इतवार (Sunday)
"बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो.."❤
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो.."❤
*गांव का जीवन*
वो भी क्या दिन थे जब,
हम अपने गांव में रहते थे ,
इंटरनेट और पब्जी नहीं था,
साइकिल के पहिए चलते थे..
हम अपने गांव में रहते थे ,
इंटरनेट और पब्जी नहीं था,
साइकिल के पहिए चलते थे..
गिल्ली और डंडे के हम भी,
तेंदुलकर कहलाते थे,
जीते जाने पर यारों के,
कांधे पर टंग जाते थे ,
एक कटी पतंग के पीछे,
जब दस-दस दौड़ा करते थे..
तेंदुलकर कहलाते थे,
जीते जाने पर यारों के,
कांधे पर टंग जाते थे ,
एक कटी पतंग के पीछे,
जब दस-दस दौड़ा करते थे..
रेस्टोरेंट् और माल नहीं था,
पॉपकॉर्न और सिनेमा हॉल नहीं था ,
अम्मा की साड़ी पहनकर,
हम राम और सीता बनते थे,
वेद पुराणों की घटना जब,
हम मैदानों में रचते थे..
पॉपकॉर्न और सिनेमा हॉल नहीं था ,
अम्मा की साड़ी पहनकर,
हम राम और सीता बनते थे,
वेद पुराणों की घटना जब,
हम मैदानों में रचते थे..
पिज्जा, बर्गर नहीं था,
पास्ता और चाऊमीन नहीं था,
अम्मा के चूल्हे में जब,
चोखा और मकुनी पकती थी ,
सोंधी सोंधी खुशबू लेकर,
हम देसी घी से खाते थे..
पास्ता और चाऊमीन नहीं था,
अम्मा के चूल्हे में जब,
चोखा और मकुनी पकती थी ,
सोंधी सोंधी खुशबू लेकर,
हम देसी घी से खाते थे..
चोरी और व्यभिचार नहीं था,
बड़े, बुजुर्गों का तिरस्कार नहीं था ,
खेतों के मजदूर भी जब,
काका- काका कहलाते थे,
हर लड़की कर्णावती थी,
तब हम भी हुमायूं बन जाते थे..
बड़े, बुजुर्गों का तिरस्कार नहीं था ,
खेतों के मजदूर भी जब,
काका- काका कहलाते थे,
हर लड़की कर्णावती थी,
तब हम भी हुमायूं बन जाते थे..
- ऋतु सिंह
अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्कुरा दे,
तो जीतने वाला भी जीत की खुशी खो देता है यह है "मुस्कान की ताकत"..❤
तो जीतने वाला भी जीत की खुशी खो देता है यह है "मुस्कान की ताकत"..❤
आज मै खुद को राशन की दुकान की क़तार मै खड़ा पाता हू
ReplyDeleteमै अपने खेत से बिंछडने की सजा पाता हू
Happiiee Sunday 😊
ReplyDeleteBahut khubsurat....
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रण गांव का लेकिन अब गांवों की स्थिति भी बहुत बदल गई है और वहां भी आधुनिकता पहुंच गई है।
ReplyDeleteशुभ रविवार
बचपन की याद दिलाती खूबसूरत कविता।शुभ रविवार।
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteबिटिया को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और बहुत सारा आशीर्वाद...❤️
ReplyDeleteगांव के जीवन को जीवंत करती कविता। वो दिन ही और थे। अब गांव में भी न पहले जैसा चूल्हा रहा न ही उस कटी पतंग के पीछे भागना। अब तो सबकी व्यस्त जिंदगी है और कमाई के पीछे भागना है।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी प्यारी तीन देवियां...
Happy Sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteधमाकेदार फोटो 🥰🥰 बेटी की जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयां और आशीर्वाद.. लेखिका ने अपने बचपन के अनुभव को कविता में लिखा है क्योंकि अब गांव में भी वो बात नहीं.. बल्कि गांव में छल ज्यादा है.
ReplyDeleteHpy brthdy little princess 🤗🤗🙏🏻🙏🏻🍫🍫🍫🎂🎂
ReplyDeleteअति सुंदर बचपन की याद दिलाती कविता
ReplyDeleteRupa ji gagar me sagar bhar diya he ** Asha Rani
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteअपने गाँव का क्या महत्व है उन लोगों से पूछिये जो महामारी. के इस समय में प्रदेश बमुश्किल अपने घर लौटे थे।वो दृश्य आप भी आंखों के सामने घुमती हैं
ReplyDeleteNice poem..nice pic..
ReplyDeleteबचपन की मोहक,सुरीली यादों को बयां करती खूबसूरत कविता।
ReplyDeleteशुभ रविवार।
खूब पढ़ना-लिखना📝
ReplyDeleteघराने का नाम रोशन करना तुम🎓
यह गुजारिश है मेरी🥰
खुशी हो या गम हरदम👁
सफलता चुमे तुम्हारे कदम👣
यह ख्वाहिश है मेरी🥰
❤बनो तुम मेरी दुआ से❤
🎇चमकता सितारा🎇
💐मुबारक हो तुमको ये💐
🎉जन्मदिन तुम्हारा🎉
HAVE ALWAYS GREAT DAY👌
EVERYDAY ALWAYS
HAPPY DAY😃
HAVE A HONEY-FUNNY🥰
HAPPY BIRTHDAY🎉
DEAR❤DEARER❤DEAREST
👧ISHITA👧
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Ahaaaa jordaar pic 😍😍👌👌❤️❤️
ReplyDeleteBachpan ki yaad dilati kavita..
Happy birthday
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