बहुत उलझनें हैं राहों में
कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है,
कुछ मंद मुस्कुराहटें..
कुछ मंद मुस्कुराहटें..
कुछ खोए हुए सपने है,
कुछ अनसुनी आहटें..
कुछ सुकून भरी यादें हैं,
कुछ दर्द भरे लम्हात..
कुछ थमें हुए तूफ़ाँ हैं,
कुछ मद्धम सी बरसात..
कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैं,
कुछ नासमझ इशारे..
कुछ ऐसे मंझधार हैं,
जिनके मिलते नहीं किनारे..
बहुत उलझनें है राहों में..
कुछ अनकही सी बात,
कुछ खामोशियों को चीरती आवाज..
कुछ आंसू पलकों पे,
कुछ जज्बात दफन हैं सीने में..
कुछ जलते हुए से अंगारे हैं,
कुछ शीतल मन्द बयार..
कुछ जागती आंखों के सपने हैं,
कुछ दिल में धधकते अरमां..
कुछ इन कदमों की आहटें हैं,
कुछ अनसुलझे से सवालात..
जिसका नहीं कोई जवाब ..
एक बेगानी सी डगर है,
जिसकी नहीं कोई मंजिल..
बहुत उलझनें हैं राहों में
बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteHappy Sunday,
ReplyDeleteउस बिन मेरा हर शब्द अधूरा,
ReplyDeleteमेरी कविता का छन्द हो जैसे।
उस बिन ये जीवन मेरा.....,
बिना शीर्षक का निबन्ध हो जैसे
उस बिन मेरी कोई बहार नही.
मेरे जीवन का बसन्त हो जैसे
उस बिन मेरा जीवन अधूरा
जिंदगी का अर्थ हो जैसे
Superrrbbbbb 👌🏻
ReplyDelete👌👌👍🤞🙏🚩।
ReplyDeleteहृदय र शून्यता ❣️🍃
Very nice.. HaPpy SunDay
ReplyDeleteVery emotional touch....nice poem...
ReplyDeleteThis is life.
ReplyDeleteNice poetry
ReplyDeleteउलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना 👌👌👌
🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
ReplyDelete🙏ॐ नमः शिवाय 🚩🚩🚩
🙏जय शिव शम्भू 🚩🚩🚩
🙏महादेव का आशीर्वाद आप और आपके परिवार पर हमेशा बना रहे 🙏
👌👌🙏🙏💐💐बहुत बहुत धन्यवाद
जिन्दगी के इस सफर में हम भी अकेले
ReplyDeleteख्वाब,ख्वाईश और तन्हाइयों के मेले है
मंज़िल पर पहुंच कर लिखेंगे इस सफर की कहानी
अभी तो बस हम चल रहे है ।।
प्रेषक
निरंजन सिंह
एडवोकेट
हाई कोर्ट लखनऊ
7784083802
Very painful poem 🥲🥲
ReplyDeleteThere are a lot of entanglements on the way.
Bahut badhiya👌🏻👌🏻
ReplyDeleteHave a great day 🌹🌹🌹🌹
बहुत उलझनें इन राहों में
ReplyDeleteफिर भी मैं चलता रहती हूँ
रोशन करने अपनों का जहाँ
दीये की तरह जलती रहती हूंँ
कुछ ख्वाब थे जो दिल के
वो ख्वाब अब तक अधूरे हैं
कोशिशें बरसों से जारी है
फिर भी कहाँ ख्वाब पूरे हैं
दिल में उठते हुए जज्बात
कई-कई बार हमने टटोले
पर ना तो मुंह से कुछ बोले
ना हमने अपने लब खोले
मन में उठता हर बार ज्वार
बस वो अंतर्मन में ही फुटा
नाकाम हुई सारी कोशिशें
दुबारा कोई ज्वार ना उठा
जिंदगी की कशमकश में
खामोश हुआ ज्वालामुखी
जी रहे जैसे भी ये जिंदगी
क्या करेंगे अब होके दुखी
अब तो किसी से कोई भी
शिकवा या शिकायत नहीं
दिल में मेरे अब तो वैसे भी
उठती कोई भी चाहत नहीं
एक उम्र तक मेरे दिल में
उमड़ती थी कई ख्वाहिशें
अब उम्र के इस दौर में हम
क्या रखे कोई फरमाइशें
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
वाह! लाजवाब👌👌👌👌
DeleteNice poetry
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