दीपावली का त्योहार और सूरन की सब्जी
यूपी - बिहार के लगभग सभी इलाकों में दिवाली पर सूरन बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हम लोग बचपन से ही दीपावली के दिन सूरन का प्रयोग किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। ज्यादातर घरों में सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा है। आम दिनों में घर पर सूरन की सब्जी लगभग ना के बराबर बनती है, परंतु दिवाली के खास मौके पर इसे घरों में बनाना बेहद शुभ माना जाता है। जैसे होली पर गुजिया और मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने का महत्व है वैसे ही दीपावली के दिन सूरन की सब्जी बनाने का महत्व है।
हिंदू धर्म में दीपावली पर सूरन की सब्जी बनाने की यह परंपरा काशी अर्थात बनारस से चली आ रही है। परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली के दिन सूरन का सेवन अनिवार्य होता है, चाहे इसे सब्जी बनाकर खाएं या फिर चोखा बनाएं।
यह एक गोलाकार सब्जी है, जो आलू की तरह मिट्टी के नीचे उगती है और इसकी जड़ को खोदकर निकाला जाता है। कहा जाता है कि सूरन को निकालने के बाद भी इसकी जड़ें जमीन में रह जाती हैं और इन्हीं जड़ों से अगली साल दिवाली तक दोबारा सूरन तैयार हो जाता है। अपनी इसी खासियत के कारण सूरन को दिवाली पर्व की सुख-समृद्धि, धन के भंडारण, उन्नति और खुशहाली से जोड़कर देखा जाता है। इस वजह से ही दिवाली के दिन सूरन की सब्जी बनाना और खाना शुभ माना जाता है। दिवाली के दिन सूरन की सब्जी खाने से धन-संपत्ति बढ़ती है और कभी खत्म नहीं होती है। यह तो धार्मिक मान्यता है। अब इसको अपने स्वाथ्य से जोड़ते हैं।
सूरन पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह कई तरह से लाभदायक होता है। सूरन में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। सूरन यानी जिमीकंद गठिया रोग और जोड़ों के दर्द में भी फायदेमंद है। सूरन यानी जिमीकंद में कैल्शियम और आयरन मौजूद होता है, जो हड्डियों के लिए लाभदायक होता है।
सूरन में एंटीऑक्सीडेंट्स, बीटा केरोटीन, विटामिन, खनिज, कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन, पोटेशियम और घुलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। सूरन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हमारे पूर्वजों ने सूरन के इतने फायदें देखें होंगे तभी तो इसे त्योहार से जोड़ा होगा और इसे खाना जरूरी बना दिया ताकि बच्चें-बड़े सभी इसका लाभ ले सकें।
मुझे नही पता कि ये परंपरा कब से चल रही है लेकिन किंचित सोचिये तो सही कि हमारे सनातन की लोक मान्यताओं में भी कितनी वैज्ञानिकता छुपी हुई होती थी। धन्य थे हमारे पूर्वज जिन्होंने विज्ञान को हमारी परम्पराओं, रीतियों और संस्कारों में पिरो दिया।
तो आप भी इस दिवाली सूरन की सब्जी बनाइए और इसका लुफ्त उठाइए। हां इसके स्वाद की चिंता मत कीजिए क्योंकि अगर इसे अच्छे से बना दिया जाए तो सारी सब्जियां इसके आगे फेल हैं।
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Diwali festival and Suran vegetable
The tradition of making Suran on Diwali has been going on for centuries in almost all the areas of UP-Bihar. Since childhood, we have been using Suran in some form or the other on the day of Diwali. There is a tradition of making Suran vegetable in most of the houses. On normal days, Suran vegetable is almost never prepared at home, but on the special occasion of Diwali, making it at home is considered very auspicious. Just like there is importance of making Gujiya on Holi and Khichdi on Makar Sankranti, similarly there is importance of making Suran vegetable on the day of Diwali.
In Hindu religion, this tradition of making Suran vegetable on Diwali is coming from Kashi i.e. Banaras. It is mandatory for all the members of the family to consume Suran on the day of Diwali, whether they eat it as a vegetable or make Chokha.
It is a spherical vegetable, which grows under the soil like a potato and its root is dug out. It is said that even after removing the Suran, its roots remain in the ground and from these roots Suran is prepared again till Diwali next year. Due to this specialty, Suran is associated with the happiness and prosperity of Diwali festival, storage of wealth, progress and prosperity. For this reason, preparing and eating Suran vegetable is considered auspicious on the day of Diwali. Eating Suran vegetable on Diwali increases wealth and never ends. This is a religious belief. Now let's connect this with our health.
Suran is rich in nutrients. It is beneficial in many ways. Suran has high fiber content. Suran i.e. Jimikand is also beneficial in arthritis and joint pain. Suran i.e. Jimikand contains calcium and iron, which is beneficial for bones.
Antioxidants, beta carotene, vitamins, minerals, calories, fat, carbs, protein, potassium and soluble fiber are found in sufficient quantities in Suran. Suran increases the body's immunity. Our ancestors must have seen so many benefits of Suran, that is why they must have associated it with festivals and made it necessary to eat it so that everyone, children and elders, can take advantage of it.
I don't know how long this tradition has been going on, but just think about how much scientificity was hidden in our Sanatan folk beliefs. Blessed were our ancestors who integrated science into our traditions, customs and rituals.
So, this Diwali you too make Suran sabzi and enjoy it. Yes, don't worry about its taste because if it is prepared well then all the vegetables fail in front of it.
मैं भी कल ही खरीद के लाया हूं दीपावली वाले दिन के लिए 👍
ReplyDeleteशुभ दीपावली🙏
ReplyDeleteMere ghar bhi banti hai, suran ki sabji..
ReplyDeleteअति आवश्यक और लाभप्रद जानकारी
ReplyDeleteसूरन वास्तव में अत्यंत गुणकारी है।
ReplyDeleteसूरन की सब्जी के सब फेल है .. बिलकुल सही कहा आपने.... बहुत बढ़िया पोस्ट🌻
ReplyDeleteThis is really nice blog. Very help full.
ReplyDeletetasty tasty
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही कहा आपने, हमारे पूर्वज भी महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने हरेक पर्व में कुछ न कुछ औषधीय चीज को जोड़ दिए जो हमारे
ReplyDeleteस्वास्थ्य के लिए लाभदायक है🙏🙏🙏🙏
👌🏻👍
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय माँ महालक्मी 🚩🚩🚩
👌👌👌उपयोगी व लाभदायक जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
🚩🚩जय माता दी 🚩🚩
हमारे यह कभी नही बनी ये
ReplyDeleteVery nice information
ReplyDeleteShubh diwali
ReplyDeleteSabji v banti aur chatni v bahut tasty hoti h..
ReplyDeleteNice 👍👍
Very interesting, inspiring messages.
ReplyDeleteएक बात बताना आवश्यक समझता हूं कि जिमी कंद की सब्जी या चोखा बनाते समय खटाई डालना आवश्यक है।
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