Cricket News: Latest Cricket News, Live Scores, Results, Upcoming match Schedules | Times of India

Sportstar - IPL

केला और नारियल पूजा पाठ में खास स्थान क्यों रखते है?

केला और नारियल पूजा पाठ में खास स्थान क्यों रखते है?

सभी धर्मों की अपनी अलग अलग पूजा पद्दतियाँ होती हैं। हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा होती है तो इस्लाम धर्म को मानने वाले नमाज पढ़ते हैं। सिख धर्म में गुरु ग्रन्थ साहेब की पूजा होती है तो ईसाई धर्म को मानने वाले जिसेस क्राइस्ट की पूजा करते हैं। सब धर्मों का सार एक है, सिर्फ पद्धतियां अलग अलग हैं। 

केला और नारियल पूजा पाठ में खास स्थान क्यों रखते है?

हिन्दू पूजा पद्दति में भगवान को पुष्प अर्पण करने, जल अर्पण करने तथा भोग लगाने का विधान है। कुछ जगहों पर तो घरों में जो जो व्यंजन या पकवान बनते हैं वो सभी भगवान् को भोग लगाया जाता है। यहाँ आज भगवान को अर्पण होने वाले फल की चर्चा करते हैं। वैसे तो भगवान को सारे फल अर्पण किये जाते हैं, परंतु उसमें भी केला और नारियल विशेष महत्व रखते हैं। ऐसा क्या अंतर है केला, नारियल और बाकि फलों में? 

केला और नारियल पूजा पाठ में खास स्थान क्यों रखते है?

नारियल और केला ही दो ऐसे फल हैं जिन्हें “पवित्र फल” माना जाता है। नारियल और केला ये दो ही ऐसे फल हैं, जो किसी के जूठे बीज से उत्पन्न नहीं होते, मतलब अगर हमें आम का पेड़ लगाना है, तो हम आम को खाते हैं और उसके बीज या गुठली को जमीन में गाड़ते हैं, तो वह पौधे के रूप में उगता है, या फिर ऐसे ही गुठली निकाल के लगा दें तो भी वह उस पेड़ का बीज (जूठा या अंग) ही हुआ, लेकिन केले का या नारियल का पेड़ लगाने को केवल जमीन से निकला हुआ पौधा (ओधी) ही लगाते हैं, जो की खुद में ही पूर्ण है, न किसी का बीज न हिस्सा, न झूठा, तर्क यह है कि अन्य सभी फल दागी फल (आंशिक रूप से खाए गए फल) हैं। केला व नारियल के बचे हुए हिस्से को फेंकने से इसके पेड़ नहीं उगते हैं और न ही किसी चिड़िये की बीट से। 

यदि हम केला खाकर उसका छिलका फेंक दें, तो उसमें से कुछ भी नहीं निकलेगा। केले के पेड़ को उसके बीज लगाकर या केले के प्रकंद लगाकर ही उगाया जा सकता है। इसी प्रकार नारियल के साथ भी, यदि नारियल खाते हैं और उसका बाहरी आवरण फेंकते हैं, तो उसमें से कुछ भी नहीं निकलेगा। एक नारियल का पेड़ उगाने के लिए पूरे नारियल को भूसी के साथ बोना होता है।

दूसरी ओर अन्य फलों के खाए हिस्से को फेकने या चिड़िये की बीट से भी उसके पौधे उग आते हैं। इसलिए इन फलों को शुद्ध या पवित्र नहीं माना जाता है। दूसरी ओर केला व नारियल को पवित्र फल माना गया है और भगवान के भोग के लिए सबसे उचित माना गया है। इसलिए भगवान को सम्पूर्ण फल अर्पित किया जाता है। 

11 comments:

  1. बेहद महत्वपूर्ण जानकारी धन्यवाद हर हर महादेव 🙏🔱🚩🌹

    ReplyDelete
  2. भगवान पर न विश्वास करने वाले लोग ही हर चीज को धर्म से जोड़कर देखते है

    ReplyDelete
  3. पवन कुमारNovember 21, 2022 at 2:18 PM

    बहुत ही दिलचस्प बातें बतलाई हैं आपने।
    पवित्रता के साथ उगने वाले फल नारियल
    और केला है बाकी तो जूठे बिज से भी उग
    जाते है। ऐसे विलक्षण जानकारी प्रदान करने
    के लिये आपका आभार🌹🙏गोविंद🙏🌹

    ReplyDelete
  4. सनातन सर्वश्रेष्ठ है 🙏🏻

    ReplyDelete
  5. बहुत अच्छी जानकारी दी है

    ReplyDelete
  6. इस तरफ कभी ध्यान नहीं गया कि केला और नारियल को उत्तम फल मानने का कारण क्याहै.. बहुत अच्छी जानकारी आज के ब्लॉग द्वारा मिली .. धन्यवाद 👍👍👌

    ReplyDelete
  7. सभी से शेयर करने योग्य बेहतरीन जानकारी

    ReplyDelete