श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)
इस ब्लॉग के माध्यम से हम सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता प्रकाशित करेंगे, इसके तहत हम सभी 18 अध्यायों और उनके सभी श्लोकों का सरल अनुवाद हिंदी में प्रकाशित करेंगे।
श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में से अध्याय 1,2,3,4,5 और 6 के पूरे होने के बाद आज प्रस्तुत है, अध्याय 7 के सभी अनुच्छेद।
श्रीमद्भगवद्गीता ||अध्याय सात - ज्ञानविज्ञान योग ||
अथ सप्तमोऽध्यायः- ज्ञानविज्ञानयोग
अध्याय सात के अनुच्छेद 01 - 07
अध्याय सात - ज्ञानविज्ञानयोग
08-12 संपूर्ण पदार्थों में कारण रूप से भगवान की व्यापकता का कथन
13-19 आसुरी स्वभाव वालों की निंदा और भगवद्भक्तों की प्रशंसा
20-23 अन्य देवताओं की उपासना और उसका फल
24-30 भगवान के प्रभाव और स्वरूप को न जानने वालों की निंदा और जाननेवालों की महिमा
अध्याय सात के अनुच्छेद 01-07 में विज्ञान सहित ज्ञान का विषय,इश्वर की व्यापकता बताया गया है।
श्रीभगवानुवाच
भावार्थ :
श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्त चित तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार से सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्यादि गुणों से युक्त, सबके आत्मरूप मुझको संशयरहित जानेगा, उसको सुन॥1॥
भावार्थ :
मैं तेरे लिए इस विज्ञान सहित तत्व ज्ञान को सम्पूर्णतया कहूँगा, जिसको जानकर संसार में फिर और कुछ भी जानने योग्य शेष नहीं रह जाता॥2॥
भावार्थ :
हजारों मनुष्यों में कोई एक मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई एक मेरे परायण होकर मुझको तत्व से अर्थात यथार्थ रूप से जानता है॥3॥
भावार्थ :
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार भी- इस प्रकार ये आठ प्रकार से विभाजित मेरी प्रकृति है। यह आठ प्रकार के भेदों वाली तो अपरा अर्थात मेरी जड़ प्रकृति है और हे महाबाहो! इससे दूसरी को, जिससे यह सम्पूर्ण जगत धारण किया जाता है, मेरी जीवरूपा परा अर्थात चेतन प्रकृति जान॥4-5॥
भावार्थ :
हे अर्जुन! तू ऐसा समझ कि सम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से ही उत्पन्न होने वाले हैं और मैं सम्पूर्ण जगत का प्रभव तथा प्रलय हूँ अर्थात् सम्पूर्ण जगत का मूल कारण हूँ॥6॥
भावार्थ :
हे धनंजय! मुझसे भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत सूत्र में सूत्र के मणियों के सदृश मुझमें गुँथा हुआ है॥7॥
जय भगवान कृष्ण
ReplyDeleteश्रीमद्भागवत पुराण की जय हो 🙏🚩
ReplyDeleteJai shree shree krishna 🙏
ReplyDeleteमहत्ती कार्य।
ReplyDelete🙏🏼🙏🏼
सटीक अनुवाद।
ReplyDeleteश्री मद भगवत पुराण को प्रणाम 🙏🏻
ReplyDeleteकई दिन से तुम्है देखा नही है
ReplyDeleteये आखो के लिये अच्छा नही है
ReplyDeleteकई दिन से तुम्है देखा नही है
ये आखो के लिये अच्छा नही है
जानकारी की पाठशाला
ReplyDeleteगजब की मेहनत करने वाली हैं ये
ReplyDeleteराधे राधे, जय श्री कृष्णा
ReplyDeleteRadhe radhe
ReplyDeleteकर्म करना आप का अधिकार है,फल में नहीं।
ReplyDeleteJai shree krishna
ReplyDelete🙏गोविंद🙏
ReplyDeleteयह सम्पूर्ण जगत सूत्र में सूत्र के मणियों के सदृश गोविंद गुँथा हुआ है🙏हे गोविंद🙏
‼️ श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा ‼️
ReplyDelete🙏🏻🪷 राधे राधे रूपा जी 🪷🙏🏻
Jai shree krishna
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण
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