मुझे पुकार लो
हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के महान लेखक और कवि थे, जिन्हें 1976 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। छायावादी कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने अपनी दिलकश कविताओं से लोगो का मन आकर्षित किया और जान मानस को प्रोत्साहित करने की पुरजोर कोशिश की है। उनकी कृतियों में हमेशा एक आशा का दीपक जलते हुए नज़र आता है। प्रस्तुत है हिंदी काव्य के समुद्र में से हरिवंश राय बच्चन जी की कविता
" मुझे पुकार लो " ...
जमीन है न बोलती, न आसमान बोलता..
जहान देखकर मुझे, नहीं जबान खोलता..
नहीं जगह कहीं जहां, न अजनबी गिना गया..
कहां-कहां न फिर चुका, दिमाग-दिल टटोलता..
कहां मनुष्य है कि जो, उमीद छोड़कर जिया..
इसीलिए खड़ा रहा, कि तुम मुझे पुकार लो.
इसीलिए खड़ा रहा, कि तुम मुझे पुकार लो..!
तिमिर-समुद्र कर सकी, न पार नेत्र की तरी..
विनष्ट स्वप्न से लदी, विषाद याद से भरी..
न कूल भूमि का मिला, न कोर भोर की मिली..
न कट सकी, न घट सकी, विरह-घिरी विभावरी..
कहां मनुष्य है जिसे, कमी खली न प्यार की..
इसीलिए खड़ा रहा कि, तुम मुझे दुलार लो..!
इसीलिए खड़ा रहा कि, तुम मुझे पुकार लो..!
उजाड़ से लगा चुका, उमीद मैं बहार की..
निदाघ से उमीद की, बसंत के बयार की..
मरुस्थली मरीचिका, सुधामयी मुझे लगी..
अंगार से लगा चुका, उमीद मैं तुषार की..
कहां मनुष्य है जिसे, न भूल शूल-सी गड़ी..
इसीलिए खड़ा रहा कि, भूल तुम सुधार लो..!
इसीलिए खड़ा रहा कि, तुम मुझे पुकार लो..!
पुकार कर दुलार लो, दुलार कर सुधार लो..!
- हरिवंशराय बच्चन
बेहतरीन रविवार specail 👌👌
ReplyDeleteहरिवंशराय बच्चन की हरेक कविताएं कुछ कहती है। अपनी लेखनी के माध्यम से उन्होंने सामान्य
ReplyDeleteमानव के जीवन को प्रोत्साहित किये इसी लिये
लोग उनकी लेखनी की तरफ खिंचे चले आते है।
बहुत ही सुंदर कविता🙏🙏🙏
Super sunday special 👌🏻
ReplyDeleteVery nice poem..happy Sunday....
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteबेहतरीन कविता।
ReplyDeleteHappy monday
ReplyDeleteHarivansh ji ki bahut sunder kavita
ReplyDeleteNice poem
ReplyDelete'इसीलिए खड़ा रहा, कि तुम मुझे पुकार लो'
ReplyDeletenice poem
इस उम्मीद में खड़ा रहा कि तुम मुझे पुकार लो। क्या कविता है!
ReplyDeleteNice poem
ReplyDeleteNice poem
ReplyDeleteबेहतरीन कविता 👍👍
ReplyDelete