भारत की नारी
आजकल लगातार आ रही खबरों ने आपलोगों को भी आहत किया होगा? लड़की को मारना, जलाना या फिर कहीं वीरान जगहों पर मार के फेक देना, ये सब बातें सुनने में आती थीं। अब टुकड़ों में काट देते। जानवरों को काटने वालों को तो कसाई कहते हैं, इन जल्लादों को क्या कहेंगे? इसमें गलती लड़कियों की भी है, जो उन्हें ऐसा करने का मौका देती हैं। प्रस्तुत है वर्तमान हालात पर कुछ पंक्तियाँ :-
खुब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी
क्या तुने नहीं सुनी ये कहानी थी
भारत की नारी हो कर तू
टुकड़ों में काटी जाती क्यूँ
प्रेम प्रीति में फंस कर
अपना अस्तित्व मिटाती क्यूं
सृष्टि की र्निमाता तू
क्यूं स्वयं से स्नेह ना कर पाई
दानव के चंगुल में पड़ कर
क्यूं अपनी हयात गंवा आई
आर्यावर्त की वनिता तू
कहीं दुर्गा, कहीं काली तू
कहीं लक्ष्मी, सरस्वती
कहीं पे झांसी वाली रानी तू
तू कोमल है कमजोर नहीं,
क्यूं बीहड़ में फेंकी जाती है
कैसे भुली तू संस्कृति अपनी
अपने घर की मर्यादा को
कुछ सीख मिला था मां से तेरे
मानव में कितने दानव हैं
उस सीख को कैसे भुल गई
बाबा की पगड़ी भुल गई
अम्मा का आंचल भूल गई
क्या अपनी शक्ति भी भूल गई
मुठ्ठी भींच साहस भर कर
शीश काट तू ले आती
बिटिया तू फिर
झांसी वाली रानी बन जाती
झांसी वाली रानी बन जाती
बहुत सुंदर लाइन्स 👌👌
ReplyDeleteबढ़िया पंक्तियां
ReplyDeleteशुभ रविवार।
Nice poem..
ReplyDeleteशिक्षाप्रद रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Very nice
ReplyDeleteअपने अस्तित्व को पहचानो, हैवानों के चंगुल में न पड़ो।
ReplyDeleteझांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में जितनी भी बातें करी जाय कम ही होगी।ऐसी वीरांगनायें सदियों तक लोगों के जेहन में रहती ।लोग उनसे
ReplyDeleteबहुत कुछ सीख सकतें है।
शत शत नमन है महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को 🙏🏻
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery Nice 🙏🏻
ReplyDeleteVery very nice
ReplyDeleteआज़ के प्रत्येक बच्ची को झांसी की रानी जैसा ही बनना पड़ेगा
ReplyDeleteप्रेरक कविता 👍👍