बाथू की लड़ी (Bathu ki Ladi)
आज आपको एक ऐसी जगह लिए चल रहे हैं, जहां दूर-दूर तक नीला आसमान और नीले आसमान के नीचे दूर-दूर तक नीला पानी और जितनी दूर तक नजर जाए उतनी दूर तक मैदान और मैदान के आगे पहाड़ियां नजर आती हैं।
नीले आसमान के नीचे नीला पानी, यह दृश्य घंटों तक आपको यहां रोके रखने के लिए पर्याप्त है। यहां किसी भी तरह का शोर-शराबा, गाड़ियों की हॉर्न या कुछ भी नहीं था, सिर्फ हवाओं की सांए सांए और पानी की कल कल ध्वनि के अलावा। यहां पहुंचने के बाद लग रहा था कि इस दृश्य को आंखों में और कैमरे में हमेशा के लिए कैद कर लिया जाए।
तो फिर जानते हैं यह दृश्य कहां की है और इस जगह को किस नाम से जानते हैं? यह सुंदर दृश्य हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में है, जो "बाथू की लड़ी (Bathu ki Ladi)" नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर का आसपास का नजारा बेहद मनोरम है, जिसकी और कोई भी आकर्षित हो जाए। चारों तरफ पानी और बीच में मंदिरों का समूह बेहद खूबसूरत नजर आता है।
"बाथू की लड़ी (Bathu ki Ladi)" हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जनपद में मंदिरों का एक समूह है। यह मंदिर 1970 में "पोंग बांध (Pong Dam)" निर्माण के कारण बने जलाशय "महाराणा प्रताप सागर" में जलमग्न है। मंदिर समूह तक केवल मई-जून में ही पहुंचा जा सकता है, क्योंकि बाकी के महीनों में यह मंदिर पूरी तरीके से पानी में डूबा रहता है और उसकी चोटी का थोड़ा सा हिस्सा ही पानी के बाहर रहता है। मंदिर समूह तक नाव द्वारा पहुंचा जा सकता है।
बाथू की लड़ी मंदिर की स्थापना छठी शताब्दी में गुलेरिया साम्राज्य के समय की गई थी। बाथू की लड़ी के अंतर्गत मंदिरों में भगवान शिव विराजमान हैं। मंदिरों की उत्पत्ति के बारे में कई लोग कथाएं प्रचलित हैं। मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी और वे यहां से स्वर्ग तक सीढ़ी बनाना चाहते थे।
साल के 8 महीने पानी में डूबा रहता है यह मंदिर
बाथू की लड़ी अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है। यह एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जो 8 महीने तक पानी के अंदर रहता है और सिर्फ 4 महीने के लिए ही भक्तों को दर्शन देता है। इस मंदिर की इमारत में लगे पत्थर को बाथू का पत्थर कहा जाता है। बाथू मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा अन्य आठ छोटे मंदिर भी हैं, जिन्हें दूर से देखने पर एक माला में पिरोया हुआ सा प्रतीत होता है। शायद इसीलिए इस खूबसूरत मंदिर को बाथू की लड़ी कहा जाता है। इस मंदिर में शेषनाग भगवान विष्णु की मूर्तियां स्थापित है और बीच में एक मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है।
पानी में डूबने के बाद ऊपरी सिरा नजर आता है
8 महीने पानी में पूरे डूबने के बाद भी इसका ऊपरी सिरा शेष रह जाता है। यह मंदिर कभी भी पूरी तरीके से नहीं डूबता। इस मंदिर को लेकर कई किवदंती या प्रसिद्ध है जिसकी जानकारी वहां के स्थानीय लोगों से मिलती है।
पांडवों द्वारा बनाई गई स्वर्ग जाने की सीढियां
यहां प्रसिद्ध लोक कथाओं के अनुसार जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब उन्होंने यहां स्वर्ग जाने की सीढ़ियां तैयार की थी। अज्ञातवास पर निकले पांडव यहां पहुंचकर पहले शिव मंदिर यानी बाथू की लड़ी का निर्माण किए, फिर यहीं उन्होंने स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बनाने का फैसला लिया।
भगवान कृष्ण ने 6 महीने की एक रात बना दी
पांडवों ने इस मंदिर के साथ स्तम्भी की अनुकृति जैसा भवन बनाकर स्वर्ग तक जाने के लिए सीढियाँ भी बनाई थी, जिनका निर्माण उन्हें एक रात में करना था और एक रात में स्वर्ग तक सीढ़ियां बना पाना असंभव था। इसके लिए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से मदद की गुहार की। फलस्वरूप भगवान श्री कृष्ण ने 6 महीने की एक रात कर दी, परंतु 6 महीने की एक रात में स्वर्ग की सीढ़ियां बनकर तैयार ना हो सकी थी। सिर्फ ढाई सीढ़ियों का काम अधूरा रह गया था और सुबह हो गई थी। आज भी इस मंदिर में स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढियाँ नजर आती हैं, जिसमें 40 सीढ़ियां मौजूद हैं।
40 सीढियाँ चढ़कर ऊपर जाने बाद पानी में देख़ने से लग रहा था मानो मंदिर पानी में घूम रही हो। यह नजारा कुछ ज्यादा ही मनोरंजक था, पर ऊंचाई से पानी में देखने से डर भी लग रहा था।
सूर्य की किरणें शिवलिंग के चरण स्पर्श करती हैं
वहां के प्रसिद्ध लोक कथाओं के मुताबिक इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब सूर्य अस्त होने वाला होता है, तब सूर्य की किरणें बाथू की लड़ी मंदिर में स्थित शिवलिंग के चरण स्पर्श करती हैं। भारत देश का यह चमत्कारिक अद्भुत मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए भारत देश से ही नहीं अपितु विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।
पत्थर से निकलता है खून
यहां से कुछ दूरी पर एक पत्थर मौजूद है। कहा जाता है कि भीम द्वारा यह पत्थर फेंका गया था। इस पत्थर पर कंकड़ मारने से इस पत्थर से खून निकलता है। इस मंदिर के बारे में ऐसे कई राज दफन हैं।
उद्दंडता की सजा मिलती है
बाथू की लड़ी मंदिर के समीप में स्थित एक गांव में एक बुजुर्ग महिला जो करीब 90 वर्ष की हैं, उन्होंने एक चौंकाने वाला तथ्य बताया या कह सकते हैं किवदंती कथा बताई। वहां की लोक कथाओं में यह व्याख्या है कि इस मंदिर के आसपास पानी बहुत गहरा है और मंदिर से कुछ दूरी पर दूसरी तरफ पानी में नौका विहार के दौरान यदि कोई शांति से जाता और आता है, तो उसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती, परंतु यदि कोई उद्दंडता करता है, तो वह इस पानी में कहां डूब जाता है, उसका पता भी नहीं लगता। इसके पीछे की घटना यह थी कि बहुत पहले वहां एक माँ के साथ उसका बेटा डूब गया था और यही माँ बलि लेती है। यहां हर साल इस तरह की अनहोनी सुनाई देती है और जिस बच्चे की बलि लेती है, वह अपने माता-पिता का इकलौता लड़का होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह घटना यहां प्रतिवर्ष होती है।
महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह जलाशय या झील (1572–1597) एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है और रामसर सम्मेलन द्वारा भारत में घोषित 25 अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमि साइटों में से एक है। जलाशय 24,529 हेक्टेयर (60,610 एकड़) के एक क्षेत्र तक फैला हुआ है, और झीलों का भाग 15,662 हेक्टेयर (38,700 एकड़) है।
पौंग जलाशय और गोविन्दसागर जलाशय हिमाचल प्रदेश में हिमालय की तलहटी में दो सबसे महत्वपूर्ण मछली वाले जलाशय हैं। इन जलाशयों में हिमालय राज्यों के भीतर मछली के प्रमुख स्रोत हैं।
क्या बात है रूपा जी आपके ब्लॉग मे पढ़ता रेहता हूँ जभ भी मुझे पढ़ने का मौका मिलता है प्रकृति की अनुभूति और एहसास से रूबरू है आपका ब्लॉग बहुत सुन्दर 👍
ReplyDeleteवाओ बहुत बहुत खूबसूरत जल्दी जाना पड़ेगा अब तो
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत नजारा , मनमोहक, लाजवाब👌👌👌😍😍😍
ReplyDeleteलाजवाब 👏🏻👏🏻
ReplyDeleteVery nice information..
ReplyDeleteIt is very beautiful view Himachal is a place to visit
ReplyDeleteहां जी, सीढियां चढ़ के उपर भी गए थे। डर लग रहा था, पर बच्चों को जाना था। उपर सीधे खड़े होने के बाद भी लग रहा था की परिक्रमा हो रही। मानो जैसे सब घूम रहा था।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक, ज्ञानवर्द्धक एवं रचनात्मक प्रस्तुति। आभार।
ReplyDeleteसीढ़ियां से वापस आने के बाद तुम्हारे में पांडवों की शक्ति आ गई क्या..जो तुम अकेले ही नाव में एक तरफ बैठी हो और दूसरी तरफ तीन लोग 😄😄
ReplyDeleteमेरी तरफ खेवट था...और हम अकेले दो के बराबर 😄😄😄
DeleteNice place
ReplyDeleteवैसे खूबसूरत नजारें और तस्वीरें हम सभी को अपनी ओर खींच रहीं हैं..सच में प्राकृतिक सौंदर्य नैसर्गिक सौंदर्य है.. यहां अलग ही लेवल की शांति और सुकून का एहसास होता है
ReplyDeleteविडियो और सारे पिक्स बहुत ही सुंदर है 👍👍👌👌
बहुत अच्छा
ReplyDeleteBhut sunder yaade
ReplyDeleteखुले बालों में आप बहुत खूबसूरत लगती हैं...very nice pics👌
ReplyDeleteअद्भुत जानकारी व यादें शेयर करने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteआज की जानकारीभी अप्रतिम है। स्वर्ग की सीढ़ी, माँ द्वारा बलि लिया जाना सब कुछ अजूबा सा लगता है।
ReplyDeleteBahut hi khubsurat jagah..dekh ke man prafullit ho gya...lag raha yahan kitna sukun aur shanti ha, such a beautiful place
ReplyDeleteAll pics are superb...👌👌❣️
ReplyDeleteआसमान नीला-पानी का रंग भी नीला
ReplyDeleteप्रकृति का यहाँ पर अद्भुत श्रृंगार मिला
पहाड़ियों से गिरा हुआ खुला यहाँ मैदान
प्रकृति-प्रदत्त ये स्थान है अनमोल वरदान
शांत-सरल-सुंदर-मनोरम यहाँ का नजारा
रोज की उलझनों से ध्यान हटाता हमारा
हिमाचल प्रदेश कांगड़ा में बाथू की लड़ी
यह जगह वास्तव में है खूबसूरत बड़ी
सांय-सांय हवा चले नदी करे कल-कल
जी चाहे यही गुजारे जीवन का हर पल
चारों तरफ पानी बीच मंदिरों का समूह
मई-जून में दर्शन से आनंदित हो रूह
जलमग्न पूरा मंदिर बाहर रहती चोटी
रूपा की टोली वहाँ से अभी ही लौटी
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
घूमने जाना चाहे गर देश-विदेश
Deleteपर देखना जरूर हिमाचल प्रदेश
रूपा ओस की बूंद के ब्लॉग पर
हिमाचल प्रदेश-जानकारी विशेष
क्या गजब सारे बेहतरीन नजारे
बेहद खूबसूरत ये खुली वादियाँ
कहीं है पक्षियों की चहचहाहट
कहीं पर कलकल बहती नदियाँ
इस प्रदेश का अलग ही मजा है
नहीं घूमने गये समझो सजा है
काश एक बार मैं घूमकर आऊं
मेरे इस दिल की भी यही रजा है
नदी देखो बांध और सागर देखो
कई सारे मंदिर-खुले मैदान देखो
मिनी स्विट्जरलैंड है खज्जियार
चिड़ियाघर चाय के बागान देखो
धर्मशाला स्काईवे,झरने और घाटी
धार्मिक स्थलों की यह है परिपाटी
हिमाचल प्रदेश के यारों क्या कहने
विश्व प्रसिद्ध यहाँ की पावन माटी
कांगड़ा में स्थित नूरपुर का किला
देखकर हर दृश्य मन-फूल खिला
सैर करके पूरे हिमाचल प्रदेश की
मन को हमारे बहुत सुकून मिला
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Very nice
ReplyDeleteBahut khub
ReplyDeleteKya baat hai...
ReplyDeleteघूमने जाना चाहे गर देश-विदेश
ReplyDeleteपर देखना जरूर हिमाचल प्रदेश
रूपा ओस की बूंद के ब्लॉग पर
हिमाचल प्रदेश-जानकारी विशेष
क्या गजब सारे बेहतरीन नजारे
बेहद खूबसूरत ये खुली वादियाँ
कहीं है पक्षियों की चहचहाहट
कहीं पर कलकल बहती नदियाँ
इस प्रदेश का अलग ही मजा है
नहीं घूमने गये समझो सजा है
काश एक बार मैं घूमकर आऊं
मेरे इस दिल की भी यही रजा है
नदी देखो बांध और सागर देखो
कई सारे मंदिर-खुले मैदान देखो
मिनी स्विट्जरलैंड है खज्जियार
चिड़ियाघर चाय के बागान देखो
धर्मशाला स्काईवे,झरने और घाटी
धार्मिक स्थलों की यह है परिपाटी
हिमाचल प्रदेश के यारों क्या कहने
विश्व प्रसिद्ध यहाँ की पावन माटी
कांगड़ा में स्थित नूरपुर का किला
देखकर हर दृश्य मन-फूल खिला
सैर करके पूरे हिमाचल प्रदेश की
मन को हमारे बहुत सुकून मिला
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Very nice
ReplyDeleteVery nice
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