श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय दसवाँ - विभूतियोग ||
अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग
अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग
अध्याय दस के अनुच्छेद 19 - 30
भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का वर्णन
श्रीभगवानुवाच
भावार्थ :
श्री भगवान बोले- हे कुरुश्रेष्ठ! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिए प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अंत नहीं है॥10.19॥
भावार्थ :
हे अर्जुन! मैं सब भूतों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ॥10.20॥
भावार्थ :
मैं अदिति के बारह पुत्रों में विष्णु और ज्योतियों में किरणों वाला सूर्य हूँ तथा मैं उनचास वायुदेवताओं का तेज और नक्षत्रों का अधिपति चंद्रमा हूँ॥10.21॥
भावार्थ :
मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात् जीवन-शक्ति हूँ॥10.22॥
भावार्थ :
मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ। मैं आठ वसुओं में अग्नि हूँ और शिखरवाले पर्वतों में सुमेरु पर्वत हूँ॥10.23॥
भावार्थ :
पुरोहितों में मुखिया बृहस्पति मुझको जान। हे पार्थ! मैं सेनापतियों में स्कंद और जलाशयों में समुद्र हूँ॥10.24॥
भावार्थ :
मैं महर्षियों में भृगु और शब्दों में एक अक्षर अर्थात् ओंकार हूँ। सब प्रकार के यज्ञों में जपयज्ञ और स्थिर रहने वालों में हिमालय पहाड़ हूँ॥10.25॥
भावार्थ :
मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ॥10.26॥
भावार्थ :
घोड़ों में अमृत के साथ उत्पन्न होने वाला उच्चैःश्रवा नामक घोड़ा, श्रेष्ठ हाथियों में ऐरावत नामक हाथी और मनुष्यों में राजा मुझको जान॥10.27॥
भावार्थ :
मैं शस्त्रों में वज्र और गौओं में कामधेनु हूँ। शास्त्रोक्त रीति से सन्तान की उत्पत्ति का हेतु कामदेव हूँ और सर्पों में सर्पराज वासुकि हूँ॥10.28॥
भावार्थ :
मैं नागों में (नाग और सर्प ये दो प्रकार की सर्पों की ही जाति है।) शेषनाग और जलचरों का अधिपति वरुण देवता हूँ और पितरों में अर्यमा नामक पितर तथा शासन करने वालों में यमराज मैं हूँ॥10.29॥
भावार्थ : मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों का समय (क्षण, घड़ी, दिन, पक्ष, मास आदि में जो समय है वह मैं हूँ) हूँ तथा पशुओं में मृगराज सिंह और पक्षियों में गरुड़ हूँ॥10.30॥
Jai shree krishna
ReplyDeleteजय जय श्री कृष्णा 🙏🏻
ReplyDeleteॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ReplyDelete🌹🙏हे गोविंद🙏🌹 संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत सब तो आप हीं हैं । प्रत्येक जीवों
ReplyDeleteके ह्रदय में आत्मा भी आप हैं । बस यही आत्मा
जीवों को जिंदा रखता है। आत्मा निकला फिर
तो निर्जीव हैं हम🌹🙏हे गोविंद🙏🌹
Jai Shri Krishna..
ReplyDeleteराधे राधे
ReplyDeleteजय श्रीकृष्णा
ReplyDeleteJai shri krishna
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
👌👌आप का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
‼️ श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा ‼️
ReplyDeletejai shree ram
ReplyDeleteJai shree krishna
ReplyDeleteशुभ मंगल 📙
ReplyDeleteजय मंगल 📙
🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा 🪔🌺🐾🙏🚩🏹⚔️📙⚔️🔱🙌
Jai Krishna
ReplyDeleteJai Krishna
ReplyDeleteJai krishna
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