ओस की बूँद
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आज भीगी हैं पलके किसी की याद में
आकाश भी सिमट गया है अपने आप में..
ओस की बूँद ऐसी गिरी है जमीन पर,
मानो चाँद भी रोया है उनकी याद में..💧
आकाश भी सिमट गया है अपने आप में..
ओस की बूँद ऐसी गिरी है जमीन पर,
मानो चाँद भी रोया है उनकी याद में..💧
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सुबह की ओस जैसे हो तुम,
बस दिखते हो मग़र छू नहीँ सकते..
करीब हो के भी करीब रह नहीं सकते,
जो भी हो दिल के पास हो तुम
जानते हो बहुत खास हो तुम..💧
बस दिखते हो मग़र छू नहीँ सकते..
करीब हो के भी करीब रह नहीं सकते,
जो भी हो दिल के पास हो तुम
जानते हो बहुत खास हो तुम..💧
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सुबह से तेरी य़ादों की ओस कुछ ज़मीं सी है,
फिजायें करे तस्दीक की तेरी कमी सी है..
तस्सवुर में भोर की आँखों में कुछ नमी सी है,
फिजायें करे तस्दीक की तेरी कमी सी है..💧
फिजायें करे तस्दीक की तेरी कमी सी है..
तस्सवुर में भोर की आँखों में कुछ नमी सी है,
फिजायें करे तस्दीक की तेरी कमी सी है..💧
हमने सपनों को दूर होते देखा है ,
जो मिला भी नहीं उसे खोते देखा है..
लोग कहते हैं कि रात को ओस गिरती है,
मगर हमने रात में फूलों को रोते देखा है..💧
जो मिला भी नहीं उसे खोते देखा है..
लोग कहते हैं कि रात को ओस गिरती है,
मगर हमने रात में फूलों को रोते देखा है..💧
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बार बार आईना पोंछा,
मगर हर तस्वीर धुंधली थी..
न जाने आईने पर ओस थी,
न जाने आईने पर ओस थी,
या हमारी आँखें गीली थीं..💧
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आधे आकाश में,
आज दर्ज हुई बारिश..
आधा
चाँद के नाम रहा,
आधी बारिश और आधी चाँदनी में,
भीगता रहा
पूरा शहर..💧
आज दर्ज हुई बारिश..
आधा
चाँद के नाम रहा,
आधी बारिश और आधी चाँदनी में,
भीगता रहा
पूरा शहर..💧
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तारों में छोड़कर आए थे,
हम अपना दु:ख..
यहाँ इस जगह लेटकर,
इसीलिए देखते रहते हैं तारे,
गिरती रहती है
'ओस की बूंद'..💧
हम अपना दु:ख..
यहाँ इस जगह लेटकर,
इसीलिए देखते रहते हैं तारे,
गिरती रहती है
'ओस की बूंद'..💧
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ठहर जरा ओस की बूंद पलभर,
नमी तुम्हारी घड़ी पहर है..
चढ़ेगी ज्यों ही जरा सी किरणें,
तुम्हारा घर फिर कहां इधर है..💧
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भोर की पहली किरण,
चुन रही तुसार कण..
बांधकर असंख्य मोती,
उड़ चली फिर से गगन..
चढ़ रहा दिनमान उपर,
मृयमान होते जीव जलचर..
उष्णता की ताप में,
जीवन पथिक की सांस दूभर..
चेतना निस्तेज,
प्राणों का आक्लांत क्रंदन..
मेघ आज फिर घिर आओ,
बनकर ओस (बारिश) की बूंदें..💧
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ओस की बूंदें हैं,
आंखों में नमी है..
ना उपर आसमान है,
ना नीचे जमीन है..
ये कैसा मोड़ है,
जिंदगी का..
जो लोग खास हैं,
उनकी ही कमी है..💧
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ओस की हर एक बूँद देखो, अनजानी सी हो गई है,
समय की गर्त में दबी यादें, कुछ बेमानी सी हो गई है..
आज सुबह की भोर घास पे,
चमकते मोतियों को देखा,
तबसे बिसरी यादों की खुशबू,
पहचानी सी हो गयी है..
सर्द सुबह में भी जब भागना,
मटर के खेतों के यूँ बीच,
हर ओस की बूँद को चाहना,
कर ले मुट्ठी भीतर भींच..
अंजाने रिश्तों को सींचती,
ये अब कहानी सी हो गई है,
जिन्दगी की आपाधापी में,
ये आनी जानी सी हो गई है..
फिर भी दिल आज उड़ चला,
उन प्यारी यादों के पास,
फिर बुनते हुए अनगिनत,
ख्वाबों के घरोंदे कुछ खास..
वो पल निश्छल बचपन की,
जैसे निशानी सी हो गई है,
फिर उन्हीं पलों में जी लेना,
आदत पुरानी सी हो गई है..💧
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ओस में डूबता अन्तरिक्ष विदा ले रहा है, अँधेरों पर गिरती तुषार और कोहरों की नमी से..
और यह बूँद न जाने कब तक जिएगी इस लटकती टहनी से जुड़े पत्ते के आलिंगन में..
धूल में जा गिरी तो फिर मिट के जाएगी कहाँ?
ओस की एक बूँद बस चुकी है कब की,
मेरे व्याकुल मन में..💧
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बूँदे ओस की सीप पर मोती सी नक्षत्र स्वाति,
बूँदे प्रेम की मन सागर भरे जीवन तृप्ति..
बूँदे बरसी सारी रात टपकी निर्धन कुटी,
धरा की प्यास विरह पीर उठे बूँद की आस..💧
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बहुत खूबसूरत हृदय को भेदती हुई रचना 🙏
ReplyDeleteSuperb collection 👌🏼
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteGazab, happy Sunday
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक ओस की बूंद
ReplyDeletenice quotes
ReplyDeleteरोज़ कहता कि भूल जाउ तुझे
ReplyDeleteरोज ये बात भूल जाता हू
Loveable quotes ❣️
ReplyDeleteGood creation
ReplyDeleteNice quotes
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