अतिबला
आज एक और औषधीय पौधे की चर्चा करते हैं, जिसका नाम है अतिबला (Indian mallow)। अतिबला का पौधा बहुत ही गुणकारी होता है। अतिबला (Indian mallow) का उपयोग कई तरह के रोगों में लाभ पहुंचा सकता है। यह तीखी, कड़वी, पचने में हल्की, चिकनी और वात - पित्त को संतुलित करने वाली है।
अति बला क्या है?
अतिबाला एक औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। यह बहुत वर्षों तक हरा-भरा रहने वाला जालीदार पौधा होता है। इसके रोएं कोमल, सफेद और मखमली होते हैं। इसके तने गोल और बैगनी रंग के होते हैं। अतिबला भारत के लगभग सभी गर्म प्रदेशों में अपने आप पैदा होने वाला पौधा है तथा कुछ स्थानों पर इसकी खेती भी की जाती है।
जानते हैं अतिबला के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
अतिबला का पौधा मनुष्य की आयु शरीर का बल और त्वचा के चमक को बढ़ाती है। आयुर्वेद में यह बताया गया है कि अतिबला का अर्क बार-बार पेशाब लगने की समस्या को खत्म करता है। इसकी छाल खून का बहाव रोकती है। अति बला की जड़ दर्द नाशक और बुखार उतारने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। अतिबला के बीज कफ निकालने वाले होते हैं। इसका तेल दर्दनाशक होता है। अति बला के जड़, फूल और पत्तों का चूर्ण कई रोगों में काम आता है। इसके साथ ही अतिबला और भी कई प्रकार के रोगों में काम आती है।
आंखों के लिए
अतिबाला के पत्तों का काढ़ा बनाकर ठंडा कर उससे आंखों को धोने से आंखों के अनेक रोगों में लाभ होता है।
दांत दर्द के लिए
अतिबाला के पत्तों का काढ़ा बनाकर गलाला करने तथा देर तक मुंह में रखकर कुल्ला करने से दांतों का दर्द ठीक होता है। इससे मसूड़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।
खांसी में
अतिबाला के फूल के चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में घी के साथ सेवन करने से सूखी खांसी में लाभ होता है।
पेचिश की समस्या
अतिबाला के पत्ते की सब्जी को घी के साथ सेवन करने से पेचिस रोग में आराम होता है।
बवासीर की समस्या
अतिबला के बीजों को कूटकर रात भर पानी में भिगो लें। इस पानी को 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पीने से तथा अति बला के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।
मूत्र रोग में
- अतिबला के जड़ के 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े का सेवन करने से पेशाब से संबंधित सभी प्रकार की परेशानियों में लाभ होता है।
- अतिबला के बीजों को मोटा कूटकर रात भर पानी में भिगो दें। इस पानी को 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से भी लाभ होता है।
- इसके साथ ही अतिबाला के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से मूत्राशय की सूजन ठीक होती है।
मधुमेह रोग में
अतिबला के 1 से 2 ग्राम पत्तों के चूर्ण का सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है। अतिबला के गुण डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
पथरी की बीमारी
अतिबला के पत्तों तथा जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से पथरी चूर चूर होकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
रक्त प्रदर की समस्या
1 से 2 ग्राम अतिबला की जड़ के चूर्ण में चीनी तथा मधु मिलाकर सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ होता है।
घाव होने पर
अतिबला के पत्ते तथा फूल का लेप अथवा काढ़े से घाव को धोने से तुरंत घाव भर जाता है।
मिर्गी रोग में
1 से 3 ग्राम अतिबला के चूर्ण को सुबह और शाम सेवन करने से मिर्गी में लाभ होता है।
बुखार होने पर
अतिबला के 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण मिलाकर या जड़ को रात भर पानी में भिगोकर उस पानी को 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पीने से बुखार उतर जाता है।
पीलिया रोग में
1 से 2 ग्राम अतिबला की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर या अतिबला की जड़ के 20 से 30 मिलीलीटर काढ़े का सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
मासिक धर्म संबंधी समस्या
अतिबाला महिलाओं से संबंधित समस्याओं के लक्षणों जैसे मासिक धर्म रुकने या उसकी अनियमितताओं को सुधारने में सहायक होता है।
मसूड़ों का सूजन तथा ढीलापन
मसूड़ों की सूजन और ढीलेपन को दूर करने में अतिबला सहायक होती है। क्योंकि अतिबल कषाय और मधुर रस होने से यह मसूड़ों को स्वस्थ बनाती है, जिससे मसूड़ों का ढीलापन ठीक होता है।
शरीर में जलन होने पर
अतिबला के पत्तों को कूटकर रात भर पानी में भिगो दें। उस पानी को 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पीने से शरीर का जलन शांत होता है।
शारीरिक कमजोरी तथा याददाश्त के लिए
5 से 10 ग्राम अतिबला की जड़ के काढ़े, चूर्ण (2 से 3 ग्राम) या रस (5 से 10 मिलीलीटर) में मधु या घी मिला लें। इसे 1 वर्ष तक पाचन क्षमता के अनुसार सुबह और शाम सेवन करें। सेवन के कुछ घंटों के बाद दूध तथा घी मिला हुआ चावल खाएं। इससे बुद्धि बढ़ती है, शरीर को ताकत मिलती है और याददाश्त भी तेज होती है।
बिच्छू का जहर उतारने में
अतिबला की जड़ को बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लगाने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है तथा बिच्छू का जहर उतर जाता है।
अतिबला के नुकसान
अतिबला या कंघी के पौधे का कोई भी नुकसान नहीं होता है। फिर भी लो ब्लड शुगर वाले व्यक्ति को तथा स्तनपान कराने वाली महिला को इसके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए तथा इसके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक से परामर्श करनी चाहिए।
विभिन्न भाषाओं में अतिबला का नाम
English – इंडियन मैलो (Indian mallow), कंट्री मैलो (Country mallow)
Sanskrit – अतिबला, कंकतिका
Odia – नाकोचोनो (Nakochono), पीलिस (Pilis)
Urdu – कंघी (Kanghi Plant)
Konkani – वोड्डली पेट्टारी (Voddlipettari)
Kannada – श्रीमुद्रिगिडा (Srimudrigida)
Gujarati – खपाट (Khapat), कांसकी (Kanski), डावली (Dabali)
Tamil – पेरूनदुत्ती (Perundutti)
Telugu – तुत्तुरीबेंडा (Tutturibenda), बोटलाबेंडा (Botalabenda)
Bengali – पोटारी (Potari)
Nepali – कंगियो (Kangio), अतिबलु (Atiblu)
Punjabi – पीली बूटी (Peeli buti), कंगी (Kangi)
Malayalam – वेलुराम (Velluram), कट्टूराम (Katturam), उरम (Uram)
Arabi – मस्त-उल-गुल (Mast-ul-ghul), दीशार (Deishar);
Persian – दरख्त-ए-शाहनाह (Darakht-e-shahnah)
Indian mallow
What is Indian mallow?
Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Atibala
for the eyes
for toothache
in cough
dysentery problem
piles problem
in urinary tract
- Taking 10 to 20 ml decoction of Atibala root provides relief in all kinds of problems related to urination.
- Coarsely grind the seeds of Atibala and soak them in water overnight. Taking 10 to 20 ml of this water is also beneficial.
- Along with this, make a decoction of Atibala leaves and give it in 10 to 20 ml quantity, it ends inflammation of the bladder.
Very good.
ReplyDeleteGood.
ReplyDeleteInformative.
ReplyDeleteVery good.. Information 👍👌
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery good information
ReplyDeleteExcellent article.
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteदेखा हुआ लगता है शायद। गुणों की खान है ये अतिबला
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
Aisa lg rha hai khi pe dekha hai, lkein yaad ni, anyway bhut hi jyada informative vlog hai apka, keep writing
ReplyDeleteBadiya
ReplyDeleteअतिबला विभिन्न बीमारियों औषधि के रूप में प्रयोग होता है।इसके फूल ,फल,बीज तथा छाल सभी का औषधियों के रूप में प्रयोग होता है।
ReplyDeletegood info
ReplyDeleteVery useful information...
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice ji
ReplyDeleteGood One
ReplyDeleteइतनी अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteएक एक कर सभी जड़ी बूटियों से अवगत कराने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteBotany ka practical file yaad aa gya..
अतिबला अति गुणकारी है
ReplyDeleteFantastic post - one of those that helps people a lot. A wonderful plant with virtually no side effects.
ReplyDeleteअतिबला इतना गुणकारी है हमें नही पता था ज्यादा पर आपके द्वारा जानकारी देने के लिए बहुत आभार 👍
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery nice information...
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