श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)
इस ब्लॉग के माध्यम से हम सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता प्रकाशित करेंगे, इसके तहत हम सभी 18 अध्यायों और उनके सभी श्लोकों का सरल अनुवाद हिंदी में प्रकाशित करेंगे।
श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों में से अध्याय 1,2,3,4 और 5 के पूरे होने के बाद आज प्रस्तुत है अध्याय 6 के सभी अनुच्छेद।
श्रीमद्भगवद्गीता ||अध्याय छः - आत्मसंयमयोग ||
अथ षष्ठोऽध्यायः ~ आत्मसंयमयोग
अध्याय छः के अनुच्छेद 01 - 04
अध्याय छः - आत्मसंयमयोग
01-04 कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग का महत्व05-10 आत्म-उद्धार की प्रेरणा और भगवत्प्राप्त पुरुष के लक्षण एवं एकांतसाधना का महत्व11-15 आसन विधि, परमात्मा का ध्यान, योगी के चार प्रकार16-32 विस्तार से ध्यान योग का विषय33-36 मन के निग्रह का विषय37-47 योगभ्रष्ट पुरुष की गति का विषय और ध्यानयोगी की महिमा
अध्याय छः के अनुच्छेद 01-04 में कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग का महत्व बताया गया है।
श्रीभगवानुवाच
भावार्थ :
श्री भगवान बोले- जो पुरुष कर्मफल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का त्याग करने वाला संन्यासी नहीं है तथा केवल क्रियाओं का त्याग करने वाला योगी नहीं है॥1॥
भावार्थ :
हे अर्जुन! जिसको संन्यास (गीता अध्याय 3 श्लोक 3 की टिप्पणी में इसका खुलासा अर्थ लिखा है।) ऐसा कहते हैं, उसी को तू योग (गीता अध्याय 3 श्लोक 3 की टिप्पणी में इसका खुलासा अर्थ लिखा है।) जान क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरुष योगी नहीं होता॥2॥
भावार्थ :
योग में आरूढ़ होने की इच्छा वाले मननशील पुरुष के लिए योग की प्राप्ति में निष्काम भाव से कर्म करना ही हेतु कहा जाता है और योगारूढ़ हो जाने पर उस योगारूढ़ पुरुष का जो सर्वसंकल्पों का अभाव है, वही कल्याण में हेतु कहा जाता है॥3॥
भावार्थ :
जिस काल में न तो इन्द्रियों के भोगों में और न कर्मों में ही आसक्त होता है, उस काल में सर्वसंकल्पों का त्यागी पुरुष योगारूढ़ कहा जाता है॥4॥
गीता के उपदेश जीवन मे अमल करने योग्य हैं।
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🌹
ReplyDeleteOm namo narayanay 🙏
ReplyDeleteॐ श्री नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🏻
ReplyDeleteNamo bhagwate vasudevay namah
ReplyDeleteॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ReplyDelete🙏🏻 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🏻
ReplyDeleteहरि ओम नमो नारायणा good Evening Rupa Ji
Jai ho
ReplyDeleteJai shree krishna 🙏🏻
ReplyDeleteOm namo narayana 🙏
ReplyDeleteनिष्काम कर्म ही गीता की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।
ReplyDeleteJai Shri Krishna 🙏🙏
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
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