अयोध्या पहुंचीं शालिग्राम शिलाएं
जैसा कि सभी जानते हैं बुधवार देर शाम को नेपाल से शालिग्राम की 2 दिव्य शिलाएं अयोध्या पहुंच चुकी हैं। इन्हीं दोनों शिलाओं को तराश कर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा बनाई जानी है। शालिग्राम आने पर शहर शहर, नगर नगर सभी भाव विह्वल थे। हज़ारों की संख्या में लोग हाथ जोड़े किसी की प्रतीक्षा में खड़े रहे।
सर्वविदित है कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है। उसी प्रभु श्री राम, जन जन के आराध्य राम की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालिग्राम पत्थर जा रहा था। 1 फरवरी को देर रात ये शिलाएं अयोध्या पहुँची।नेपाल से चलकर बिहार होते हुए, कुशीनगर और गोरखपुर के रास्ते ये शिलाएं अयोध्या पहुँची। कोई प्रचार नहीं, कोई बुलाहट नहीं, परंतु जहां - जहां से ये शिलाएं गुज़रीं वहां पर लोग निकल आये सड़क पर... युवक, बूढ़े, बच्चे, बूढ़ी स्त्रियां, घूंघट ओढ़े खड़ी दुल्हनें, बच्चियां. सर्दी की परवाह किये बिना घंटों खड़ी रहीं।
कुछ धर्म पारायण स्त्रियां हाथ में जल अक्षत ले कर सुबह से खड़ी थीं। शिलाओं के आते ही लोगों का हुजूम दौड़ पड़ा। श्रद्धा पूर्ण हृदयों से लोग निहार रहे थे उन शिलाओं को, जिसे राम होना है।
लोग जी भरकर निहारना चाह रहे थे अपने राम को... निर्जीव पत्थर में भी अपने आराध्य को देख लेने की शक्ति पाने के लिए किसी सभ्यता को आध्यात्म का उच्चतम स्तर छूना पड़ता है। इस समय बिना किसी प्रयास के सब कुछ सहज ही प्राप्त हो रहा था। युवा लड़कियां,जोश से भरे लड़के सभी उत्साह में थे, इधर से उधर दौड़ रहे थे।
ध्यान से देखने पर हम पाएंगे कि इस भीड़ की कोई जाति नहीं थी। यहां अमीर गरीब का कोई भेद नही था, किसी को अपना वर्ण भी याद नहीं था। उन्हें बस इतना याद था कि उनके शहर से होकर भगवान राम जा रहे थे। इन शिलाओं को जाते हुए देखकर लोग अपने को सौभाग्यशाली समझ रहे थे और समझें भी क्यों न, वे अपने को सौभाग्यशाली। आखिर पाँच सौ वर्ष की प्रतीक्षा और असँख्य पीढ़ियों की तपस्या के बाद यह सौभाग्यशाली दिन उनके जीवन में आया था। इस महत्वपूर्ण पल को वे जी लेना चाहते थे। इस असीम आनंद के सागर में वे गोते लगाना चाहते थे।
इस भीड़ में कोई नेता नहीं, कोई संत नहीं और इसकी कोई विचारधारा नहीं थी, फिर भी इतना जोश, इतना उत्साह। यह शक्ति केवल और केवल प्रभु श्री राम जी में है।
यात्रा के दौरान शिलाओं वाला ट्रक बीच बीच मे रुकता भी था। लोग इसी समय आगे बढ़ कर पत्थर को छू लेना चाहते थे। कारण कुछ भी नहीं बस भगवान को स्पर्श करने का सुख। ट्रक के ऊपर चढ़े स्वयं सेवक से भीड़ प्रसाद स्वरूप शालिग्राम पर चढ़ाई गयी माला मांगती थी और माला जिसको भी मिलती उसके आगे किनारे खड़ी स्त्रियां हाथ पसारती थीं, माला के एक फूल के लिए। अच्छे अच्छे सम्पन्न घरों की देवियाँ हाथ पसारती नजर आईं। यह प्रभु श्री रामजी का ही तो प्रभाव था।
फिर भी दुर्भाग्य से कुछ लोग समझते हैं कि एक सौ पचास रुपये में खरीद कर रामचरितमानस की प्रति जला वे लोगों की आस्था को चोटिल कर देंगे। यह भीड़ गवाही दे चुकी थी कि राम जी का यह देश अखंड है, यह सभ्यता अक्षुण्ण है, सनातन अजर अमर है।
श्री राम भारत के असंख्य नर नारियों के ह्रदयों में सदैव बसे रहेंगे।
कदाचित वोट बैंक के लोभ में कुछ नेता और उनके अनुयायी पवित्र ग्रंथ की आलोचना कर रहे हैं,यह एक स्वस्थ सभ्यता के लिए कतई उचित नही है।
ReplyDeleteप्रभु श्री राम सबका कल्याण करें।
जय श्री राम।
जय श्री राम
ReplyDeleteकितनी गौरवपूर्ण है अपनी संस्कृति इसका एक उदाहरण
ReplyDeleteJai shri ram
ReplyDeleteकितना पवित्र हमारी भूमि है।यहां बगैर भेदभाव के लोग लोग मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रतिरूप इन शिलाओं के दर्शन के लिये लालायित थे और दूसरी तरफ कुछ निहित स्वार्थी लोग तुच्छ राजनीति के चक्कर मे पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस की प्रतियां जला रहे हैं । इसका फल तो उनको प्रभु अवश्य देंगें बस समय का चक्र है।🌹🙏सीताराम जय सीताराम🙏🌹
ReplyDeletejai shree ram 🙏
ReplyDeleteजय श्री राम।
ReplyDeleteजय सियाराम 🚩🙏🏻 सुप्रभात रूपा जी 🙏🏻
ReplyDeleteजय प्रभु , है प्रभु
ReplyDeleteजय प्रभु, हे प्रभु
ReplyDeleteMil k bolo..sare bolo...siyawar Ram Chand ki jai
ReplyDeleteOpen this and See Magic 👇👇
ReplyDeleteBakebuch.com/go
जय श्री राम
ReplyDelete