श्रीनिवास रामानुजन् (Srinivas Ramanujan)
श्रीनिवास रामानुजन् ( Srinivas Ramanujan)(जन्म: 22 दिसम्बर 1887, मृत्यु: 20 अप्रैल 1920) एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। जिनका जन्म 22 दिसम्बर 1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयम्बटूर के ईरोड नामके गांव में हुआ था। वह पारम्परिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। इनकी माता का नाम कोमलताम्मल और इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था। इनका बचपन मुख्यतः कुंभकोणम में बीता था, जो कि अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है।
बचपन में रामानुजन का बौद्धिक विकास सामान्य बालकों जैसा नहीं था। वह तीन वर्ष की आयु तक बोलना भी नहीं सीख पाए थे। लोगों को यह संदेह हो चला था कि कहीं रामानुजन गूंगे तो नहीं हैं।
प्रारंभिक शिक्षा में इनका कभी भी मन नहीं लगा। बाद में 10 वर्ष की आयु में प्राइमरी परीक्षा में रामानुजन पूरे जिले में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए। उन्हें प्रश्न पूछना बहुत ज्यादा पसंद था। उनके प्रश्न अध्यापकों को कभी-कभी बहुत अटपटे लगते थे। जैसे कि संसार में पहला पुरुष कौन था? पृथ्वी और बादलों के बीच की दूरी कितनी होती है?
रामानुजन बहुत शांत स्वभाव के थे। उनका व्यवहार बहुत ही मधुर था। उनका सामान्य से अधिक स्थूल शरीर और जिज्ञासा से भरी आंखें इन्हें एक अलग पहचान देती थी। रामानुजन के सहपाठियों के अनुसार इनका व्यवहार इतना सौम्य था कि कोई भी उनसे नाराज हो ही नहीं सकता था।
प्रारम्भ से ही रामानुजन का गणित के प्रति रुझान बहुत ज्यादा था। एक बार इनके विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने यह भी कहा था कि विद्यालय में होने वाली परीक्षाओं के मापदंड रामानुजन के लिए लागू नहीं होते हैं। हाई स्कूल की परीक्षा में इन्हें गणित और अंग्रेजी में अच्छे अंक लाने के कारण सुब्रमण्यम छात्रवृत्ति मिली और आगे कॉलेज की शिक्षा के लिए प्रवेश भी मिला। रामानुजन का गणित के प्रति प्रेम इतना प्रगाढ़ हो गया था कि वह दूसरे विषयों पर बिल्कुल भी ध्यान ही नहीं देते थे। यहां तक कि वह इतिहास और जीव विज्ञान की कक्षा में भी गणित के प्रश्नों को हल किया करते थे। नतीजा यह हुआ कि रामानुजन 11वीं की कक्षा में गणित छोड़कर बाकी सभी विषयों में फेल हो गए और उनको छात्रवृत्ति मिलनी बंद हो गई।
घर की आर्थिक स्थिति खराब और ऊपर से छात्रवृत्ति भी नहीं मिल रही थी, जिसकी वजह से रामानुजन को बहुत ही कठिन समय का सामना करना पड़ा। घर की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने गणित के कुछ ट्यूशन और खाते- बही खाते का काम करना प्रारंभ कर दिया। कुछ समय पश्चात 1907 में रामानुजन ने फिर से 12वीं कक्षा की प्राइवेट परीक्षा दी और फिर से फेल हो गए और इसी के साथ उनके पारंपरिक शिक्षा की इतिश्री हो गई।
रामानुजन ने वर्ष 1918 में 31 साल की उम्र में गणित के 120 सूत्र लिखे और अपनी शोध को अंग्रेजी प्रोफ़ेसर जी.एच. हार्डी के पास भेजे। हार्डी ने उस शोध को पढ़ा और उन शोध पत्रों से वे अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (cambridge university) आने का न्योता दिया। फिर अक्टूबर 1918 में रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज की सदस्यता प्रदान की गयी। ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे।
26 अप्रैल 1920 को मात्र 33 वर्ष की आयु में TB(Tuberculosis) बीमारी के कारण रामानुजन ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली। श्रीनिवास जी को खोना सम्पूर्ण विश्व के लिए अपूर्णीय क्षति थी। रामानुजन ने अपने 33 वर्ष के जीवन में 3884 समीकरण बनाये, जिनमें से कई तो आज भी अनसुलझी हैं। गणित में 1729 को रामानुजन नंबर से जाना जाता हैं। भारत के तमिलनाडु राज्य में रामानुजन के जन्मदिन को IT दिवस और भारत में NATIONAL MATHEMATICS DAY रूप में बनाया जाता हैं। श्रीनिवास रामानुजन को “MAN WHO KNEW INFINITY” कहा जाता हैं। 2014 में इनके जीवन में तमिल फिल्म “रामानुजन का जीवन” बनाई गयी थी। 2015 में इन पर एक और फिल्म आई जिसका नाम “THE MAN WHO KNEW INFINTY ” था।
श्रीनिवास रामानुजन के बारे में रोचक तथ्य | Interesting facts about Srinivasa Ramanujan
उनकी जीवन कहानी भी उनकी ही तरह रोचक है:
- महान गणितज्ञ Srinivasa Ramanujan को man Who Knew Infinity कहा जाता है, क्योंकि इनके गणित में दिए योगदान में सबसे ज्यादा सूत्र Infinity सीरीज के थे।
- क्या आप जानते है, श्रीनिवास रामानुजन जैसे गणितज्ञ कभी स्कूल जाना नही चाहते थे।
- श्रीनिवास रामानुजन् अपने गणित के पेपर को आधे से कम समय में हल कर लेते थे।
- इन्होंने 11 वर्ष की उम्र में ही college के लेवल की गणित सिख ली थी। और 13 वर्ष की उम्र आते आते ये अपनी थ्योरम बनाने लग गए थे।
- गणित में अपनी योग्यता के कारण रामानुजन को कॉलेज से स्कॉलरशिप मिली लेकिन उनका ध्यान हमेशा गणित में रहता। इस कारण वो और विषयो में फेल हो गए और उनकी scholership छीन ली गई।
- Srinivasa Ramanujan की कहानी में मोड़ जब आया जब वो 22 साल के थे और उनकी शादी 10 साल की जानकी नाम की लड़की से कर दी गई और उनको Hydrocele Testing नाम की एक अंडकोष की बीमारी हो गई। लेकिन रामानुजन के परिवार के पास पैसे ना होने के कारण डॉक्टरों ने उनका इलाज फ्री किया और वो बच गए।
- श्रीनिवास रामानुजन् एक बार खुदकुशी करने वाले थे, लेकिन समय पर इंग्लैंड पुलिस पहुंच गई और उन्हें जेल ले ही जाने वाले थे कि प्रोफेसर होली ने उनके बारे में पुलिस को बोला की FRS के सदस्य है और कुछ दिन बाद वैज्ञानिक रामानुजन सच में FRS के सदस्य बन गए।
बेहरारीन जानकारी
ReplyDeleteमहान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को शत शत नमन
Intresting information
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteरोचक तथ्य 👌🏻
ReplyDeleteरामानुजन जी को शत शत नमन 🙏🙏
ReplyDeletenaman🙏
ReplyDeleteजीवनी से अवगत के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteहमारे देश का स्वाभिमान। बहुत अच्छा लिखा आपने
ReplyDeleteInteresting.
ReplyDeleteस्वामी विवेकानंद और रामानुजन.. हमारे देश के गौरव.. समाज के कर्णधार.. बहुत जल्दी दुनिया छोड़ कर चले गए
ReplyDeleteसुंदर लेखन
ReplyDeleteगणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को शत शत नमन🙏🙏
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteSalute
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