Cricket News: Latest Cricket News, Live Scores, Results, Upcoming match Schedules | Times of India

Sportstar - IPL

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम / Ekambaranathar Temple

 एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम

दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक एकंबरेश्वर मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को एकांबरनाथ मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। दक्षिण भारत में मंदिर की कोई कमी नहीं है और इन ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण अभी नहीं बल्कि हजारों वर्ष पहले किया गया था। दक्षिण भारत में शिव को पंच भूतों के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। यहां भगवान शिव को भूताधिपति व भूतनाथ भी पुकारा जाता है।

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम / Ekambaranathar Temple

न| म| शि| वा| य -यह पांच अक्षर पांच तत्त्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का वर्णन करते हैं। इन 5 तत्वों से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। तमिलनाडु में भगवान शिव के स्वरूपों की पूजा इन पंचभूत स्थलों -भगवान शिव के प्राचीन पांच मंदिरों में की जाती है-कांचीपुरम का यह एकंबरेश्वर मंदिर धरती का स्वरूप है यहां का लिंग मिट्टी से निर्मित है ।यह मंदिर पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है। यहां तक कि शिवलिंग को अर्पित जलाभिषेक भी आधार पर किया जाता है अन्यथा मिट्टी का बना लिंग जल में घुल सकता है।  बाकी चार मंदिर तिरुवनाइकवल जम्बूकेश्वरा (जल), चिदम्बरम नटराजन(गगन), तिरुवन्नामलाई अरुणाचलेश्वरम (आग) और कालहस्तिश्वर (हवा) का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 इनको पृथ्वी लिंगम के नाम से भी पुकारा जाता है।भगवान शिव को एकाम्बरनाथ या एकंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है आम के पेड़ का देवता और उससे जुड़ी कुछ रोचक किंवदंती भी है-

प्रथम किवदंती के अनुसार एक समय शिव ने हंसी-ठठ्ठा करते हुए पार्वती को 'काली' बना दिया। पार्वती को यह नहीं भाया‌ वह कांचीपुरम के समीप से बहती वेगवती नदी के तट पर बैठ गईं। एक आम के वृक्ष के नीचे नदी की बालू से एक शिवलिंग की रचना की और उसकी आराधना की उनकी परीक्षा लेने हेतु शिव ने आम के वृक्ष पर अग्नि फेंकी पार्वती ने विष्णु से सहायता मांगी विष्णु ने शिव के ही शीश पर स्थित चंद्र द्वारा अग्नि के दा को शांत किया तब शिव ने गंगा से कहा कि वे अपना वेग बढ़ाए तथा पार्वती को भयभीत करें परंतु पार्वती ने गंगा को समझाया कि वे दोनों बहने हैं, तथा आग्रह किया कि वे शांत हो जाएं। इससे प्रसन्न होकर शिव भी नीचे आए तथा यहां दोनों का मिलन हुआ।

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम / Ekambaranathar Temple

दूसरी दंतकथा के अनुसार, पार्वती ने आम के वृक्ष के नीचे वेगवती नदी के तट पर बालू से निर्मित लिंग की आराधना की। उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए शिव ने गंगा का वेग बढा दिया, ताकि बालू का लिंग बह जाए। पार्वती ने लिंग का आलिंगन कर उसकी रक्षा की, इससे प्रसन्न होकर शिव भी धरती पर आए तथा यहां दोनों का विवाह हुआ। उनके विवाह का उत्सव आज भी फाल्गुन मास में कांचीपुरम के मंदिरों में मनाया जाता है यह लगभग मार्च-अप्रैल मास में पड़ता है।

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम का इतिहास

कांचीपुरम में बने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था 10 वीं सदी के आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया और इस मंदिर के अलावा कामाक्षी अम्मन मंदिर और वरदराज पेरूमल मंदिर का भी निर्माण कराया। 15 वीं सदी में विजयनगर शासकों द्वारा राजगोपुरम सहित बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य संपन्न किया गया जिसमें राजा कृष्णदेव राय ने अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही तंजावुर के नायकों का भी मंदिर में काफी योगदान रहा है कांचीपुरम में सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ ही यह विजयनगर वंश का उच्च प्रतीक है।

एकंबरेश्वर मंदिर की बनावट

एकंबरेश्वर मंदिर 40 एकड़ में फैला है, और इस भव्य मंदिर का गोपुरम 11 तल का है ।निचले दो माले भस्म वर्ण के हैं। गोपुरम के ऊपर 11 धातुई कलश हैं। इसे शुभ तथा समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 57 मीटर ऊंचे गोपुरम के भीतर ठीक मध्य में शिवलिंग का आलिंगन करती पार्वती की प्रतिमा है‌। प्रतिमा की यही छवि इस मंदिर का प्रतीकात्मक चिन्ह है।

एकंबरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम / Ekambaranathar Temple

मंदिर परिसर के मुख्य चौबारे में प्रवेश करते ही एक विशाल गलियारा है और मंदिर में ऐसे पांच बड़े गलियारे बने हुए हैं, जिनमें से एक में गणेश जी का छोटा मन्दिर और एक तालाब भी है. दूसरों में कई छोटे छोटे मन्दिर बने हैं । मुख्य मन्दिर के सामने एक बड़ा सा मंडप है. मंडप के अन्दर भी नंदी जी विराजमान हैं और बाहर भी। परिक्रमा पथ के रुप में बहुत ही चौड़ा गलियारा विजयनगर राजाओं द्वारा बनवाया गया था. इसके लिए लगभग 1000  विशाल खम्बे बने हैं, जो मंदिर के मुख्य आकर्षण में से एक है। इन स्तंभों पर अद्भुत नक्काशी की गई है जो इसकी भव्यता में चार चांद लगा देती है।  दीवार के बगल से ही 1008 शिव लिंगों की कतार है. मन्दिर के पीछे एक जगह एक चबूतरा और मन्दिर बना है जहाँ  एक आम का पेड़ है। इस पेड़ की  शाखाओं में अलग अलग स्वाद के फल लगते हैं।  इस पेड़ को लगभग 3500 साल पुराना बताया जाता है। मंदिर के अंदर ढाई फीट लंबा बालू से निर्मित एक शिवलिंग भी बना हुआ है इसका जलाभिषेक नहीं तैलाभिषेक करके पूजन किया जाता है। श्रद्धालुओं को इस शिवलिंग तक जाने की अनुमति नहीं है। मन्दिर के अहाते में ही मंडप युक्त तालाब है जिसे शिव गंगा तीर्थम कहते हैं।

 नव ग्रहों के मंडप में सभी ग्रह अपने अपने वाहनों पर आरूढ़ हैं। ऐसा अन्यत्र अल्प ज्ञात है। अन्दर ही एक विष्णु का मन्दिर भी है जिसे वैष्णव आचार्यों ने महत्वपूर्ण माना है और यह मन्दिर वैष्णवों के 108 दिव्य स्थलों में एक है.  बताया गया कि यहाँ माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली सप्तमी (रथ सप्तमी) के दिन गर्भ गृह में स्थित शिव लिंग पर सूर्य की किरणें सीधी पड़़ती हैं।

English Translate

Ekambareswarar Temple, Kanchipuram

Ekambareswara Temple, one of the largest temples in the world, is a famous Hindu temple located in the city of Kancheepuram, Tamil Nadu. This temple is also known as Ekambaranath Temple. this temple is dedicated to Lord Shiva. There is no dearth of temples in South India and these historical temples were not constructed now but thousands of years ago. In South India, Shiva is worshiped as the lord of the five ghosts. Here Lord Shiva is also called Bhutadhipati and Bhootnath.

दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक एकंबरेश्वर मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर

no| m| Shi| or Ya - These five letters describe the five elements earth, water, fire, air and sky. The universe has been created from these 5 elements. Forms of Lord Shiva in Tamil Nadu are worshiped at these Panchabhuta sites - the ancient five temples of Lord Shiva - This Ekambaresvara temple in Kanchipuram is a form of earth. The linga here is made of clay. This temple represents the earth. Even the Jalabhishek offered to the Shivling is done on the base, otherwise the linga made of clay may dissolve in the water. The remaining four temples represent Tiruvanikaval Jambukesvara (Water), Chidambaram Natarajan (Gagan), Tiruvannamalai Arunachaleswaram (Fire) and Kalahasteshwaram (Wind).

 They are also called by the name of Prithvi Lingam. Lord Shiva is also known as Ekambernath or Ekambareshwar, which means the deity of the mango tree and there are some interesting legends associated with it-

दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक एकंबरेश्वर मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर

According to the first legend, once Shiva laughed and made Parvati 'black'. Parvati did not like this, she sat on the banks of the river Vegvati flowing near Kanchipuram. He created a Shivling under a mango tree from the sand of the river and to test his worship, Shiva threw fire on the mango tree. Parvati sought help from Vishnu. Then Shiva asked Ganga to increase her speed and frighten Parvati, but Parvati explained to Ganga that they were both sisters, and urged her to calm down. Pleased with this, Shiva also came down and the two met here.

According to another legend, Parvati worshiped a linga made of sand on the banks of the river Vegvati under a mango tree. To test his devotion, Shiva increased the velocity of the Ganges, so that the linga of sand would flow. Parvati protected the linga by embracing it, pleased with this Shiva also came to earth and both of them got married here. The celebration of their marriage is still celebrated in the temples of Kancheepuram in the month of Phalguna, it falls approximately in the month of March-April.

History of Ekambareswarar Temple, Kanchipuram

This ancient temple built in Kanchipuram was built in the seventh century by the rulers of the Pallava dynasty. In the 15th century, large-scale construction work, including Rajagopuram, was carried out by the Vijayanagara rulers, in which King Krishnadeva Raya played an important role. Along with this, the Nayaks of Thanjavur have also contributed greatly to the temple. With Kancheepuram being the largest temple, it is a high symbol of the Vijayanagara dynasty.

Ekambareswarar Temple Structure

The Ekambareswarar Temple is spread over 40 acres, and the Gopuram of this grand temple is of 11 floors. The lower two floors are of Bhasma Varna. There are 11 metallic urns on top of the gopuram. It is considered a symbol of auspiciousness and prosperity. Right in the middle of the 57 meter high gopuram is the idol of Parvati embracing the Shivling. This image of the idol is the symbolic symbol of this temple.

कांचीपुरम में बने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था

There is a huge corridor as soon as you enter the main square of the temple complex and there are five such big corridors in the temple, one of which has a small temple of Ganesh ji and also a pond. In others, many small temples have been built. There is a big mandapa in front of the main temple. Nandi ji is seated inside the mandap as well as outside. A very wide corridor in the form of a parikrama path was built by the Vijayanagara kings. About 1000 huge pillars have been made for this, which is one of the main attractions of the temple. Amazing carvings have been done on these pillars which add to its grandeur. There is a row of 1008 Shiva Lingas from the side of the wall. A platform and a temple have been built behind the temple, where there is a mango tree. The branches of this tree bear fruits of different tastes. This tree is said to be about 3500 years old. Inside the temple, there is also a Shivling made of sand two and a half feet long, it is worshiped by performing Tailabhishek and not Jalabhishek. Devotees are not allowed to reach this Shivling. In the premises of the temple, there is a pond with a mandapa, which is called Shiva Ganga Theertham.

 In the Navagraha Mandap, all the planets are mounted on their respective vehicles. This is little known elsewhere. There is also a Vishnu temple inside which is considered important by Vaishnava masters and this temple is one of the 108 divine places of Vaishnavas. It was told that on the day of Saptami (Ratha Saptami) falling in the Shukla Paksha of the month of Magha, the rays of the sun fall directly on the Shiva Linga located in the womb.

कांचीपुरम में बने इस प्राचीन मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था

15 comments:

  1. मंदिर के बारे में दुर्लभ जानकारी।
    नमः शिवाय।

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब मोहतरमा

    ReplyDelete
  3. बहुत खूब मोहतरमा

    ReplyDelete
  4. एमकंबरेश्वर मंदिर तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम शहर में ४० एकड़ में फैला है यह मंदिर पंचभूत भगवान शिव को समर्पित है।

    ReplyDelete
  5. पढ़ने से तो बहुत वक्त लग रहा है देखने में कैसा होगा 👌👌 1008 शिवलिंग अप्रतिम

    ReplyDelete
  6. The richest culture of this world is displayed in the whole country. Your article depicted an appropriate specification of the same. An excellent article.

    ReplyDelete
  7. अद्भुत मन्दिर !

    सनातन का सम्पूर्ण प्रसाद भाव मानो भवनाकार रूप में मूर्त्तिमन्त हो उठा है

    इस स्थापत्य, इस वास्तु तक पहुँचने की कल्पना भी नहीं कर सकता है कोई ‘शान्तिप्रिय‘ या ‘पवित्र‘ समाज

    उन सबने तो दिव्य भवनों के केवल ध्वंस, ईर्ष्या, निन्दा और अपमान में ही ख्याति अर्जित की है

    🙏🙏🚩🚩वन्दे मातरम् जय सनातनधर्म 🚩🚩🙏🙏

    ReplyDelete
  8. अद्भुत मन्दिर की दुर्लभ जानकारी, 3500 साल पुराना आम का पेड़ और फल का स्वाद भी अलग अलग चमत्कारिक ही है।
    जय हो बाबा भोलेनाथ की जय

    ReplyDelete
  9. अनुपम, अद्भुत, अलौकिक, बेमिसाल।
    जय श्री हरि।
    🙏🙏
    आपका दिन शुभ हो।

    ReplyDelete