इतवार (Sunday)
तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
जो द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
भूख अगर रोटी की ही मिटी
भूख की जमीन न चौरस पिटी
और चाहता है वह कौर उठाना कोई
देखो, उसमें उसकी इच्छा कैसे रोई
जो द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
भूख अगर रोटी की ही मिटी
भूख की जमीन न चौरस पिटी
और चाहता है वह कौर उठाना कोई
देखो, उसमें उसकी इच्छा कैसे रोई
द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
देश का, समाज का
कर्णधार हो किसी जहाज का
पार करे कैसा भी सागर
फिर भी रहता है चलना उसे
फिर भी रहता है पीछे डर
भीख माँगता कर फैला कर
तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
देश का, समाज का
कर्णधार हो किसी जहाज का
पार करे कैसा भी सागर
फिर भी रहता है चलना उसे
फिर भी रहता है पीछे डर
चाहता वहाँ जाना वह भी
नहीं चलाना जहाँ जहाज, नहीं सागर
नहीं डूबने का भी जहाँ डर
तुम्हें चाहता है वह, सुन्दर
जो द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
नहीं चलाना जहाँ जहाज, नहीं सागर
नहीं डूबने का भी जहाँ डर
तुम्हें चाहता है वह, सुन्दर
जो द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
"शक ना कर मेरी हिम्मत पर,
मैं ख्वाब बुन लेता हूँ,
टूटे धागों को जोड़कर...❤"
Happy Sunday
ReplyDeleteइतवार की खुशनुमा सुबह को और अधिक खुशनुमा बनाती निराला जी की कविता और प्रेरक पंक्तियां।
ReplyDeleteशुभ रविवार।
Happy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteमोहतरमा चाहत है कोई खिलौना नही जब चाहा पसंद बदल दिया
एक बच्चे की चाहत खिलौने की भी होती है। हर किसी की चाहत अलग अलग होती है। उस बच्चे के लिए खिलौना भी उतनी ही महत्व का होता है, जितनी की किसी और के लिए कुछ और।
Deleteमोहतरमा जिसे आप पसंद करते हो वो आप को न मिले उसके सथा पर किसी अन्य विकल्प को चुनना को मजबूरी कहते हैं।
Deleteमनुष्य की इच्छाओं की कोई सीमा नहीं। और सभी इच्छाएं पूरी हों ये संभव नहीं। अगर ये मजबूरी है तो हर इंसान मजबूर है।
Deleteमजबूरियों की बेङिया इंसान खुद पहनता है, इतनी बड़ी कोई मजबूरी नही है जिसके डर से इंसान आगे न बढे
Deleteइच्छाओं और मजबूरियों का डर से कोई लेना देना नहीं।
Deleteजब इंसान डरता है तभी मजबूरियों की बेङिया पहनता है इसलिए इसे अलग अलग नही देखा जा सकता है
Deleteनहीं, ऐसा नहीं होता है। इंसान परिस्थियों के वशीभूत होता है। शायद आप किसी व्यक्ति विशेष की बात कर रहे। किसी एक व्यक्ति या कुछ लोगों की बातों से किसी मुद्दे का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।
Deleteपरिस्थितियां स्वयं निर्मित नही होती है परिस्थितियों को इंसान स्वयं ही निर्मित करता कुछ बेवजह की परिसीमा निर्मित कर लेता है आपने चारों तरफ,लोग क्या कहेंगे इससे बहुत परेशान रहता है,होता कुछ है और दिखावा कुछ और ही करता है बङा बनने के चक्कर में सकारात्मक होने का ढोंग भी करने लगता है।
Deleteहिम्मत की बात करने वाले ही जब जरूरत होती है तो डर के भाग जाते हैं🤣🤣🤣🤣🤣🤣
ReplyDeleteलगता है आपकी जिंदगी का तजुर्बा बहुत गलत है।
Deleteअब तजुर्बा है हमेशा अच्छा ही हो् ये कोई जरूरी नहीं ।
Deleteतजुर्बे कई मिलते हैं, जिंदगी की राहों में। हर परिस्थिति में खुद को सम और सकारात्मक बनाए रखने को डर नहीं कहा जाता।
Deleteसम और सकारात्मक होना और सकारात्मकता का ढोंग या दिखावा करना दोनों में बहुत अंतर है मोहतरमा पहले ठीक से अंतर करना सिखिए
Deleteमुझे तो अंतर मालूम है, पर शायद आपको तजुर्बा गलत है मिल गया है। सबको एक नजर से देखना सही नहीं। इसी धरती पर सकारात्मक लोग भी हैं और ढोंगी भी।
Deleteऐसा प्रतीत हो रहा जैसे किसी ने निरंजन जी को धोखा दिया है। शायद तभी इस तरह की बातें कर रहे। पर दुनिया में सिर्फ धोखेबाजी और दिखावा नहीं है। सकारात्मकता और सच्चाई भी है।
Deleteहमको क्या कोई धोखा देगा, हम तो हमेसा सकारात्मक रहते हैं आपको इतना मेरे लिए सोचने की आवश्यकता नहीं और आप ने इतना सोचा इसके लिए आप को कोटि कोटि धन्यवाद
Deleteसंध्या जी धोखा भी बहुत खूबसूरत होता है,आप को लग रहा है अनुभव है ।
DeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy Sunday dear🌹🌹
ReplyDeleteBeautiful pic ❤️❤️
Happy Sunday darling ��
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteशुभ रविवार 🧡♥️
ReplyDeleteHappy Sunday nice pic
ReplyDeletesundar chavi ..prerak kavita k sath..happy sunday enjoy
ReplyDeleteअनूठी तथा मार्मिक कविता।शुभ रविवार।
ReplyDeleteए जिंदगी चाहे तू रोज इम्तिहान लेना
ReplyDeleteकभी-कभी खुशियों की मुस्कान देना
जब तक है सांसे संघर्ष करती रहूँगी
तू भी मेरे दिल की ये बात जान लेना
मेरी भी आदत है हर जिद ठान लेना
मुश्किल घड़ी में होश से काम लेना
जब तक ना मिले मुझे मेरी मंजिल
चाहत नहीं कहीं भी आराम लेना
तूने ही तो दी है ये सांसे-ये धड़कन
बचपन मजे का जवानी लड़कपन
माना बुढ़ापा बड़ी तकलीफ देता है
बुढ़ापे में साथ देता अपना बड़प्पन
जीवन की कोई समय सीमा नहीं है
समय तो गतिमान है धीमा नहीं है
माना समय के साथ चलना है मुझे
किसके सिर पे कोई जिम्मा नहीं है
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
दिल खुश कर दिया..
DeleteNice
ReplyDeleteजितना मैंने जिंदगी को देखा और समझा है उस हिसाब से तो परिस्थितियों पर इंसान का कोई वश ही नहीं है इंसान के वश में सिर्फ उन परिस्थितियों से सामंजस्य बना कर अपने अनुरूप करने की कोशिश करते रहना ही है।
ReplyDeleteसुंदर कविता के साथ सुंदर सी तस्वीर
शुभ रविवार
सौदा मोहब्बत का आसान नहीं था
ReplyDeleteइश्क़ से पहले मैं यूँ परेशान नहीं था
प्यार तो करते हैं ये सब दुनिया वाले
प्रेम-राह पे चलकर मैं हैरान नहीं था
सोचता था इश्क़ की बानगी क्या है
मोहब्बत की ऐसी दीवानगी क्या है
दिल में मेरे भी प्रेम का पुष्प खिला
प्यार हुआ मुझे तो हैरानगी क्या है
प्यार में तो लोग सबको भुला देते है
बस एक यार को ही अपना कहते है
जमाना चाहे उनकी कितनी बातें करें
जमाने वालों को भी ये दुत्कार देते है
लोग कहते हैं अंधा होता है ये प्यार
प्यार में बस नजर आता अपना यार
प्यार में अच्छा-बुरा भी सुझता नहीं
बस यार के ईर्द-गिर्द होता है संसार
जिंदगी में सबकी जरूरत है ये प्यार
प्यार के बिना तो ये जीना है दुश्वार
सोच-समझकर करना ये प्यार यारों
प्यार को कई लोग समझते व्यापार
इश्क में दिवाने कर देते हैं बगावत
इश्क़ से दिल को मिलती है राहत
राह चलते यूँ किसी ऐरे-गैरे से नहीं
जो दिल चाहे उसी से होती चाहत
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
क्या बात 🌹🌹
Deleteजिंदगी तुझसे क्या करें गिला
ReplyDeleteखुश है उसी में जो हमें मिला
गम और खुशी आती-जाती है
चलता रहता यही सिलसिला
भागता रहता रोज हर कोई
जिंदगी की इस आपाधापी में
फिर भी कुछ हसरतें बाकी
रह जाती है इस पेट पापी में
भीख मांग कर कई मजबूर
अपनों का पेट भरते है यहाँ
दो वक्त रोटी खिला पाते हैं
कुछ तो अपना पसीना बहा
इसी सोच में सो नहीं पाते
कल कुछ तो ज्यादा मिलेगा
आज के दिन तो जैसे-जैसे
ऐसे-वैसे ही ये काम चलेगा
बस बच्चों का पेट भर जाए
उनकी जिंदगी सुधर जाए
अपनी औलाद के लिए तो
हम हद से आगे गुजर जाए
यही चाहते हैं गरीब-लाचार
रोज हमें तो रोटी मिल जाए
ख्वाबों में भी कभी न सोचे
महल या कोठी मिल जाए
जी-तोड़ रोज मेहनत करते
बड़ी मुश्किल से गुजर करते
खुद भुखे प्यासे रह लेते वो
पर बदनामी से वो डरते हैं
खुद की उन्हें परवाह नहीं है
फिक्र उन्हें अपनी संतान की
चैन से गुजर जाए ये जिंदगी
नहीं चाहते जिंदगी शान की
ए रब तु इतना करम करना
मुश्किल इनकी कम करना
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बहुत खूब👌👍
DeleteBahut khub👌👌
ReplyDeleteKya baat hai🌹🌹👌🏻👏🏻
ReplyDeleteबहुत खूब..बहुत सुंदर
ReplyDeleteVery nice 👌
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