उबासी की सजा
एक दिन तेनालीराम को रानी तिरुमाला ने संदेश भिजवाया कि वह बड़ी मुश्किल में हैं और उनसे मिलना चाहती हैं। रानी का संदेश पाकर तेनालीराम तुरंत रानी से मिलने पहुंच गए। तेनालीराम ने कहा - "रानी जी! आपने इस सेवक को कैसे याद किया?" रानी तिरुमाला ने कहा - "तेनालीराम! हम एक बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं।"
तेनालीराम ने कहा - " महारानी! आप किसी भी तरह की चिंता बिल्कुल न करें और मुझे बताएं कि आखिर बात क्या है?" तेनालीराम की बातें सुनकर रानी की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा - "दरअसल महाराज हमसे बहुत नाराज हैं।"
तेनालीराम ने कहा - "लेकिन क्यों? आखिर ऐसा क्या हुआ?"
रानी ने बताया - "एक दिन महाराज हमें एक नाटक पढ़कर सुना रहे थे और तभी अचानक हमें उबासी आ गई, बस इसी बात से नाराज होकर महाराज चले गए।"
रानी ने तेनालीराम से कहा - "तब से कई दिन बीत गए हैं, लेकिन महाराज मेरे पास नहीं आए हैं। मैंने गलती न होते हुए भी महाराज से माफी भी मांग ली थी, लेकिन महाराज पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अब तुम्हीं मेरी इस समस्या का समाधान बता सकते हो।"
तेनालीराम ने रानी से कहा - "आप बिल्कुल भी चिंता न करें महारानी! आपकी समस्या दूर करने की मैं पूरी कोशिश करूंगा।"
महारानी को समझा-बुझाकर तेनालीराम दरबार जा पहुंचे। महाराज कृष्णदेव राय राज्य में चावल की खेती को लेकर मंत्रियों के साथ चर्चा कर रहे थे। महाराज मंत्रियों से कह रहे थे, "हमारे लिए राज्य में चावल की उपज बढ़ाना आवश्यक है। हमने बहुत प्रयास किए। हमारी कोशिशों से स्थिति में सुधार तो हुआ है, लेकिन समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।" तभी अचानक तेनालीराम ने चावल के बीजों में से एक-एक बीज उठाकर कहा, "महाराज! अगर इस किस्म का बीज बोया जाए, तो इस साल उपज कई गुना बढ़ सकती है।"
महाराज ने पूछा - "क्या ये बीज इसी खाद के जरिए उपजाया जा सकता है?" इस पर तेनालीराम ने कहा - "हां महाराज! इस बीज को बोने के लिए और कुछ करने की जरूरत नहीं है, परन्तु…!" महाराज ने पूछा - "परन्तु क्या तेनालीराम?" तेनालीराम ने जवाब दिया - "शर्त यह है कि इस बीज को बोने, सींचने और काटने वाला व्यक्ति ऐसा होना चाहिए, जिसे जीवन में कभी उबासी न आई हो और न ही कभी उसे उबासी आए।"
यह बात सुनकर महाराज ने भड़कते हुए कहा - "तेनालीराम! तुम्हारे जैसा मूर्ख व्यक्ति मैंने आज तक नहीं देखा। क्या संसार में ऐसा कोई होगा जिसे कभी उबासी न आई हो?" तेनालीराम ने कहा, ओह! मुझे माफ करें महाराज! मुझे नहीं पता था कि उबासी सब को आती है। मैं ही नहीं, महारानी जी भी यही समझती हैं कि उबासी आना बहुत बड़ा अपराध है, मैं अभी जाकर महारानी जी को भी यह बात बताता हूं।"
तेनालीराम की बात सुनकर पूरी बात महाराज की समझ में आ गई। वे समझ गए कि तेनालीराम ने यह बात उन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए कही थी। उन्होंने कहा - "मैं खुद जाकर यह बात महारानी को बता दूंगा।" इसके बाद महाराज तुरंत महल जाकर रानी से मिले और उनके साथ सभी शिकायतों को दूर कर दिया।
English Translate
punishment for yawning
One Day, A Message Was Sent To Tenaliram By Queen Tirumala That She Was In Great Trouble And Wanted To Meet Him. On Receiving The Message Of The Queen, Tenaliram Immediately Reached To Meet The Queen. Tenaliram Said - "Rani Ji! How Did You Remember This Servant?" Queen Tirumala Said - "Tenaliram! We Are In A Great Trouble."
Tenaliram Said - "Queen! Don't You Worry At All And Tell Me What Is The Matter?" Hearing The Words Of Tenaliram, The Queen's Eyes Filled With Tears. He Said - "Actually Maharaj Is Very Angry With Us."
Tenaliram Said - "But Why? What Happened After All?"
The Queen Told - "One Day Maharaj Was Reading A Play To Us And Then Suddenly We Got Yawning, Just Being Angry With This, Maharaj Left."
Rani Said To Tenaliram - "Many Days Have Passed Since Then, But Maharaj Has Not Come To Me. I Had Apologized To Maharaj Even Though I Was Not At Fault, But It Did Not Affect Maharaj. Can You Tell Me The Solution To The Problem?
Tenaliram Said To The Queen - "You Don't Worry At All, Queen! I Will Try My Best To Solve Your Problem."
After Persuading The Queen, Tenaliram Reached The Court. Maharaj Krishnadeva Raya Was Discussing With The Ministers About The Cultivation Of Rice In The State. Maharaj Was Telling The Ministers, "It Is Necessary For Us To Increase The Rice Yield In The State. We Made A Lot Of Efforts. Our Efforts Have Improved The Situation, But The Problem Has Not Completely Ended." Then Suddenly Tenaliram Picked Up Each Seed From The Rice Seeds And Said, "Sir! If This Variety Is Sown, The Yield Can Increase Manifold This Year."
Maharaj Asked - "Can This Seed Be Grown Through This Manure?" To This Tenaliram Said - "Yes Maharaj! There Is No Need To Do Anything Else To Sow This Seed, But…!" Maharaj Asked - "But What Tenaliram?" Tenaliram Replied - "The Condition Is That The Person Sowing, Irrigating And Reaping This Seed Should Be Such Who Has Never Yawned Nor Yawned In Life."
Hearing This, The Maharaja Said Furiously - "Tenaliram! I Have Never Seen A Foolish Person Like You. Will There Be Anyone In The World Who Has Never Yawned?" Tenaliram Said, Oh! I'm Sorry Sir! I Didn't Know That Everyone Yawns. Not Only Me, Maharani Ji Also Understands That Yawning Is A Big Crime, I Just Go And Tell This To Maharani Ji Too."
After Listening To Tenaliram, The Whole Thing Came To The Understanding Of Maharaj. They Understood That Tenaliram Had Said This To Show Them The Right Path. He Said - "I Myself Will Go And Tell This Thing To The Queen." After This Maharaj Immediately Went To The Palace And Met The Queen And Resolved All The Complaints With Her.
Best of TenaliRama
ReplyDeleteMem very beautiful idea was revealed by tenaliram. We all are grateful to your knowledgeful articles.
ReplyDeleteतेनालीराम द्वारा बहुत ही सटीक दृष्टांत देकर महाराज को अपनी गलती का एहसास दिलाया जाना काफी अच्छा लगा । भविष्य में भी इसी तरह शिक्षाप्रद कहानी लिखती रहा है
ReplyDeleteअच्छी कहानी
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteGood story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteAn interesting story.
ReplyDeleteबढ़िया कहानी। चतुर तेनालीराम की कहानियों को पढ़कर मस्तिष्क ताज़गी से भर जाता है।
ReplyDeleteतेनाली राम की बुधमानी तथा वाकपटुता अद्भुत है।
ReplyDeleteVery good.
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteएक दरबारी को महाराज को कोई सबक देना हो तो बुद्धिमानी तो चाहिए ही, अच्छी कहानी
ReplyDeleteThat's good 👍
ReplyDeleteKya baat
ReplyDeleteगजब
ReplyDeleteअच्छी कहानी 👋
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteVery nice story...
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