैं
तो कभी जख्म कुरेद जाती हैं..
शेष रह जाती हैं बस यादें..
एहसास है तो जीवन है सुंदर रचना
ReplyDeleteप्रेम क्या है? है तो जटिल पत्नी/ प्रेमी- प्रेमी/प्रेमिका के प्रेम को ही प्रेम समझते है.
Deleteशुभ दोपहर महोदय 🙏🙏
प्रेम एक लगाव है. माँ के गर्भ से आखिरी सांस तक पप्रेम लहता ही है.
अपने शरिर से, रूप से, खानपान से, सांसों है प्रेम.
माँ, पिता, संतान, सगे संबंधी से प्रेम.
कुछ प्रेम ज्यादातर शाश्वत होते है. ऐंसा प्रेम व्यक्ती रहे या न रहे, बस दिल में रहता ही है.
कुछ प्रेम (वयस्क) आखिरतक साथ रहते है, कुछ बिछड जाते है.
बिना प्रेम के जीवन की कल्पना व्यर्थ है
आजकल केवल पत्नी -पत्नी,,
#Prem ( *Love ) is a devine feeling, rising from *Eyes to Soul to Heart and Mind gives a Soothing Sensation and tears of affection to support the Fragrance of Life ,We live 🙏
ReplyDelete#We need to understand and learn to live up to this Sensation ..if it's true ..🙏🌹
Have a nice day .Regards .
#awasthi.ak.🤝🌹❤️...
🪷 जब कोई इंसान हमें खुश रखता है और हमारा ख्याल रखता है तो हमें उससे प्रेम हो जाता है और उसके प्रति प्रेम का एहसास होने लगता है।
ReplyDelete🪷 दरअसल, हर इंसान प्रेम का भूखा होता है और उसे जिससे भी प्रेम दिखता है, उससे प्रेम करने लगता है। जरूरी नहीं कि ये प्यार सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका के बीच ही हो.
🪷 प्रेम कई रूप ले सकता है जो व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और ऊर्जा प्रदान करता है।
🪷 कुछ लोग प्रेम को ताकत की तरह इस्तेमाल करते हैं और मुश्किलों में भी आगे बढ़ते हैं।
🔺मेरे विचार में, हम जिससे प्रेम करते हैं उससे प्रेम करना स्वाभाविक है।
💯👍 💐🙏
बहुत खूब प्रेम की परिभाषा ❤️🤗
ReplyDeleteकोई समझ नहीं सकता
ReplyDeleteप्रेमी ही समझ सकता है
🙏🙏💐💐शुभदोपहर 🕉️
ReplyDelete🙏जय श्री कृष्ण🚩🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
👍👍👍निशब्द, बहुत सुन्दर, धन्यवाद 💐💐
Very nice....
ReplyDeleteअति सुन्दर और सार्थक परिभाषा
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteEmotion
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 12 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
"पांच लिंकों के आनन्द" पर इस रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
DeleteHappy Sunday
ReplyDelete👌👌👌bahut badhiya
ReplyDeleteप्रेम परमात्मा को प्राप्त करने का मार्ग है।
ReplyDelete🌹🙏 जय श्री राम 🙏🌹
वाह
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteHappy Sunday, prem hi sab kuchh hai
ReplyDeleteअद्धभुत रचना
ReplyDeleteवाह वाह वाह.... 🙏
ReplyDeleteJo byaaa na ki ja sake...
ReplyDelete🦚प्रकृति पर छाया यौवन
ReplyDelete🌄बसंत ऋतु का आगमन
💐बसंत पंचमी तो लाये
💫मौसम में अद्भुत परिवर्तन
🦢माँ सरस्वती का अवतरण
📝महाकवि निराला जन्मदिन
🥰प्रकृति से अदभुत मिलन
👣कितना पावन है यह दिन
📝ज्ञान का भंडार बढ़ता रहे
🥰प्रेम-भाव की सरिता बहे
🌸नव-पुष्प-पल्लवित जैसे
🌺जीवन यह महकता रहे
*अपना चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने_*
ReplyDelete*_अपनी पत्नी से कहा :-: हमारे ज़माने में_*
*_मोबाइल नहीं थे..★◆★_*
_*पत्नी*_ :
_पर ठीक 5 बजकर 55 मिनट पर_
_मैं पानी का ग्लास लेकर_
_दरवाज़े पे आती और_
_आप आ पहुँचते..._
_*पति*_ :
_मैंने तीस साल नौकरी की_
_पर आज तक मैं ये नहीं समझ_
_पाया कि_
_मैं आता इसलिए तुम_
_पानी लाती थी_
_या तुम पानी लेकर आती थी_
_इसलिये मैं आता था..._
_*पत्नी*_ :
_हाँ... और याद है..._
_तुम्हारे रिटायर होने से पहले_
_जब तुम्हें डायबीटीज़ नहीं थी_
_और मैं तुम्हारी मनपसन्द खीर बनाती_
_तब तुम कहते कि_
_आज दोपहर में ही ख़्याल आया_
_कि खीर खाने को मिल जाए_
_तो मज़ा आ जाए..._
_*पति*_ :
_हाँ... सच में..._
_ऑफ़िस से निकलते वक़्त_
_जो भी सोचता,_
_घर पर आकर देखता_
_कि तुमने वही बनाया है..._
_*पत्नी*_ :
_और तुम्हें याद है_
_जब पहली डिलीवरी के वक़्त_
_मैं मैके गई थी और_
_जब दर्द शुरु हुआ_
_मुझे लगा काश..._
_तुम मेरे पास होते..._
_और घंटे भर में तो..._
_जैसे कोई ख़्वाब हो..._
_तुम मेरे पास थे..._
_*पति*_ :
_हाँ... उस दिन यूँ ही ख़्याल_
_आया_
_कि ज़रा देख लूँ तुम्हें..._
_*पत्नी*_ :
_और जब तुम_
_मेरी आँखों में आँखें डाल कर_
_कविता की दो लाइनें बोलते..._
_*पति*_ :
_हाँ और तुम_
_शरमा के पलकें झुका देती_
_और मैं उसे_
_कविता की 'लाइक' समझता..._
_*पत्नी*_ :
_और हाँ जब दोपहर को चाय_
_बनाते वक़्त_
_मैं थोड़ा जल गई थी और_
_उसी शाम तुम बर्नोल की ट्यूब_
_अपनी ज़ेब से निकाल कर बोले.._
_इसे अलमारी में रख दो..._
_*पति*_ :
_हाँ... पिछले दिन ही मैंने देखा था_
_कि ट्यूब ख़त्म हो गई है..._
_पता नहीं कब ज़रूरत पड़ जाए.._
_यही सोच कर मैं ट्यूब ले आया था..._
_*पत्नी*_ :
_तुम कहते ..._
_आज ऑफ़िस के बाद_
_तुम वहीं आ जाना_
_सिनेमा देखेंगे और_
_खाना भी बाहर खा लेंगे..._
_*पति*_ :
_और जब तुम आती तो_
_जो मैंने सोच रखा हो_
_तुम वही साड़ी पहन कर आती..._
_फिर नज़दीक जा कर_
_उसका हाथ थाम कर कहा :_
_हाँ, हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
_पर..._
_हम दोनों थे!!!_
_*पत्नी*_ :
_आज बेटा और उसकी बहू_
_साथ तो होते हैं पर..._
_बातें नहीं व्हाट्सएप होता है..._
_लगाव नहीं टैग होता है..._
_केमिस्ट्री नहीं कमेन्ट होता है..._
_लव नहीं लाइक होता है..._
_मीठी नोकझोंक नहीं_
_अनफ़्रेन्ड होता है..._
_उन्हें बच्चे नहीं कैन्डीक्रश सागा,_
_टैम्पल रन और सबवे सर्फ़र्स चाहिए..._
_*पति*_ :
_छोड़ो ये सब बातें..._
_हम अब Vibrate Mode पर हैं..._
_हमारी Battery भी 1 लाइन पे है..._
_अरे!!! कहाँ चली?_
_*पत्नी*_ :
_चाय बनाने..._
_*पति*_ :
_अरे... मैं कहने ही वाला था_
_कि चाय बना दो ना..._
_*पत्नी*_ :
_पता है..._
_मैं अभी भी कवरेज क्षेत्र में हूँ_
_और मैसेज भी आते हैं..._
_दोनों हँस पड़े..._
_*पति*_ :
_हाँ, हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे...
*वाक़ई बहुत कुछ छुट गया और बहुत कुछ छुट जायेगा,शायद हम अंतिम पीढ़ी है जिसे प्रेम, स्नेह, अपनेपन ,सदाचार और सम्मान का प्रसाद वर्तमान पीढ़ी को बाटना पड़ेगा, जरूरी भी है..!!*
प्रेम की डोर नहीं मेरे जीवन में
ReplyDeleteबिन डोर मेरी जिंदगी की पतंग
ख्वाहिशे सब दफन-सी हो गई
ना रही अब दिल में कोई उमंग
कोई नहीं है जिंदगी में मेरे संग
चाहत का नहीं है कोई भी रंग
दर्द ने दबा दिए दिल के अरमां
हसरतें तमाम हो गई है बेरंग
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
प्रेम परिभाषा अब बदल गई है
ReplyDeleteहसरत कागज-सी जल गई है
मजबूत रिश्तों की वो चट्टानें
रेत-सी हाथों से निकल गई है
रिश्ते फिसलने लगे हैं हाथों से
टूटने लगे छोटी-छोटी बातों से
किसी को कोई सरोकार नहीं
जैसे उन प्यारे रिश्ते-नातों से
रिश्तें फिर से मजबूत बनाओ
अपनों से कभी दूर ना जाओ
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
प्रेम तो बस दिलों का एहसास है
ReplyDeleteप्रेम ही धड़कन है प्रेम ही सांस है
प्रेम बिना तो रिश्तों का क्या मोल
प्रेम ही तो सबसे बड़ा विश्वास है
प्रेम से तो जगत की सत्ता कायम
प्रेम से ही हर पत्ता-पत्ता कायम
प्रेम इस संसार में सबसे खास है
प्रेम से ही सारी व्यवस्था कायम
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Very nice
ReplyDelete