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रानी की वाव / Rani ki Vav

रानी की वाव

भारत के गुजरात राज्य के पाटन जिले में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) है। जुलाई 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 100 की नोट पर इसे चित्रित किया गया है। 23 जून 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया।

रानी की वाव / Rani ki Vav

कहानी भारत के एक ऐसे कुंआ की, जिसके अंदर बनी है 30 किलोमीटर लंबी खुफिया सुरंग

इतिहास

रानी की वाव को रानी उदयमति ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में वर्ष 1063 ईस्वी में बनवाया था। राजा भीमदेव गुजरात के सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। भूगर्भीय बदलाव के कारण आने वाली बाढ़ और लुप्त हुई सरस्वती नदी के कारण यह बहुमूल्य धरोहर तकरीबन 700 सालों तक गाद की परतों में दबी रही। 

कहानी भारत के एक ऐसे कुंआ की, जिसके अंदर बनी है 30 किलोमीटर लंबी खुफिया सुरंग

बाद में करीब 80 के दशक में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे खोजा और साफ करवाया। वाव के खंभे सोलंकी वंश और उसके आर्किटेक्चर के नायाब नमूने हैं। वाव की दीवारों और खंभों पर ज्यादातर नक्काशियां राम,वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि जैसे और अवतारों के कई रूप में भगवान विष्णु को समर्पित हैं। 

कहानी भारत के एक ऐसे कुंआ की, जिसके अंदर बनी है 30 किलोमीटर लंबी खुफिया सुरंग

इसके साथ-साथ बावड़ी में नागकन्या और योगिनी जैसी सुंदर अप्सराओं की कलाकृतियां भी बनाई गई हैं। सरस्वती नदी के तट पर बनी सात तालों की यह वाव 64 मीटर लंबी 20 मीटर चौड़ी तथा 27 मीटर गहरी है। इस वाव में एक छोटा द्वार भी है, जहां से 30 किलोमीटर लंबी रहस्यमईसुरंग निकलती है। रानी की वाव ऐसी इकलौती बावड़ी है, जो विश्व धरोहर सूची में शामिल हुई है।

कहानी भारत के एक ऐसे कुंआ की, जिसके अंदर बनी है 30 किलोमीटर लंबी खुफिया सुरंग

दरअसल, रानी की वाव भूमिगत जल संसाधन और जल संग्रह प्रणाली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो भारतीय महाद्वीप में बहुत लोकप्रिय रही है। इस तरह के सीढ़ीदार कुएं का ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से यहां निर्माण किया जा रहा है। सात मंजिला इस वाव में मारु- गुर्जर स्थापत्य शैली का सुंदर उपयोग किया गया है, जो जल संग्रह की तकनीक, बारीकियों और अनुपातों की अत्यंत सुंदर कला क्षमता की जटिलता को दर्शाया है। वाव की दीवारों और खंभों पर सैकड़ों नक्काशियां की गई हैं। सात तलों में विभाजित इस सीढीदारकुएं में नक्काशी की गई 500 से अधिक बड़ी मूर्तियां हैं, और 1000 से अधिक छोटी मूर्तियां हैं। इसका चौथा तल सबसे गहरा है जो एक 9.5 मीटर से 9.4 मीटर के आयताकार टैंक तक जाता है।

रानी की वाव का इतिहास और रोचक तथ्य

English Translate 

Queen's Vav


 There is a famous stepwell (step well) located in Patan district of Gujarat state of India. It is featured on the Rs 100 note by the Reserve Bank of India in July 2018. It was included in the UNESCO World Heritage Site on 23 June 2014.

रानी की वाव का इतिहास और रोचक तथ्य

History

The story of a well in India, inside which is a 30 km long secret tunnel

 Rani Ki Vav was built by Queen Udayamati in the memory of her husband King Bhimdev in the year 1063 AD. King Bhimdev was the founder of the Solanki dynasty of Gujarat. Due to floods due to geological changes and the disappearing Saraswati river, this valuable heritage remained buried in layers of silt for about 700 years. Later in the 80s, the Archaeological Department of India discovered it and got it cleaned. The pillars of the Vav are a unique specimen of the Solanki dynasty and its architecture. 

रानी की वाव का इतिहास और रोचक तथ्य

 Most of the carvings on the walls and pillars of the vav are dedicated to Lord Vishnu in various forms like Rama, Vamana, Mahishasuramardini, Kalki and many more. Along with this, artifacts of beautiful Apsaras like Nagakanya and Yogini have also been made in the stepwell. Built on the banks of Saraswati river, this Vav of seven locks is 64 meters long, 20 meters wide and 27 meters deep. There is also a small gate in this vav, from where the 30 km long mysterious tunnel emerges. Rani ki Vav is the only stepwell that has been included in the World Heritage List.

रानी की वाव का इतिहास और रोचक तथ्य,कहानी भारत के एक ऐसे कुंआ की, जिसके अंदर बनी है 30 किलोमीटर लंबी खुफिया सुरंग

 Actually, Rani ki Vav is a classic example of underground water resource and water harvesting system, which has been very popular in the Indian continent. Such terraced wells are being constructed here since the 3rd century BC. The seven-storeyed vav has a beautiful use of the Maru-Gurjara architectural style, which shows the complexity of the technique of water collection, the exquisite art ability of nuances and proportions. Hundreds of carvings have been done on the walls and pillars of the vav. Divided into seven levels, this stepwell has more than 500 large carved sculptures, and more than 1000 small sculptures. Its fourth floor is the deepest which leads to a rectangular tank of 9.4 m by 9.5 m.

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21 comments:

  1. रानी की वाव रानी उदयमती ने अपने पति राजा भीमदेव के याद में वर्ष 1067ईसवी में बनवाया था,जो गुजरात के सोलंकी वंश के संस्थापक थे।यह भूमिगत जल संसाधन एवं जल संग्रह प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है।

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  2. इसके विषय में तो कोई जानकारी नहीं थी। महलों और किलों में राजा महाराजा सुरंग बनवाते थे लेकिन 30 किलोमीटर लंबा सुरंग आश्चर्य की बात है। प्राचीन काल की शिल्पकला और मूर्तिकला कितनी उन्नत थी उनका यह भी एक उदाहरण है।
    बहुत अच्छी जानकारी और गर्व का एक और मौका मिला।

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  3. हमारी अमूल्य धरोहर

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  4. अद्भुत! पुर्वजों को शत् शत् नमन 🙏🙏

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  5. That's why india is called Historic place 🇮🇳🇮🇳

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  6. हमारी भारतीय सनातन-संस्कृति में
    अद्भुत-अविस्मरणीय निर्माण हुआ है
    कई विशालकाय इमारतें-विराट भवन
    मनोरम मंदिरों का सदा निर्माण हुआ है
    कहीं गहरे कुंड-जलाशय-सरोवर है तो
    कहीं पर लंबा-चौड़ा और गहरा कुआं है
    जल -संग्रहण के नायाब उदाहरणों का
    यहाँ कहीं भी कोई भी नहीं अभाव है
    गुजरात के पाटन में स्थित सुप्रसिद्ध
    विशालकाय जल-बावड़ी "रानी वाव" है
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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  7. इन कलाकृतियों को देख कर विश्वास ही नहीं होता कि इतने प्राचीन समय में हमारे पूर्वज कितने कार्यकुशल थे। एक तो इतना गहरा कुआं, उसके चारों तरफ इतनी कलाकृतियां और 30km लंबी सुरंग.... incredible india

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  8. Extraordinary news about India.

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