कुछ अर्थपूर्ण पंक्तियाँ "जिंदगी का अर्थ"
एक सुबह पार्क में दौड़ते,
एक व्यक्ति को देखा
मुझ से आधा किलोमीटर आगे था
अंदाज़ा लगाया कि मुझसे थोड़ा धीरे ही भाग रहा था
एक अजीब सी खुशी मिली
मैं पकड़ लूंगा उसे, यकीं था
मैं तेज़ और तेज़ दौड़ने लगा
आगे बढ़ते हर कदम के साथ,
मैं उसके करीब पहुंच रहा था
कुछ ही पलों में,
मैं उससे बस सौ क़दम पीछे था
निर्णय ले लिया था कि मुझे उसे पीछे छोड़ना है
गति बढ़ाई
अंततः कर दिया
उसके पास पहुंच,
उससे आगे निकल गया
आंतरिक हर्ष की अनुभूति,
कि मैंने उसे हरा दिया
बेशक उसे नहीं पता था
कि हम दौड़ लगा रहे थे
मैं जब उससे आगे निकल गया,
मुझे एहसास हुआ
कि दिलो-दिमाग प्रतिस्पर्धा पर इस कदर केंद्रित था
कि
घर का मोड़ छूट गया
मन का सकूं खो गया
आस-पास की खूबसूरती और हरियाली नहीं देख पाया
ध्यान लगाने और अपनी आत्मा को भूल गया
और
व्यर्थ की जल्दबाज़ी में
दो-तीन बार गिरा
शायद ज़ोर से गिरने पर,
कोई हड्डी टूट जाती
तब समझ में आया,
यही तो होता है जीवन में,
जब हम अपने साथियों को,
पड़ोसियों को,
दोस्तों को,
परिवार के सदस्यों को,
प्रतियोगी समझते हैं
उनसे बेहतर करना चाहते हैं
प्रमाणित करना चाहते हैं
कि हम उनसे अधिक सफल हैं
या
अधिक महत्वपूर्ण
बहुत महंगा पड़ता है,
क्योंकि अपनी खुशी भूल जाते हैं
अपना समय और ऊर्जा
उनके पीछे भागने में गवां देते हैं
इस सब में अपना मार्ग और मंज़िल भूल जाते हैं
भूल जाते हैं कि नकारात्मक प्रतिस्पर्धाएं कभी ख़त्म नहीं होंगी
हमेशा कोई आगे होगा
किसी के पास बेहतर नौकरी होगी
बेहतर गाड़ी,
बैंक में अधिक रुपए,
ज़्यादा पढ़ाई,
खूबसूरत पत्नी,
ज़्यादा संस्कारी बच्चे,
बेहतर परिस्थितियां
और बेहतर हालात
इस सब में एक एहसास ज़रूरी है कि
बिना प्रतियोगिता किए,
हर इंसान श्रेष्ठतम हो सकता है
असुरक्षित महसूस करते हैं वे चंद लोग
जो कि अत्यधिक ध्यान देते हैं दूसरों पर
कहां जा रहे हैं?
क्या कर रहे हैं?
क्या पहन रहे हैं?
क्या बातें कर रहे हैं?
जो है, उसी में खुश रहो
लंबाई, वज़न या व्यक्तित्व
स्वीकार करो और समझो
कि कितने भाग्यशाली हो
ध्यान नियंत्रित रखो,
स्वस्थ, सुखुद ज़िन्दगी जीओ
भाग्य में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है
सबका अपना-अपना है
तुलना और प्रतियोगिता हर खुशी को चुरा लेते हैं
अपनी शर्तों पर जीने का आनंद छीन लेते हैं
अपनी दौड़ खुद लगाओ,
किसी प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं
अपने जीवन को स्थिर,खुश और शांतपूर्ण बनाने के लिए
Happy Sunday
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (26-02-2023) को "फिर से नवल निखार भरो" (चर्चा-अंक 4643) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में इस प्रविष्टि को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार 😊
Deleteप्रेरक पंक्तियां
ReplyDeleteइंसान को सकारात्मक रखना चाहिए।
शुभ रविवार
भागम भाग जिंदगी की यही सच्चाई है ।
ReplyDeleteहर व्यक्ति एक दूसरे को पछाड़ने में लगा हुआ है और अपना सुख चैन खोता जा रहा है।
शुभ रविवार आप की पोस्ट अच्छी लगी
ReplyDelete🌹🙏हरि ॐ🙏🌹
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर बातें, खुश रहें और खुशियां बांटे।
असुरक्षित महसूस करते हैं वे चंद लोग
जो कि अत्यधिक ध्यान देते हैं दूसरों पर कि
कहां जा रहे हैं?क्या कर रहे हैं?क्या पहन रहे हैं?
क्या बातें कर रहे हैं?
जो है, उसी में खुश रहें भाग्य में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है सबका अपना-अपना भाग्य है।
अपने जीवन को स्थिर,खुश और शांतपूर्ण बनाने के लिए अपनी दौड़ खुद लगाना पड़ेगा।
तभी इंसान श्रेष्ठ हो सकता है।
🌹🌹🌹🌹🌹
बहुत सुंदर सकारात्मक दर्शन।
ReplyDeleteमन के सटीक भाव।
अति सुन्दर यर्थाथ
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteBe positive 👍🏻👍🏻
ReplyDeleteNice poem
Happy Sunday
रहोगे उदास तो कोई खबर नहीं पूछेगा
ReplyDeleteमुस्कुराते रहोगे तो जमाना वजह पूछेगा 😊
जीवन का मंत्र यही है कि जिंदगी अपने हिसाब से जीएं
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लेख 👏👍
Happy Sunday
ReplyDeleteतुलना और प्रतियोगिता हर खुशी को चुरा लेते हैं
ReplyDeleteअपनी शर्तों पर जीने का आनंद छीन लेते हैं
अपनी दौड़ खुद लगाओ,
किसी प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं
अपने जीवन को स्थिर,खुश और शांतपूर्ण बनाने के लिए ।
बहुत उम्दा ।
Very Nice B +
ReplyDeletevery nice.. happy sunday
ReplyDelete👏👏👏👌वाह वाह, उदाहरण सहित अति उत्तम संदेश, सकारात्मक जीवन का सत्य यही है 🙏🙏💐💐आप का बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteबेहतरीन सकारात्मक जीवन के प्रति अघा करती हुई आपकी ये कविता 👌👌
ReplyDeleteVery nice poem...
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeletePratispardha bhi jaruri hai, jivan me aage badhne ke liye...dikhawa nahi hona chahiye
ReplyDeletePratispardha bhi jaruri hai, jivan me aage badhne ke liye...dikhawa nahi hona chahiye
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