सरदार उधम सिंह
Born: 26 December 1899, Sunam Udham Singh Wala
Died: 31 July 1940, HMP Pentonville, London, United Kingdom
सरदार उधम सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था। उनके पिता सरदार तेहाल सिंह जम्मू उपल्ली गांव में रेलवे चौकीदार थे। उधम सिंह का असली नाम "शेर सिंह" था। उनके एक भाई भी थे, जिनका नाम मुख्ता सिंह था। सात साल की उम्र में उधम अनाथ हो गए थे। पहले उनकी मां चल बसीं और फिर उसके 6 साल बाद पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। मां-बाप के मरने के बाद उधम और उनके भाई को अमृतसर के सेंट्रल खालसा अनाथालय में जाना पड़ा।
अनाथालय में लोगों ने दोनों भाइयों को नया नाम दिया। शेर सिंह का नाम उधम सिंह और मुख्ता सिंह का नाम साधु सिंह पड़ गया। बाद में सरदार उधम सिंह जी ने भारतीय समाज की एकता के लिए अपना नाम बदलकर "राम मोहम्मद सिंह आजाद" रख लिया था, जो भारत के प्रमुख धर्मों का प्रतीक है। साल 1917 में उधम के भाई साधु की भी मौत हो गई। वह पूरी तरह अनाथ हो गए।
1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए। उधमसिंह अनाथ तो हो गए थे, परंतु इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए और देश की आजादी तथा जनरल डायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहे। उधम सिंह, शहीद भगत सिंह को अपना गुरु मानते थे।
1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का उधम सिंह पर गहरा असर पड़ा था। उधमसिंह 13 अप्रैल 1919 को घटित जालियाँवाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे। उन्होंने मन में ठान लिया था कि वह डायर को उसके किए अपराधों की सजा दिलाकर रहेंगे। मासूम लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए उन्हें 21 साल का समय लग गया था।
राजनीतिक कारणों से जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई। इस घटना से वीर उधमसिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियाँवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओ'डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली। अपने इस ध्येय को अंजाम देने के लिए उधम सिंह ने विभिन्न नामों से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की। सन् 1934 में उधम सिंह लंदन पहुँचे और वहां 9, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे। वहां उन्होंने यात्रा के उद्देश्य से एक कार खरीदी और साथ में अपना ध्येय को पूरा करने के लिए छह गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी खरीद ली। भारत के यह वीर क्रांतिकारी, माइकल ओ'डायर को ठिकाने लगाने के लिए उचित वक्त का इंतजार करने लगे।
उधम सिंह को अपने सैकड़ों भाई-बहनों की मौत का बदला लेने का मौका 1940 में मिला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी, जहां माइकल ओ'डायर भी वक्ताओं में से एक था। उधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुँच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली। इसके लिए उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवॉल्वर के आकार में उस तरह से काट लिया था, जिससे डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके।
बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ'डायर पर गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकल ओ'डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।
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Sardar Udham Singh
Born: 26 December 1899, Sunam Udham Singh Wala
Died: 31 July 1940, HMP Pentonville, London, United Kingdom
Sardar Udham Singh ji was born on 26 December 1899 in Sunam village of Sangrur district of Punjab. His father Sardar Tehal Singh was a railway watchman in Jammu Upalli village. Udham Singh's real name was "Sher Singh". He also had a brother, whose name was Mukhta Singh. Udham became orphan at the age of seven. First his mother passed away and then after 6 years his father said goodbye to this world. After the death of their parents, Udham and his brother had to go to the Central Khalsa Orphanage in Amritsar.
People in the orphanage gave new names to both the brothers. Sher Singh's name became Udham Singh and Mukhta Singh's name became Sadhu Singh. Later, for the unity of the Indian society, Sardar Udham Singh changed his name to "Ram Mohammad Singh Azad", which is a symbol of the three major religions of India. Udham's brother Sadhu also died in the year 1917. He became a complete orphan.
In 1919, he left the orphanage and joined the revolutionaries in the freedom struggle. Udham Singh had become orphan, but despite this he was not deterred and continued to work for the independence of the country and to fulfill his pledge to kill General Dyer. Udham Singh considered Shaheed Bhagat Singh as his guru.
The Jallianwala Bagh massacre in 1919 had a deep impact on Udham Singh. Udham Singh was an eyewitness to the Jallianwala Bagh massacre that took place on 13 April 1919. He had decided in his mind that he would get Dyer punished for his crimes. It took him 21 years to avenge the murder of innocent people.
Due to political reasons, the exact number of people killed in Jallianwala Bagh was never revealed. Veer Udham Singh was shocked by this incident and he took the soil of Jallianwala Bagh in his hand and took a pledge to teach Michael O'Dwyer a lesson. To achieve this goal, Udham Singh traveled to Africa, Nairobi, Brazil and America under different names. Udham Singh reached London in 1934 and started living there at 9, Elder Street Commercial Road. There he bought a car for traveling purposes and also bought a revolver with six bullets to fulfill his mission. This brave revolutionary of India started waiting for the right time to kill Michael O'Dwyer.
Udham Singh got a chance in 1940 to avenge the death of hundreds of his brothers and sisters. On 13 March 1940, 21 years after the Jallianwala Bagh massacre, the Royal Central Asian Society met at Caxton Hall, London, where Michael O'Dwyer was one of the speakers. Udham Singh reached the meeting place on time that day. He hid his revolver in a thick book. For this, he had cut the pages of the book in the shape of a revolver in such a way that the weapon that took Dyer's life could be easily hidden.
After the meeting, Udham Singh, taking charge from behind the wall, opened fire on Michael O'Dwyer. Two bullets hit Michael O'Dwyer, killing him instantly. Udham Singh did not try to run away from there and surrendered himself to arrest. He was prosecuted. On 4 June 1940, Udham Singh was convicted of murder and on 31 July 1940, he was hanged in Pentonville Jail.
अच्छी जानकारी
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteजय हिन्द
ReplyDeleteनमन 🙏
ReplyDeleteभारत माता के ऐसे सच्चे सपूत को 🙏नमन🙏
ReplyDeletePozdrawiam.
ReplyDeleteJai hind
ReplyDeleteJai Hind
ReplyDelete🙏🙏इंग्लैंड जाकर हत्यारे जनरलडायर से जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का बदला लेनेवाले महानक्रन्तिकारी वीर बलिदानी ऊधमसिंहजी को उनकी जयंती पर कोटिशः कोटिशः नमन💐💐
ReplyDelete🙏भारत माता की जय 🇮🇳
🙏जयहिंद 🇮🇳वन्देमातरम 🇮🇳👍👍👍सभी देशवासियो को ऐसे महान बलिदानीयों का पता होना चाहिए, आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐