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सफल और सुखद जीवन का रहस्य

सफल और सुखद जीवन का रहस्य

बड़े दिनों के पश्चात आज अवकाश दिवस में खुले हुए मौसम का लुफ्त उठाने के लिए छत पर चली आयी आसमान में अपनी अपनी मंजिल को लौटते हुए पंछियों का झुंड देखते देखते अनायास ही नज़र उड़ती हुई पतंग के अचानक कट जाने पर नीचे आती दिखी, तो मन मे एक पुरानी सुनी हुई कहानी फिर ताजा हो गयी। पढ़िये कहानी और कहानी में छुपे सकारात्मक ज्ञान रूपी संदेश को। 


सफल और सुखद जीवन का रहस्य

एक बार एक व्यक्ति मंदिर के बाहर बेचैन निसहाय हतास बैठा हुआ था। उसी समय मंदिर के महंत बाहर आये और उस व्यक्ति को देखा, जिसके मुखमंडल पर चिंता परेशानी झलक रही थी। महंत उस व्यक्ति से पूछे वत्स कुछ परेशान हो। इस परेशानी की बजह क्या है ? 

व्यक्ति महंत की बात सुन पूछा गुरुवर ये 'सफल जीवन' क्या होता है? आप इस सफल जीवन का रहस्य क्या है? बताइये मुझे ।

महंत उस व्यक्ति को आसमान में उड़ती हुई पतंग को दिखा कर बोले ध्यान से देखो इस पतंग को ओर उसको बेफिक्र आसमान की ऊँचाई में उड़ाते हुए उस बालक के मुख को। वो व्यक्ति महंत की बात सुन ध्यान से पतंग उड़ते देख रहा था। थोड़ी देर बाद व्यक्ति बोला - "गुरुदेव ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें? ये और ऊपर चली जाएगी ?"

महंत ने उसकी बात सुन बच्चे के हाथ से उड़ती पतंग का धागा तोड़ दिया, पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई। तत्पश्चात गिरती हुई पतंग को देखते हुए महंत ने उस व्यक्ति को सफल जीवन का रहस्य समझाया। महंत ने कहा देखो पुत्र जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं, हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं, वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं। 

जैसे : - घर, परिवार, अनुशासन, माता पिता, गुरु और समाज जो हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं, परन्तु वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं। इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ।  

"अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना"

धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही, "सफल" जीवन कहते हैं!! 

आज बड़े दिन के बाद इस कहानी के याद आते ही पल भर में मेरे मनमस्तिष्क पर जो कुछ देर पहले तनाव था, जिसे कम करने के उद्देश्य से मन को भटकाने छत पर चली आयी थी, पल भर में ही शांत हो गयी। ह्रदय में मानो एक नई उर्झा शक्ति का संचार हो उठा हो। 

12 comments:

  1. पवन कुमारFebruary 10, 2024 at 6:57 PM

    बहुत ही मोटिवेशनल कहानी है। यदि इंसान इस अहमियत को समझ ले तो फिर उसमे संस्कार
    और इंसानियत स्वयं पैदा हो जाएगी और सुकून की अनुभूति होगी।

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  2. पवन कुमारFebruary 10, 2024 at 6:57 PM

    बहुत ही मोटिवेशनल कहानी है। यदि इंसान इस अहमियत को समझ ले तो फिर उसमे संस्कार
    और इंसानियत स्वयं पैदा हो जाएगी और सुकून की अनुभूति होगी।

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  3. 🙏🙏💐💐शुभ दोपहर 🕉️
    🚩🚩ॐ नमः शिवाय 🚩🚩
    🙏हर हर महादेव 🚩🚩🚩
    🙏महादेव का आशीर्वाद आप और आपके परिवार पर हमेशा बना रहे 🙏
    👍👍👍✔️✔️✔️🙏
    🙏आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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