बजरंगबली की दिव्य उधारी
क्या आप जानते हैं प्रभु श्री राम जी के ऊपर दिव्य रूप से श्री महावीर बजरंगबली का कर्ज है... कैसे है? आज इस ब्लॉग (#RupaOosKiekBoond) में चर्चा करते हैं बजरंगबली जी की दिव्य उधारी के विषय में।
रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो, भगवान ने विभीषण जी, जामवंत जी, अंगद जी, सुग्रीवजी सब को अयोध्या से विदा किया तो सब ने सोचा हनुमानजी को प्रभु बाद में बिदा करेंगे, लेकिन रामजी ने हनुमानजी को विदा ही नहीं किया, अब प्रजा बात बनाने लगी कि क्या बात सब गए हनुमानजी नहीं गए अयोध्या से।
अब दरबार में काना फूसी शुरू हुई कि हनुमानजी से कौन कहे जाने के लिए? तो सबसे पहले माता सीता की बारी आई कि आप ही बोलो कि हनुमानजी चले जाएं। माता सीता बोलीं मैं तो लंका में विकल पड़ी थी, मेरा तो एक एक दिन एक एक कल्प के समान बीत रहा था, वो तो हनुमानजी थे, जो प्रभु मुद्रिका ले के गए और धीरज बंधवाया कि...
कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा।।
निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं।
तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं॥
मैं तो अपने बेटे से बिल्कुल भी नहीं बोलूंगी अयोध्या छोड़कर जाने के लिए। आप किसी और से बुलवा लो। अब बारी आई लक्ष्मण जी की तो लक्ष्मण जी ने कहा, मैं तो लंका के रणभूमि में वैसे ही मरणासन्न अवस्था में पड़ा था, पूरा रामदल विलाप कर रहा था।
आइ गयउ हनुमान जिमि करुना महँ बीर रस।।
ये जो खड़ा है ना, वो हनुमानजी का लक्ष्मण है। मैं कैसे बोलूं, किस मुंह से बोलूं कि हनुमानजी अयोध्या से चले जाएं?
अब बारी आई भरत जी की, अरे भरत जी तो इतना रोए कि रामजी को अयोध्या से निकलवाने का कलंक तो वैसे ही लगा है मुझ पर, हनुमान जी का सब मिलके और लगवा दो और दूसरी बात ये कि मैंने तो नंदीग्राम में ही अपनी चिता लगा ली थी, वो तो हनुमानजी थे जिन्होंने आकर ये खबर दी कि...
अधम कवन जग मोहि समाना॥
सीता सहित अनुज प्रभु आवत॥
मैं तो बिल्कुल न बोलूं हनुमानजी से अयोध्या छोड़कर चले जाओ आप किसी और से यह बात कहलवा लो।
अब बचा कौन..?
सिर्फ शत्रुघ्न भैया जैसे ही सब ने उनकी तरफ देखा, तो शत्रुघ्न भैया बोल पड़े, मैंने तो पूरी रामायण में कहीं नहीं बोला, तो आज ही क्यों बुलवा रहे हो और वो भी हनुमानजी को अयोध्या से निकालने के लिए, जिन्होंने मातासीता, लक्षमण भैया, भरत भैया सब के प्राणों को संकट से उबारा हो। किसी अच्छेकाम के लिए कहते तो बोल भी देता मैं, परन्तु ये तो बिल्कुल भी न बोलूं।
अब बचे तो प्रभु श्री राम। मातासीता ने कहा प्रभु आप तीनों लोकों के स्वामी हैं और देखती हूं आप हनुमानजी से सकुचाते हैं आपखुद भी कहते हो कि..
सनमुख होइ न सकत मन मोरा॥
आखिर आप के लिए क्या अदेय है प्रभु! राघवजी ने कहा देवी कर्जदार जो हूं, हनुमान जी का इसलिए तो
सनमुख होइ न सकत मन मोरा॥
देवी सीते! हनुमानजी का कर्जा उतारना आसान नहीं है, इतनी सामर्थ्य राम में नहीं है, जो "राम नाम" में है। क्योंकि कर्जा उतारना भी तो बराबरी का ही पड़ेगा न। यदि सुनना चाहती हो तो सुनो हनुमानजी का कर्जा कैसे उतारा जा सकता है? पहले हनुमान विवाह करें,
मुदरी लै रघुनाथ चलै, निज पौरुष लांघि अगम्य जे वारी।
अयि कहें,सुधि सोच हरें, तन से, मन से होई जाएं उपकारी।
तब रघुनाथ चुकायि सकें,ऐसी हनुमान की दिव्य उधारी॥
देवी! इतना आसान नहीं है हनुमान का कर्जा चुकाना मैंने ऐसे ही नहीं कहा था कि..
"सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं"
मैंने बहुत सोच विचार कर था लेकिन यदि आप कहती हो, तो कल राज्य सभा में बोलूंगा कि हनुमानजी भी कुछ मांग लें।
दूसरे दिन राज्य सभा में सब एकत्र हुए, सब बड़े उत्सुक थे कि हनुमानजी क्या मांगेंगे, और रामजी क्या देंगे?
रामजी ने हनुमान जी से कहा - सब लोगों ने मेरी बहुत सहायता की और मैंने, सब को कोई न कोई पद दे दिया। विभीषण और सुग्रीव को क्रमश लंका और किष्कन्धा का राजपद, अंगद को युवराज पद, तो तुम भी अपनी इच्छा बताओ?
हनुमानजी बोले - प्रभु आप ने जितने नाम गिनाए, उन सब को एक एक पद मिला है, और आप कहते हो लोग बहुत खुश हुए कि आज हनुमानजी का कर्जा चुकता हुआ।
हनुमानजी ने कहा - प्रभु जो पद आप ने सबको दिए हैं, उनके पद में राजमद हो सकता है, तो मुझे उस तरह के पद नहीं चाहिए, जिसमें राजमद की शंका हो। फिर राम जी ने हनुमान जी से कहा तो फिर आप को कौन सा पद चाहिए?
हनुमानजी ने रामजी के दोनों चरण पकड़ लिए
"तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना"
तो फिर यदि मै दो पद मांगू तो?
सब लोग सोचने लगे बात तो हनुमानजी भी ठीक ही कह रहे हैं। रामजी ने कहा - ठीक है, मांग लो। हनुमान जी ने कहा - प्रभु! हनुमान को तो बस यही दो पद चाहिए।
नहीं कोउ रामचरण अनुरागी।।
जानकी जी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए राघवजी बोले, लो उतर गया हनुमानजी का कर्जा।
और अभी तक जिसको बोलना था, सब बोल चुके हैं, अब जो मैं बोलता हूं उसे सब सुनो, रामजी भरत भैया की तरफ देखते हुए बोले...
"हे भरत! कपि से उऋण हम नाही"
हम चारों भाई चाहे जितनी बार जन्म लेे लें, हनुमानजी से उऋण नहीं हो सकते।
🚩 जय श्री हनुमान जी महाराज की जय
पठनीय प्रसंग
ReplyDeleteॐ हं हनुमते नमः
जय श्री राम 🙏🚩
ReplyDeleteJai bajrang bali
ReplyDeleteजय बजरंग बली।
ReplyDeleteॐ हं हनुमते नमः
ReplyDeleteजय बजरंग बली
ReplyDeleteJai shree Ram
ReplyDelete👌👌 जय श्री राम 🚩 🙏
ReplyDeleteजय बजरंग बली की🙏
ReplyDeleteJai bajrangbali
ReplyDeleteJai bajrang bali 🙏🏻
ReplyDeleteJai siya Ram Jai Jai Hanuman
ReplyDeleteजय बजरंग बली
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