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"गाय का जूठा गुड़"

 "गाय का जूठा गुड़"

आज एक लेख पढ़ा, जो दिल को छू गई। लेख का शीर्षक पढ़कर ही मन में उत्सुकता जाग गई। यह तो सुना था कि गाय को गुड़ खिलाना बहुत अच्छा माना जाता है, परंतु शीर्षक कुछ भिन्न था जिससे उत्सुकता बढ़ी और पूरा लेख एक लगातार पढ़ती गई। शायद आप लोगों को भी यह लेख पसंद आए।

"गाय का जूठा गुड़"

एक शादी के निमंत्रण पर जाना था, पर मैं जाना नहीं चाहता था। वजह थी कि शादी गांव में थी। एक व्यस्त होने का बहाना और दूसरा गांव की शादी में शामिल होने से बचना, लेक‌िन घर परिवार का दबाव था सो जाना पड़ा।

शादी के घर में हर किसी को कोई न कोई काम सौंप दिया जा रहा था। उस दिन शादी की सुबह मैं काम से बचने के लिए सैर करने के बहाने दो- तीन किलोमीटर दूर जा कर गांव को जाने बाली रोड़ पर बैठा हुआ था। हल्की हवा और सुबह का सुहाना मौसम बहुत ही अच्छा लग रहा था। शहर में देर से उठना और काम पर लग जाना, कहाँ इतना सुहाना मौसम मिल पाता। खैर, पास के खेतों में कुछ गाय चारा खा रही थी कि तभी वहाँ एक लग्जरी गाड़ी आकर रूकी और उसमें से एक वृद्ध उतरे। अमीरी उसके लिबास और व्यक्तित्व दोनों बयां कर रहे थे।

वे एक पॉलीथिन बैग ले कर मुझसे कुछ दूर पर ही एक सीमेंट के चबूतरे पर बैठ गये। पॉलीथिन चबूतरे पर उंडेल दी। उसमें गुड़ भरा हुआ था। अब उन्होंने आओ आओ करके पास में ही खड़ी ओर बैठी गायों को बुलाया। सभी गाय पलक झपकते ही उन बुजुर्ग के इर्द गिर्द ठीक ऐसे ही आ गई जैसे कई महीनों बाद बच्चे अपने मां - बाप को घेर लेते हैं। कुछ गाय को गुड़ उठाकर खिला रहे थे, तो कुछ स्वयम् खा रही थी। वे बड़े प्रेम से उनके सिर पर गले पर हाथ फेर रहे थे।

कुछ ही देर में गाय अधिकांश गुड़ खाकर चली गईं। इसके बाद जो हुआ वो वाक्या है, जिसे मैं ज़िन्दगी भर नहीं भुला सकता। 

हुआ यूँ कि गायों के गुड़ खाने के बाद जो गुड़ बच गया था, वो बुजुर्ग उन टुकड़ो को उठा उठा कर खाने लगे।मैं उनकी इस क्रिया से अचंभित हुआ पर उन्होंने बिना किसी परवाह के कई टुकड़े खाये और अपनी गाडी की और चल पड़े।

मैं दौड़कर उनके नज़दीक पहुँचा और बोला श्रीमानजी क्षमा चाहता हूँ, पर अभी जो हुआ उससे मेरा दिमाग घूम गया, क्या आप मेरी इस जिज्ञासा को शांत करेंगे कि आप इतने अमीर होकर भी गाय का झूठा गुड़ क्यों खा रहे थे। 

उनके चेहरे पर अब हल्की सी मुस्कान उभरी। उन्होंने कार का गेट वापस बंद करा और मेरे कंधे पर हाथ रख वापस सीमेंट के चबूतरे पर आ बैठे और बोले ये जो तुम गुड़ के झूठे टुकड़े देख रहे हो ना बेटे मुझे इनसे स्वादिष्ट आज तक कुछ नहीं लगता। जब भी मुझे वक़्त मिलता हैं, मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड की मिठास घोलता हूँ।

मैं अब भी नहीं समझा श्री मान जी आखिर ऐसा क्या हैं इस गुड में ? मैंने बड़ी उत्सुकता से कहा। 

वे बोले ये बात आज से कोई 40 साल पहले की है। उस वक़्त मैं 22 साल का था। घर में जबरदस्त आंतरिक कलह के कारण मैं घर से भाग आया था, परन्तू दुर्भाग्य वश ट्रेन में कोई मेरा सारा सामान और पैसे चुरा ले गया। इस अजनबी से छोटे शहर में मेरा कोई नहीं था। भीषण गर्मी में खाली जेब के दो दिन भूखे रहकर इधर से उधर भटकता रहा और शाम को भूख मुझे निगलने को आतुर थी।

तब इसी जगह ऐसी ही एक गाय को एक महानुभाव गुड़ डालकर चले गए। यहाँ एक पीपल का पेड़ हुआ करता था तब चबूतरा नहीं था। मैं उसी पेड़ की जड़ो पर बैठा भूख से बेहाल हो रहा था। मैंने देखा कि गाय ने गुड़ छुआ तक नहीं और उठ कर वहां से चली गई। मैं कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़ सोचता रहा और फिर मैंने वो सारा गुड़ उठा लिया और खा लिया। मेरी मृतप्राय आत्मा में प्राण से आ गये।

मैं उसी पेड़ की जड़ों में रात भर पड़ा रहा। सुबह जब मेरी आँख खुली तो काफ़ी रौशनी हो चुकी थी। मैं नित्यकर्मो से फारिक हो किसी काम की तलाश में फिर सारा दिन भटकता रहा। पर दुर्भाग्य मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था। एक और थकान भरे दिन ने मुझे वापस उसी जगह निराश भूखा खाली हाथ लौटा दिया।

शाम ढल रही थी। कल और आज में कुछ भी तो नहीं बदला था। वही पीपल, वही भूखा मैं और वही गाय। कुछ ही देर में वहाँ वही कल वाले सज्जन आये और कुछ गुड़ की डलिया गाय को डालकर चलते बने। गाय उठी और बिना गुड़ खाये चली गई। मुझे अज़ीब लगा, परन्तू मैं बेबस था, सो आज फिर गुड खा लिया और वहीं सो गया। 

सुबह काम तलासने निकल गया। आज शायद दुर्भाग्य की चादर मेरे सर पे नहीं थी, सो एक ढ़ाबे पर मुझे काम मिल गया। कुछ दिन बाद जब मालिक ने मुझे पहली पगार दी तो मैंने 1 किलो गुड़ ख़रीदा और किसी दिव्य शक्ति के वशीभूत 7 km पैदल पैदल चलकर उसी पीपल के पेड़ के नीचे आया।

इधर उधर नज़र दौड़ाई तो गाय भी दिख गई। मैंने सारा गुड़ उस गाय को डाल दिया। इस बार मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा चौंका क्योकि गाय सारा गुड़ खा गई, जिसका मतलब साफ़ था कि गाय ने 2 दिन जानबूझ कर मेरे लिये गुड़ छोड़ा था। 

मेरा हृदय भर उठा, उस ममतामई स्वरुप की ममता देखकर। मैं रोता हुआ बापस ढ़ाबे पे पहुँचा और बहुत सोचता रहा। फिर एक दिन मुझे एक फर्म में नौकरी भी मिल गई। दिन पर दिन मैं उन्नति और तरक्की के शिखर चढ़ता गया। शादी हुई बच्चे हुये आज मैं खुद की पाँच फर्म का मालिक हूँ। जीवन की इस लंबी यात्रा में मैंने कभी भी उस गाय माता को नहीं भुलाया। मैं अक्सर यहाँ आता हूँ और इन गायों को गुड़ डालकर इनका झूँठा गुड़ खाता हूँ, जिससे मेरी आत्मा तृप्त हो जाती है। 

मैं लाखों रूपए गौ शालाओं में चंदा भी देता हूँ, परन्तू मेरी मृग तृष्णा मन की शांति यहीं आकर मिटती हैं बेटे। मैं देख रहा था वे बहुत भावुक हो चले थे, समझ गये अब तो तुम। 

मैंने सिर हाँ में हिलाया। वे चल पड़े, गाडी स्टार्ट हुई और निकल गई। मैं उठा उन्हीं टुकड़ो में से एक टुकड़ा उठाया मुँह में डाला वापस शादी में शिरकत करने सच्चे मन से शामिल हुआ। सचमुच वो कोई साधारण गुड़ नहीं था। उसमें कोई दिव्य मिठास थी जो जीभ के साथ आत्मा को भी मीठा कर गई थी।

घर आकर गाय के बारे में जानने के लिए कुछ किताबें पढ़नी शुरू की। पढ़ने के बाद जाना कि गाय गोलोक की एक अमूल्य निधि है, जिसकी रचना भगवान ने मनुष्यों के कल्याणार्थ आशीर्वाद रूप से की है। गौएं विकार-रहित दिव्य अमृत धारण करती हैं और दुहने पर अमृत ही देती हैं। वे अमृत का खजाना हैं।

सभी देवता गोमाता के अमृतरूपी गोदुग्ध का पान करने के लिए गोमाता के शरीर में सदैव निवास करते हैं।

ऋग्वेद में गौ को ‘अदिति’ कहा गया है। ‘दिति’ नाम नाश का प्रतीक है और ‘अदिति’ अविनाशी अमृतत्व का नाम है। अत: गौ को ‘अदिति’ कहकर वेद ने अमृतत्व का प्रतीक बतलाया है। 

35 comments:

  1. गाय को सनातन में माता के सदृश माना गया है। गाय का दूध आयुर्वेद में अमृत के समान माना गया है। इसके गोबर के उपले जलाने से वातावरण के हानिकारक बैक्टीरिया का नाश होता है।

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  2. पवन कुमारApril 10, 2023 at 12:21 PM

    बहुत ही मार्मिक कहानी है। गौमाता घांस और
    भूंसा खाकर हमलोगों के लिये अमृत प्रदान करती
    है। गौमाता अपने पुत्र को भूखा देख समझ गयी
    की मेरा बेटा भूखा है इसलिये अपने हिस्से के गुड़
    को अपने पुत्र के लिये छोड़ दी। पुत्र के भी अपने
    माता को कभी नही भूलनी चाहिये 🙏🙏🙏

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  3. इसलिए ही गाय को "गौमाता" कहा गया है।गजब की कहानी।हमें अपने सहयोगियों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए।🌺🙏💐🙏🌸🙏💐🙏🌺

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  4. जय गौ माता रानी 🙏

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  5. जय हो गौ माता की🙏🙏

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  6. जय गाय माता जी की 🙏🙏🙏🙏

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  7. Amazing post. Thank you for this post.

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  8. #It could be a true story ,I don't disbelieve and India ,as you know is * Incredible * and We already worship Cow ,which is attached to Shiva and with our Cultures / traditions of Faith.
    #Thus ,let's hv faith but it could be Individual centric but every thing is possible in India ..Hv faith ..thanks and regards to all .Hv a nice day ..
    #awasthi ak..🤝🌹🇮🇳

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  9. Very nice story...

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  10. 🙏🚩👌👌👌

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  11. दिल को छूती सुंदर कहानी, रूपा दी।

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  12. संजय कुमारApril 11, 2023 at 12:52 AM

    🙏🙏🙏जय गौ माता 🚩🚩🚩
    🚩🚩जयतु सनातन धर्म 🚩🚩
    👏👌👌👌बहुत सुन्दर,मार्मिक प्रसंग 🙏
    🙏🙏🙏आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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  13. जय सनातन धर्म

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  14. Narayan lal Sharma

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  15. जय माँ गौमाता की गाय कौ इसीलिऐ मा का दर्जा हासिल है🙏🙏

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  16. सुरभ्यै नमः❤️🙏

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  17. जय माँ गौमाता

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  18. सनातन धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना गया है। यहां तक श्रीमद् भागवत कथा में वर्णन मिलता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब कामधेनु निकली थी, तब पवित्र होने की वजह से ऋषियों ने उसे अपने पास रख लिया था। मान्यता है कि कामधेनु से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई है।

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  19. शेरनी का दूध पीते क्यों नहीं

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  20. हृदयस्पर्शी कहानी 🙏🙏

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  21. शब्द नहीं हैं 🙏🙏 गौ पालक 🙏🙏

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  22. Jayatu sanatan dharm
    Jai Gau Mata 🙏🙏

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  23. एक मां ही बच्चों की व्यथा समझ सकती है इसीलिए तो हम उन्हें गौमाता कहते हैं।

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