सबसे बड़ा जादूगर
जादूगर का खेल हमेशा से ही लोगों के लिए मनोरंजन का साधन रहा है। एक बार की बात जब राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक जादूगर आया। उसने कहा कि वह देश विदेश में बहुत जगह जादू दिखा चूका है और उसको बहुत इनाम मिले हैं। मैं यहाँ दरबार में भी जादू का खेल दिखाना चाहता हूँ। राजा के कहने पर उसने अपना जादू दिखाना शुरू किया।
उसने कहा कि यह जादू एक प्रकार की हाथों की सफाई होती है। अगर किसी की नज़रें तेज़ हो तो वह इसको पकड़ भी सकता है। आप सब इस जादू को ध्यान से देखिये। उसने एक कबूतर के ऊपर लाल कपड़ा डालकर उसको अंडे में बदल दिया। वह बोला किसी ने देखा मैंने कैसे कबूतर को अंडे में बदल दिया? किसी को मेरे हाथ की सफाई का पता लगा मैंने यह कैसे किया? क्या यहाँ दरबार में सभी लोगों की आँखे कमजोर हैं। इसके बाद उसने उस अंडे के ऊपर लाल कपड़ा डाला और उसको सोने के सिक्के में बदल दिया। इसके बाद भी उसने सभी लोगों से पूछा किसी को मेरे हाथ की सफाई नज़र आयी।
उसने तेनालीराम को कहा कि आप तो बहुत बुद्धिमान हैं, लेकिन इस जादू के खेल में बुद्धिमानी काम नहीं आएगी। आपको तेज़ नज़रो से इसको पकड़ना होगा। फिर उस जादूगर ने कहा कि ध्यान से देखना कैसे मैं इस सोने के सिक्के को हवा में गायब करता हूँ? इसके बाद उसने सोने के सिक्के को ऊपर फेंका और वह गायब हो गया। जिससे सभी दरबार के लोग हैरान रह गए। उसने तेनालीराम को कहा कि आपकी आँखे भी कमजोर हैं। आप भी मेरा जादू नहीं पकड़ सके।
इसके बाद वह दरबार में मौजूद सभी लोगों को कहने लगा कि कोई ऐसा व्यक्ति है, जो मेरे जैसा कुछ करके दिखा सकें। उसके घमंड को देखते हुए तेनालीराम ने कहा की मैं जो बंद आँखों से कर सकता हूँ, उसको तुम खुली आँखों से भी नहीं कर सकते।
तेनालीराम की बात सुनकर जादूगर बोला, जो आप बंद आँखों से करोगे अगर मैं खुली आँखों से भी नहीं कर सका तो मैं आपका गुलाम बन जाऊंगा। यदि मैंने वह कर लिया तो आपको मेरा गुलाम बनना पड़ेगा। जब यह बात तय हो गयी तो तेनालीराम के कहने पर एक सैनिक लाल मिर्च का पाउडर लेकर आया।
तेनाली ने अपनी आँखे बंद की और लाल मिर्च के पाउडर को अपनी आँखों के ऊपर डाल दिया। उसके बाद अपनी आंखे खोल ली। यह देखकर जादूगर ने सोंचा अब तो मैं फ़स चुका हूँ। अगर मैंने मिर्च का पाउडर अपनी आँखों में डाला तो मेरी आँखे फुट जाएँगी। अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मुझे तेनालीराम का गुलाम बनना पड़ेगा। उसने तेनालीराम से माफ़ी मांगी कि आप बहुत बुद्धिमान हैं मैं आपकी गुलामी को स्वीकार करता हूँ।
तेनालीराम ने कहा :- मैं तुम्हें गुलाम नहीं बनाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि तुम अपना घमंड और बदतमीजी छोड़ कर जादू का खेल दिखाओ और सभी लोगों की इज्जत करो।
जादूगर ने कहा:- आगे से वह ऐसा ही करेगा। इसके बाद वह चला गया।
राजा ने तेनालीराम से कहा मैंने तुमसे बड़ा जादूगर नहीं देखा, जिसने बत्तमीज और घमंडी जादूगर को कुछ देर में ही ठीक कर दिया। इसके बाद सब दरबारी हँसने लगे।
English Translate
the greatest magician
The game of magician has always been a means of entertainment for the people. Once upon a time, a magician came to the court of King Krishna Deva Raya. He said that he has shown magic in many places in the country and abroad and he has got many rewards. I want to show a game of magic here in the court also. At the behest of the king, he started showing his magic.
He said that this magic is a kind of sleight of hand. If someone's eyesight is sharp, he can even catch it. All of you watch this magic carefully. He put a red cloth over a pigeon and turned it into an egg. He said, did someone see how I turned a pigeon into an egg? Anyone know of my sleight of hand How did I do it? Are the eyes of all the people here in the court weak? After this he put a red cloth over that egg and turned it into a gold coin. Even after this, he asked all the people, did anyone see the cleanliness of my hands.
He told Tenaliram that you are very intelligent, but intelligence will not work in this magic game. You have to catch it with a sharp eye. Then the magician said that watch carefully how do I make this gold coin disappear in the air? After this he threw the gold coin up and it disappeared. Due to which all the people of the court were astonished. He told Tenaliram that your eyes are also weak. You too could not catch my magic.
After this he started telling all the people present in the court that there is such a person who can show something like me. Seeing his pride, Tenaliram said that what I can do with closed eyes, you cannot do it even with open eyes.
After listening to Tenaliram, the magician said, what you will do with closed eyes, if I could not do it even with open eyes, then I will become your slave. If I do that then you will have to be my slave. When this was settled, a soldier brought red chili powder at the behest of Tenaliram.
Tenali closed her eyes and poured red chili powder over her eyes. After that he opened his eyes. Seeing this, the magician thought, now I am stuck. If I put chili powder in my eyes, my eyes will burst. If I do not do this then I will have to become a slave of Tenaliram. He apologized to Tenaliram that you are very intelligent, I accept your slavery.
Tenaliram said: - I do not want to make you a slave. I want you to leave your arrogance and rudeness and show the game of magic and respect all the people.
The magician said: - From now on he will do the same thing. After that he left.
The king said to Tenaliram, I have not seen a greater magician than you, who cured the arrogant and arrogant magician in a short time. After this all the courtiers started laughing.
Nice story 👌 👏 👍
ReplyDeleteबहुत सुंदर कहानी है सही है कभी भी किसी भी चीज का घमंड नही करना चाहिए ओर न किसी को कमजोर समझना चाहिए
ReplyDeleteहां जी ☘️
Delete🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteहमेशा की तरह तेनालीराम है नंबर वन
ReplyDeleteशानदार स्टोरी 👌👌
ReplyDeleteचतुर तेनालीराम
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteVery nice story 👌 👍
ReplyDeleteअच्छी कहानी
ReplyDeleteVery nice story.
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteTarlochan singh
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteThank you.
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