युवा वर्ग में बढ़ती 'नशे की प्रवृत्ति'
हमारा यह समाज आज बहुत ही तेजी से आधुनिक होता जा रहा है। दिन प्रतिदिन हमें नई- नई खोजें देखने को मिलती हैं। हमारा हिंदुस्तान युवाओं से भरा एक देश है। इन सबके बीच एक चिंता का विषय भी है, हमारे समाज के अधिकतर युवा पीढ़ी किसी ना किसी नशे की लत की आदी होती जा रही है, जो हमारी युवाओं के लिए आने वाले समय में बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है।
आज हर वर्ग का व्यक्ति हर वर्ग का युवा चाहे वह स्कूल में हो, कॉलेज में हो या किसी मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा हो, किसी ना किसी नशे की लत उसको लगी हुई है। नशा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जो हमारे युवा पीढ़ी को दिन प्रतिदिन बर्बादी की खाई में ढकेलता जा रहा है, जिसके कारण मनुष्य बहुत सी बीमारियों से ग्रसित होता जा रहा है और मनुष्य की आयु दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है।
नशे की ओर आकर्षित होने के बहुत से कारण हैं, जिनमें मूल कारण कहीं ना कहीं पारिवारिक व्यस्तता भी है। मां- बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने एवं हर आधुनिक वस्तु अपने संतान को देना चाहते हैं। इसी कारण कई घरों में कई परिवारों में मां-बाप दोनों किसी का किसी प्रकार के काम में सम्मिलित होते हैं, जिसके कारण उनका पूरा ध्यान अपने बच्चों पर नहीं रहता। यही वजह है कि बच्चे गलत संगति में फंसकर इन नशे की वस्तुओं का उपयोग करने लगते हैं। हर मां बाप का कर्तव्य है कि अपने बच्चे की दिनचर्या पर पूर्ण ध्यान रखें।
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति वास्तव में चिंताजनक है। युवा उचित मार्गदर्शन के अभाव में नशा करते हैं। किशोरावस्था के बालकों पर खास ध्यान देना बहुत ही जरुरी है। उनकी संगत पर निगाह रखी जाए। संगत ठीक हो तो बच्चे नशे के जाल से बच जाते हैं।
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति के और भी अनेक कारण हैं। नशे की उपलब्धता एवं पहुंच आसान होने से भी नशे की प्रवृत्ति बढ़ी है। संयुक्त परिवार का विघटन होने से भी युवाओं को अधिक स्वतंत्रता मिली है। मीडिया ने भी नशे के कारोबार को प्रचारित किया है। वर्तमान में बढ़ती बेरोजगारी में मानसिक अवसाद दूर करने के लिए भी युवा नशे का सहारा लेते हैं। अत: इन सब पर ध्यान देकर हमें समस्या का निराकरण करना होगा।
बेरोजगारी, आधुनिक दिखने का भ्रम, प्रेम में हताशा, सद् शिक्षा का अभाव, भ्रामक विचारधाराओं में उलझना, सामाजिक एवं पारिवारिक अनुशासन के प्रति विद्रोह की भावना, हाईप्रोफाइल जीवनशैली की लालसा जैसे अनेक कारण अवसाद की वजह हैं। इससे युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। युवा अपनी क्षमता को पहचानें, दूसरों से अपनी तुलना ना करें। नशे में खो जाना कायरता है। खेलों से जुड़ें। परोपकार के काम करें। इसी से अच्छे समाज का निर्माण होगा।
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार को नशे से संबंधित सामानों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया व सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए और युवाओं में जो नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, उसे पूर्णत: खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
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Increasing 'drug trend' among youth
Today our society is becoming very modern very fast. Every day we get to see new discoveries. Our India is a country full of youth. In the midst of all this, there is also a matter of concern, most of the young generation of our society is becoming addicted to some kind of drug addiction, which can prove to be very fatal for our youth in the coming times.
Today, the youth of every class, whether it is in school, college or working in a multinational company, is addicted to some kind of drug addiction. Drug addiction is such a food item, which is pushing our young generation into the abyss of waste day by day, due to which man is suffering from many diseases and man's life is decreasing day by day.
There are many reasons for being attracted towards drugs, in which the root cause is also family busyness somewhere. Parents want to give good education to their children and give every modern thing to their children. For this reason, in many homes, in many families, both parents are involved in some kind of work, due to which their full attention is not given to their children. This is the reason why children get trapped in the wrong company and start using these intoxicants. It is the duty of every parent to take full care of their child's routine.
The increasing trend of drug addiction among the youth is really worrying. Youth indulge in drugs due to lack of proper guidance. It is very important to pay special attention to the children of adolescence. Keep an eye on their company. If the company is right, then the children are saved from the trap of intoxication.
There are many other reasons for the increasing trend of drug addiction among the youth. Due to the availability and ease of access to drugs, the tendency of drug addiction has also increased. The dissolution of the joint family has also given more freedom to the youth. The media has also publicized the drug business. In the current rising unemployment, youth also resort to drugs to overcome mental depression. So by paying attention to all these, we have to solve the problem.
Unemployment, illusion of modern appearance, frustration in love, lack of good education, entanglement in deceptive ideologies, feeling of rebellion against social and family discipline, craving for high profile lifestyle are the reasons for depression. Due to this, the tendency of drug addiction is increasing among the youth. Know your potential, don't compare yourself to others. Getting drunk is cowardice. Join the Games. Do charity work. This will create a good society.
In order to stop the increasing trend of drug addiction among the youth, the government should completely ban the drug related goods. Awareness campaign should be conducted with the help of social media, print media and social organizations and efforts should be made to eliminate the drug addiction which is increasing in the youth.
सुंदर लेख। जिसका हम सब उपयोग करते है दिन प्रतिदिन
ReplyDeleteनशे से होने वाले व्यक्तिगत एवं सामाजिक हानियों पर बेहतरीन संछेप मैं लेख से लोगो को समझाने के लिए धन्यबाद 👌👌🙏
ReplyDeleteपोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..
Deleteइस लेख के माध्यम से आपने बहुत ज्वलंत समस्या उठाई है। आज का समाज अपनी अस्त व्यस्त जीवन शैली के कारण प्रायः तनाव में जीने लगा है और संभवतः इसी कारण नशे की गिरफ्त में आ जाता है। स्कूल,कॉलेज, कार्यालयों में अनिवार्य रूप से कुछ मिनट योग और मेडिटेशन के लिए दिया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबिल्कुल, नशे के लिए बहुत से कारण हैं। अगर हर निजी और सरकारी संस्थानों में योग मेडिटेशन अनिवार्य कर दिया जाए, तो कुछ हद तक तो राहत मिलेगी ही।ये भी हो सकता है कि योग मेडिटेशन से धीरे धीरे लोग नशे की गिरफ्त से बाहर आ जाएं।
Deleteबिल्कुल सही कहा आपने नशे की ओर आकर्षित होने का मूल कारण मांसिक तनाव भी एक वजह होती है, ये तो एक ऐसी समस्या है जो दिखती तो नही है लेकिन होती बहुत घातक है।
Deleteयह सब तो है ही लेकिन आजकल के युवा वर्ग को मैं गुटका का बहुत क्रेज हो गया है कंपनियों ने गुटका को बेचने का एक और ही तरीका बना लिया है सरकार ने गुटखा पर रोक लगाई तो कंपनियों ने अब सुपारी शादी सुपारी का पैकेट अलग और तंबाकू का पैकेट अलग दोनों का कोंबो करके बेच रहे बाजार में और सरकार उसकी परमिशन भी दे रही है खुलेआम बिक रहा है यह और विमल रजनीगंधा पान विलास ऐसे सब पान मसाले आता है ना उसमें भी कुछ ना कुछ मिला होता है क्योंकि उनकी भी आदत लग जाती है थोड़ी देर तक नहीं खाओ तो उनकी आदत आपको मजबूर कर देगी खाने के लिए क्या इसके बारे में सरकार कुछ नहीं जानते सरकारी इस से अनजान है क्या???? यह सब बंद हो जाए तो किन की आमदनी बंद हो जाएगी???
ReplyDeleteगुटखा तो एक कॉमन सा नशा है, जिससे कुछ प्रतिशत जनता ही दूर है। गुटखा, पान मसाला और सुपारी सब नशे की वस्तु है और सरकार इससे पूरी तरह वाकिफ है। हमारे बॉलीवुड के हीरो कहे जाने वाले इन सब पान मसालों का प्रचार ऐसे करते हैं मानो राजा रजवाड़े हो गए रजनीगंधा और विमल खा के और इस सब पर सरकार का कोई लगाम नहीं। सरकार अनजान क्यूं है सब बातों से वाकिफ है और रही आमदनी की बात तो आमदनी के और भी बहुत सारे श्रोत हैं। जनता को नशे में झोककर कैंसर जैसी बीमारियों को और भी ना जाने कितनी बीमारियों को बढ़ावा देकर अर्जित आमदनी का क्या लाभ?
Deleteआज युवाओं का नशे की ओर आकर्षित होने का मुख्य कारण कही न कही अपने भविष्य को लेकर होने वाली चिंता भी है क्योंकि हमारे समाज मे जो ज्यादा अच्छे पद पर बैठा है उसको ही सम्मान मिलता है या तो बहुत पैसा कमाता हो तब सम्मान मिलता है, हमारा समाज आज कल तुलना बहुत करता है एक दुसरे से यहां ऐसा लगता है कि कोई दौड़ चल रही हो और आज का युवा वर्ग इस दौड़ मे कही पीछे न.रह.जाए बस उसको यही चिंता सताती है।
ReplyDeleteतो नशा करने से क्या युवा दौड़ में आगे निकल जायेगा। ये तो समझने वाली बात है कि वो ऐसा करके आगे नहीं बल्कि और पीछे होता जायेगा।
Deleteनशा किसी भी चिंता का उपचार तो नही है लेकिन जब कोई कमजोर पङ जाता है तो गलत ही चिजों का सहारा लेता है।
Deleteमनुष्य की प्रकृति कुछ इस तरह बनी हुई है कि वो सुख की चाह करता है और दुःख से छुटकारा पाना चाहता है, जब भी वो असफ़ल होता है या दुःखी होता है, तो वर्तमान परिस्थिति से पलायन करना चाहता है भूलना चाहता है। दो मार्ग है उसे दुःख को कुछ क्षण भुलाने का एक है अध्यात्म और दूसरा नशा। अध्यात्म तो समस्या का समाधान देता है, लेकिन यदि बच्चा अध्यात्म की शरण मे नहीं है तो वो नशा चुनेगा।
ReplyDeleteनशे से वो कुछ क्षणों के लिए वर्तमान से दूर हो जाता है, अतः बार बार भूलने के लिए बार बार नशा करता है। बच्चे के घर मे माता पिता जब अत्यधिक झगड़ते हो या उन्हें समय नही देते तो भी बच्चे नशे की तरफ झुकते है।
मनुष्य के अंदर बंदर के समान नक़लची स्वभाव होता है, मन जिसे पसन्द करता है उसका नकल करने लगता है। उदाहरण माता के चाल चलन और साज सृंगार की नकल लड़कियां और पिता के चाल चलन व्यवहार और नशे की नकल बच्चे स्वयंमेव करने लग जाते है। प्रिय दोस्त की नकल करते हुए भी नशे के प्रति झुकाव होता है।
फिल्में और टीवी सीरियल नशे की ओर युवाओं को प्रेरित करते हैं। वो बच्चों को सिखाते है कि दुःख है तो नशा करो, ख़ुश हो तो नशा करो, पार्टी है तो नशा करो, कोई भी अवसर हो नशा करो। बच्चो को लगता है हीरो बोल रहा है और हीरोइन बोल रहे है तो यह ज़िंदगी जीने का सबसे बेहतर तरीका होगा। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य कोकोकोला पेप्सी का विज्ञापन देने वाले इसे नहीं पीते, शराब और नशे का विज्ञापन करने वाले खुद इसका सेवन नहीं करते। नशे का व्यापारी और कार्यकर्ता इनका सेवन नहीं करते।
बच्चे बुरी संगति में पड़कर भी दोस्तों के दबाव में नशा करना शुरू कर देते है।
कभी कभी बच्चो के अंदर की जिज्ञासा और कौतूहल भी उन्हें नशे के प्रति आकर्षित करता है।
कुछ पढ़े लिखे मूर्खो ने नशे को हाई फाई सोसायटी का स्टेटस सिंबल मान लिया है। कॉरपोरेट में बैठे नशेड़ियों ने इसे और ज्यादा बढ़ावा दिया है।
नशा युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है, सरकार इसे रोकती क्यों नहीं।
देश के 80% कानून बनाने वाले नेता और नौकरशाह स्वयं नशेड़ी है, अतः जो ख़ुद ही गलत कर रहा है वो भला उसे रोकने का प्रावधान क्यूँ लाएगा? जनता मरती है तो मरने दो। नोट छापने में व्यस्त है।
नशे के समान से टैक्स सरकार को जितना मिलता है, उससे दुगुना-तिगुना नशे के कारण लोगो के मरने, विभिन्न बीमारियों और एक्सीडेंट्स में सरकार का खर्च होता है। फिर भी सरकार टैक्स की लालच में नशा बन्द नहीं करती।
नशे के व्यापारी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ने के लिए मोटा फंड सिर्फ इसलिए देते है, जिससे नशे के व्यापार में सरकार रोक न लगा सके।
नशे के व्यापारी समस्त नौकरशाहों को भी भरपूर पैसा खिलाते है, जिससे उनका धंधा चलता रहे।
फ़िर नशा रुकेगा कैसे?
जनजागृति से नशा रुकेगा, बचपन से घर मे बच्चो को अध्यात्म से जोड़कर अच्छे संस्कार दिए जाएं, उनके मन मजबूत बनाये जाएं। जिससे समाजिक दबाव को वो झेल सकें, और नशा न करें। सँस्कार से मनुष्य चंदन बन जाता है- चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग। कुसंग का प्रभाव आध्यात्मिक संस्कारी व्यक्ति पर नहीं पड़ता।
जगह जगह यज्ञादि अनुष्ठान और जनजागृति कैम्प लगाकर योग प्राणायाम मंन्त्र चिकित्सा से लोगों का मनोबल मजबूत करें जिससे नशा उनका छूट जाए।
बच्चे घर पर हड़ताल कर दें, माता पिता को नशा न करने दें।
जब डिमांड ही नहीं होगी तो सप्पलाई करने वाले स्वतः गायब हो जाएंगे। जैसे गधे के सर पर से सींग।
हमारे देश मे प्रति वर्ष हज़ारों मौतें नशे के कारण हो रही है, प्रति दिन नशे के कारण कई जाने जाती है।
केवल जनजागृति से मतदाता जागरूक होकर सही नेता चुने और उसे तभी वोट दे जब नशे की दुकानें बंद हो। तो राम राज्य आ जायेगा।
💐🙏
रवि जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
ReplyDeleteजो थोड़ा मेरे आर्टिकल में अधूरा रह गया था, उसको आपने पूरा कर दिया। बहुत ही अच्छे तरीके से आपने इस मुद्दे पर प्रकाश डाला। इस नशे से बचने का यही उपाय है प्रबल इच्छा शक्ति, जो योग,आध्यात्म और मेडिटेशन से ही हो सकता है।
आपने जिक्र किया है टीवी सीरियल में फिल्मी हीरो हीरोइन के विज्ञापन का। तो ऐसे विज्ञापन करने वाले को सिर्फ पैसे के भूखे होते, उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि जो बच्चे या युवा इनको अपना आदर्श मानते हैं, उनको ये ऐसे विज्ञापनों से गलत राह पर ले जाते हैं।
अमिताभ बच्चन जो सदी के महानायक रहे हैं,उनकी छोटी आंत जब काट के निकली गई, उसके बाद उन्होंने पेप्सी का प्रचार छोड़ा, जिस बात को वो जनता के सामने कभी नही बताए। जितनी भी फिल्मी हस्तियां और क्रिकेटर हैं, ये सारे पैसे के लिए किसी भी चीज का विज्ञापन कर सकते हैं।
बस अब इतना है कि लोग खुद जागरूक हों। सही कहा आपने जब डिमांड ही नहीं होगी तो सप्पलाई करने वाले स्वतः गायब हो जाएंगे।🙏💐
Nice
ReplyDeleteNashe ki girft me jata hamara bhartiya samaj...sarkaar nishkriya...
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