कित्तूर की रानी चेन्नमा/Rani Chennamma (Kittur)
- बलिदान दिवस 21 फरवरी, 1826
उत्तर भारत में जो स्थान स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का है, कर्नाटक में वही स्थान कित्तूर की रानी चेन्नम्मा का है। चेन्नम्मा ने लक्ष्मीबाई से पहले ही अंग्रेज़ों की सत्ता को सशस्त्र चुनौती दी थी और अंग्रेज़ों की सेना को उनके सामने दो बार मुँह की खानी पड़ी थी।
चेन्नम्मा का अर्थ होता है सुंदर कन्या। इस सुंदर बालिका का जन्म 1778 ई. में दक्षिण के काकातीय राजवंश में हुआ था। पिता धूलप्पा और माता पद्मावती ने उसका पालन-पोषण राजकुल के पुत्रों की भाँति किया। उसे संस्कृत भाषा, कन्नड़ भाषा, मराठी भाषा और उर्दू भाषा के साथ-साथ घुड़सवारी, अस्त्र शस्त्र चलाने और युद्ध-कला की भी शिक्षा दी गई।
चेन्नमा का विवाह कित्तूर के राजा मल्लसर्ज के साथ हुआ। कित्तूर उन दिनों मैसूर के उत्तर में एक छोटा स्वतंत्र राज्य था। परन्तु यह बड़ा संपन्न था। यहाँ हीरे-जवाहरात के बाज़ार लगा करते थे और दूर-दूर के व्यापारी आया करते थे। चेन्नम्मा ने एक पुत्र को जन्म दिया, पर उसकी जल्दी मृत्यु हो गई। कुछ दिन बाद राजा मल्लसर्ज भी चल बसे। तब उनकी बड़ी रानी रुद्रम्मा का पुत्र शिवलिंग रुद्रसर्ज गद्दी पर बैठा और चेन्नम्मा के सहयोग से राजकाज चलाने लगा। शिवलिंग के भी कोई संतान नहीं थी। इसलिए उसने अपने एक संबंधी गुरुलिंग को गोद लिया और वसीयत लिख दी कि राज्य का काम चेन्नम्मा देखेगी। शिवलिंग रुद्रसर्ज की भी जल्दी मृत्यु हो गई।
कित्तूर पर हमला
अंग्रेज़ों की नजर इस छोटे परन्तु संपन्न राज्य कित्तूर पर बहुत दिन से लगी थी। अवसर मिलते ही उन्होंने गोद लिए पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से इन्कार कर दिया और वे राज्य को हड़पने की योजना बनाने लगे। आधा राज्य देने का लालच देकर उन्होंने राज्य के कुछ देशद्रोहियों को भी अपनी ओर मिला लिया। पर रानी चेन्नम्मा ने स्पष्ट उत्तर दिया कि उत्तराधिकारी का मामला हमारा अपना मामला है, अंग्रेज़ों का इससे कोई लेना-देना नहीं। साथ ही उसने अपनी जनता से कहा कि जब तक तुम्हारी रानी की नसों में रक्त की एक भी बूँद है, कित्तूर को कोई नहीं ले सकता।
रानी का उत्तर पाकर धारवाड़ के कलेक्टर थैकरे ने 500 सिपाहियों के साथ कित्तूर का किला घेर लिया। 23 सितंबर, 1824 का दिन था। किले के फाटक बंद थे। थैकरे ने दस मिनट के अंदर आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी। इतने में अकस्मात क़िले के फाटक खुले और दो हज़ार देशभक्तों की अपनी सेना के साथ रानी चेन्नम्मा मर्दाने वेश में अंग्रेज़ों की सेना पर टूट पड़ी। थैकरे भाग गया। दो देशद्रोही को रानी चेन्नम्मा ने तलवार के घाट उतार दिया। अंग्रेजों ने मद्रास और मुंबई से कुमुक मंगा कर 3 दिसंबर, 1824 को फिर कित्तूर का किला घेर डाला। परन्तु उन्हें कित्तूर के देशभक्तों के सामने फिर पीछे हटना पड़ा। दो दिन बाद वे फिर शक्तिसंचय करके आ धमके। छोटे से राज्य के लोग काफ़ी बलिदान कर चुके थे।
चेन्नम्मा के नेतृत्व में उन्होंने विदेशियों का फिर सामना किया, पर इस बार वे टिक नहीं सके। रानी चेन्नम्मा को अंग्रेज़ों ने बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। उनके अनेक सहयोगियों को फाँसी दे दी। कित्तूर की मनमानी लूट हुई।
21 फरवरी, 1829 ई. को जेल के अंदर ही इस वीरांगना रानी चेन्नम्मा का देहांत हो गया।
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Rani Chennamma (Kittur)
- Sacrifice Day February 21, 1826
The place in North India which belongs to Rani Lakshmibai of Jhansi in the context of freedom struggle, in Karnataka the same place belongs to Rani Chennamma of Kittur. Chennamma had challenged the British authority even before Lakshmibai and the British army had to face her twice.
Chennamma means beautiful girl. This beautiful girl was born in 1778 AD in the Kakatiya dynasty of the South. Father Dhulappa and mother Padmavati raised him like the sons of Rajkul. He was taught Sanskrit language, Kannada language, Marathi language and Urdu language as well as horse riding, weapon handling and martial arts.
Chennama was married to King Mallasarja of Kittur. Kittur was a small independent kingdom to the north of Mysore in those days. But it was very rich. Here diamond and jewels markets used to be set up and merchants from far and wide used to come. Chennamma gave birth to a son, but he died early. After a few days, King Mallasarj also passed away. Then his elder queen Rudramma's son Shivalinga Rudrasarja sat on the throne and started running the kingdom with the help of Chennamma. Shivling also did not have any children. So he adopted one of his relatives Gurulinga and wrote a will that Chennamma would look after the affairs of the kingdom. Shivling Rudrasarj also died early.
attack on kittur
The eyes of the British were on this small but prosperous state of Kittur for a long time. As soon as he got the opportunity, he refused to accept the adopted son as heir and started planning to annex the state. By giving the lure of giving half the state, he also got some of the traitors of the state in his side. But Rani Chennamma categorically replied that the matter of successor is our own matter, the British have nothing to do with it. At the same time, he told his people that as long as there is a drop of blood in your queen's veins, no one can take Kittur.
After receiving the reply of the queen, Thakre, the collector of Dharwad, surrounded the fort of Kittur with 500 soldiers. September 23, 1824 was the day. The gates of the fort were closed. Thakre warned to surrender within ten minutes. Suddenly, the gates of the fort opened and Rani Chennamma with her army of two thousand patriots, in a manly garb, broke down on the British army. Thacker fled. Two traitors were killed by the sword by Rani Chennamma. The British again besieged the fort of Kittur on December 3, 1824, by importing kumuk from Madras and Mumbai. But he had to retreat again in front of the patriots of Kittur. After two days, he came again after accumulating power. The people of the small kingdom had sacrificed a lot.
Under the leadership of Chennamma, he again faced the foreigners, but this time he could not survive. Rani Chennamma was imprisoned by the British and imprisoned. Many of his associates were hanged. Kittur was looted arbitrarily.
On February 21, 1829 AD, this heroic queen Rani Chennamma died inside the jail.
मेरे लिए नई और अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteशौर्य गाथा सनातन की
ReplyDeleteGood information.
ReplyDeleteऐसी वीरांगना को शत शत नमन 🙏
ReplyDeleteवीरांगना रानी चेन्नम्मा ने अंग्रेजों को नाको चने
ReplyDeleteचबा दिया लेकिन क्या करती कुछ गद्दार जो
कल भी थे आज भी हैं जिसके कारण रानी
गिरफ्तार हो गयी तथा अंग्रेजों के यातना गृह
में अपने आप को बलिदान दे दी । ऐसी वीरांगनाओं को नमन करते हुए हमें ये सबक
भी लेनी चाहिये कि गद्दारों को जड़ से नष्ट करना
है🙏🙏🙏🙏🙏
Nice information
ReplyDeleteनमन🙏
ReplyDeleteA very wonderful story. Brave girl - I admire such people.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी
ReplyDeleteऐसी वीरांगनाओं को शत् शत् नमन 🙏🙏
ReplyDeleteदेश के प्रति जज्बा हो तो ऐसे....शत शत नमन🙏
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद रूपा जी
ReplyDeleteNari Shakti ko naman
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