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हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था ?

 हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था ? 

आज का मनुष्य बलवान है, ज्ञानवान है, सामर्थ्यवान है। प्रकृति पर विजय पाने की चेष्टा कर रहा है। विज्ञान ने आज इतनी प्रगति कर ली है कि चाँद पर पहुँचने के बाद मनुष्य दूसरे ग्रहों पर भी जीवन की खोज करने लगा है। आधुनिक सुख-सुविधा के समस्त साधन उसने ईजाद कर लिए हैं। आज मनुष्य ने अपने जीवन को बहुत सरल बना लिया है। परंतु विकास की इस अंधी दौड़ में क्या हमने आपने कभी समझने की चेष्टा की कि इस ऊपरी चकाचौंध भरी जिंदगी के मोह में मनुष्य अपना ही नुकसान कर रहा है।

इस बात को ज़रा और अधिक विस्तार से समझने का प्रयत्न करते हैं। मेरे पास एक पोस्ट है, आप सभी के साथ साझा कर रही हूँ। जरा इन बातों पर गौर फरमाइए और अंत में अपने विचार जरूर साझा कीजियेगा। 

1.    हमारा नुकसान उस समय से शुरू हुआ था जब हरित क्रांति के नाम पर देश में रासायनिक खेती की शुरूआत हुई और  हमारा पौष्टिक वर्धक, शुद्ध भोजन  विष युक्त कर दिया है!

हरित क्रांति..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

2.    हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश में जर्सी गाय लायी गई और भारतीय स्वदेशी गाय का अमृत रूपी दूध छोड़कर जर्सी गाय का विषैला दूध पीना शुरु किया था!

स्वदेशी गाय vs जर्सी गाय..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

3.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन भारतीयों ने दूध, दही,मक्खन, घी आदि छोड़कर शराब  पीना शुरू किया था! 

दूध, दही,मक्खन, घी vs शराब..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

4.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने गन्ने का रस या नींबु पानी छोड़कर पेप्सी, कोका कोला पीना शुरु किया था जिसमें 12 तरह के कैमिकल होते हैं और जो कैंसर, टीबी, हृदय घात का कारण बनते हैं!

गन्ने का रस या नींबु पानी vs पेप्सी, कोका कोला..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

5.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने घानी का शुद्ध देशी तेल खाना छोड़ दिया था और रिफाइंड आयल खाना शुरू किया था जो रिफाइंड ऑयल हृदय घात, आदि  का कारण बन रहा है!

शुद्ध देशी तेल vs रिफाइंड आयल..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

6.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश के युवाओं ने नशा शुरू किया था बीडी, सिगरेट, गुटखा, गांजा, अफीम, आदि शुरू किया था जिससे से कैंसर बढ रहा है! 

बीडी, सिगरेट, गुटखा, गांजा, अफीम..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

7.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ जिस दिन देश में 84 हजार नकली दवाओं का व्यापार शुरु हुआ और नकली दवाओं से लोग मर रहे हैं! असली आयुर्वेद को बिल्कुल भुला दिया गया है!

नकली दवाएं vs आयुर्वेदिक चिकित्सा..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

8.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने अपने स्वदेशी भोजन 56 तरह के पकवान छोड़कर पीजा, बर्गर, जंक फूड खाना शुरू किया था, जो अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है! 

छप्पन भोग VS जंक फूड..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

9.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन लोगों ने अनुशासित और स्वस्थ दिनचर्या को छोड़कर मनमानी दिनचर्या (ना समय से सोना - जागना, न समय से खाना - पीना ) शुरू की थी!


10.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन हम लोगों के घरों में मिट्टी के बर्तन, फूल और पीतल के बर्तन की जगह एलुमिनियम के बर्तन, प्रेशर कुकर व घर में फ्रिज आया था!

एलुमिनियम के बर्तन vs मिट्टी के बर्तन, फूल और पीतल के बर्तन..हमारा नुकसान कब शुरू हुआ था

11.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन पुरातन भारतीय जीवन शैली को छोड़कर विदेशी जीवन शैली शुरू की थी!


12.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन लोगों ने स्वस्थ रहने का विज्ञान छोड दिया था और अपने शरीर के स्वास्थ्य सिद्धांतों के विपरीत कार्य करना शुरू किया था!


13.   हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश का अधिकतर युवा / युवतियां जीने की आजादी के नाम पर स्वेच्छाचारी बनना शुरू कर दिया था! 


14.   हमारा नुकसान तब शुरू हुआ , जब ना हमने अपनी  संस्कृति को खुद जाना और ना ही अपने बच्चों को उसका ज्ञान दिया, हमारे आदर्श हमारे संत व महापुरुष नही बल्कि  संस्कारहीन फ़िल्म अभिनेता हो गए। 

अब इस अत्याधुनिक समय में जबकि हम इन बातों के आदि हो चुके हैं, इस नुक्सान की भरपाई कैसे हो ? 


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When did our loss begin?

Today's man is strong, knowledgeable, capable. Trying to conquer nature. Science has made so much progress today that after reaching the moon, man has started searching for life on other planets also. He has invented all the means of modern comfort and convenience. Today man has made his life very easy. But in this blind race of development, have we ever tried to understand that man is harming himself in the temptation of this super dazzling life.

Let us try to understand this in more detail. I have a post I am sharing with you all. Just take a look at these things and at the end you will definitely share your thoughts.

1. Our loss started from the time when chemical farming was started in the country in the name of Green Revolution and our nutritional enhancer, pure food has been poisoned!


2. Our loss started on the day Jersey Cow was brought in the country and started drinking poisonous milk of Jersey Cow leaving the nectar form of Indian indigenous cow's milk!


3. Our loss started on the day Indians started drinking alcohol, giving up milk, curd, butter, ghee etc.!


4. Our loss started on the day the people of the country started drinking Pepsi, Coca Cola, giving up sugarcane juice or lemon water, which contains 12 types of chemicals and which cause cancer, tuberculosis, heart attack!


5. Our loss started on the day the people of the country had stopped eating pure native oil of Ghani and started eating refined oil which is causing refined oil, heart attack, etc.!


6. Our loss started on the day the youth of the country started intoxication, started beedi, cigarette, gutkha, ganja, opium, etc., due to which cancer is increasing!


7. Our loss started on the day when 84 thousand counterfeit medicines were traded in the country and people are dying due to fake medicines! The real Ayurveda has been completely forgotten!


8. Our loss started on the day the countrymen left their indigenous food 56 types of dishes and started eating pizzas, burgers, junk food, which is causing many diseases!


9. Our loss started on the day people started their arbitrary routine (no sleeping on time, waking up on time, not eating on time) leaving a disciplined and healthy routine!


10. Our loss started on the day when instead of earthen pots, flowers and brass utensils, aluminum utensils, pressure cookers and refrigerators came in our homes!


11. Our loss started the day we left the archaic Indian way of life and started the foreign lifestyle!


12. Our loss began the day people gave up on the science of being healthy and started acting against the health principles of their bodies!


13. Our loss started on the day when most of the youth of the country started becoming autocrats in the name of freedom to live!


14. Our loss started when neither we knew our culture ourselves nor gave its knowledge to our children, our ideals became not our saints and great men but cultureless film actors.

Now in this modern time, when we have become accustomed to these things, how can this loss be compensated?



38 comments:

  1. यह तो बहुत ही ज्वलंत मुद्दा है। इन बातों की गहराई तक जाने में बहुत दुख होता है। यह सारी बातें हमारे स्वास्थ्य से संबंधित है जो सीधे तौर पर या इनडायरेक्टली हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचा रहे हैं।

    खेत बंजर होते जा रहे हैं। पहले जैसी पैदावार नहीं रही। रासायनिक खेती में तत्काल लाभ तो दिखता है परंतु इसके दूरगामी भयंकर परिणाम नहीं दिखते हैं। हमारे भोजन ही विषाक्त हो गए।

    हम चाह कर भी देसी गाय का दूध नहीं ले सकते क्योंकि देसी गाय बची ही बहुत कम है और जो है भी उनका रखरखाव सही नहीं है डेरी के डेरी जर्सी गायों से भरे हुए हैं। दूध दही मक्खन भी शुद्ध नहीं मिल रहे हैं हमें पता भी नहीं है कि दूध के प्रोडक्ट के नाम पर हम क्या इस्तेमाल कर रहे हैं। रिफाइंड ऑयल ने सारे मार्केट पर कब्जा कर रखा है बचा खुचा असर पाम आयल ने पूरा कर दिया है। कड़वा तेल भी मशीनों से निकलने से उसकी न्यूट्रिशन वैल्यू नष्ट हो जाती है। कोल्हू कहीं ढूंढने से भी नहीं दिखता।

    क्या-क्या चर्चा किया जाए। एलोपैथ ने सर्वे सर्वा अपना आधिपत्य बना रखा है। हम आप ही आयुर्वेद पर भरोसा नहीं करते। अगर करते भी हैं तो आयुर्वेद में कोई ऑथेंटिक डॉक्टर नहीं मिल पाता।

    कुछ लोगों के प्रयास से शायद राजीव दीक्षित जी के अथक प्रयास की वजह से आज मिट्टी के बर्तन की वापसी हो रही है नहीं तो एल्युमिनियम और स्टील के बर्तन ही सभी घरों में उपयोग में लाए जा रहे हैं।

    आज का मुद्दा बहुत खास है सभी लोगों को इस पर ध्यान देना चाहिए और पूरी तरीके से ना सही पर धीरे-धीरे इन सब चीजों की तरफ वापसी होनी चाहिए।

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  2. आज रूपा जी ने विषय तो बहुत ही गम्भीर उठाया है और जो कुछ भी लिखा है उसके जिम्मेदार हम लोग ही है इसके लिए किसी अन्य को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, जहां तक रासायनिक खाद पदार्थों कि बात है हमारे देश की जनसंख्या भी एक मुख्य कारण है हरितक्रांति मे पूर्व भुखमरी हमारे देश मे अत्यधिक थी लोगों को खाने के लिए रोटी तक नसीब नहीं होता था लोग कोदो का भात खा कर अपना जीवन यापन करते थे, ये रासायनिक खेती की ही देन है कि आज भारत का शायद ही कोई नागरिक भुख से तङप के मरता होगा,मैंने एक बार लिखा था कि हम लोग नगर बसा कर गांव ढुढते है, और लेकर हाथ मे कुल्हाड़ी पेङों की छाव ढुढते है 😊 आप ने जो कुछ लिखा सब सही है लेकिन उसके जिम्मेदार कही न.कही हम ही है

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    1. आपने सिर्फ हरित क्रांति मुद्दे पर चर्चा की. जिस कोदो के भाग कि आप चर्चा कर रहे हैं वह आज मार्केट में mymillets के नाम से और गेहूं चावल से महंगे दामों पर बिक रहा है.55rs/kg. जैसे-जैसे मोटे अनाज की जगह महीन अनाज ने लिया वैसे वैसे बीमारियां बढ़ी हैं। भुखमरी से कितने लोगों की मृत्यु हुई और आज बीमारियों से कितने लोगों की मृत्यु हो रही है और जितने लोग जीवित भी हैं, वह किन किन बीमारियों का सामना कर रहे हैं।

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    2. आज की जनसंख्या का % या अनुपात निकाल लिजिए पहले भुख से कितने लोग जनसंख्या के हिसाब से मरते थे देख लिजिए, और आप की जनसंख्या के हिसाब से अनुपात निकाल लिजिये कतने % लोग मरते हैं

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    3. आज लोग बिमारी से मरते जरूर है लेकिन. एक ऊमर के बाद लेकिन भुख कभी ऊमर नहीं देखतीं है मैडम जी

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    4. अभी अभी पोस्ट के अंत में एक इमेज ऐड किया है। निरंजन जी कृपया गौर फरमाएं।

      अब आप बताइए क्या रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती से पैदावार नहीं बढ़ाई जा सकती?

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    5. माना की भूख उमर नहीं देखती, परंतु इसके लिए रोजगार और संसाधनों की आवश्यकता है ना कि खेतों में रासायनिक उर्वरक की।

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    6. मैडम जी आज के समय मे बहुत स्थानों पर देखने को मिल रहा है कि लोग खेतों में मकान बनाने लगे हैं कृषि योग भूमि कम होती जा रही है तो क्या आप को ऐसा लगता है कि इतनी बङी जनसंख्या वाले देश मे ये समभव है

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    7. बिल्कुल संभव है। जहां रासायनिक खादों से उपजाऊं भूमि बंजर हो रही है, वहां ऑर्गेनिक खाद से बंजर भूमि की उपजाऊ होगी। रासायनिक खाद से धीरे-धीरे पैदावार कम होगी और जैविक खाद से धीरे-धीरे उसी भूमि में पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

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    8. इसके लिए तो जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत है ना कि खेतों में रासायनिक उर्वरक की।

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    9. जब हम संसद मे पहुंच जायेंगे तो जरूर जनसंख्या के विषय में आवाज उठाएंगे

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    10. धन्यवाद जी, मैं जो ना बोल पाई वो आपने कह दिया😊🙏

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  3. आचार्य राजीव दीक्षित जी को सादर प्रणाम

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  4. निःसंदेह। आज की पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा रही है। हम सभी आजकल जिस आधुनिक जीवन शैली के आदी हो गए हैं उसे बदलने में समय लगेगा। लेकिन शुरुवात कैसे हो? आज मोटा अन्न कोई खाना नही चाहता। स्वास्थ्य को विस्मृत करके स्वाद ही सर्वोपरि हो गया है। जरूरत कुछ कड़े निर्णय लेने की है। अपने घरों में रिफाइंड और एल्युमीनियम के बर्तनों का प्रयोग हम तुरंत बंद कर सकते हैं। देशी गुड़ का प्रयोग शुरू करके चीनी पर निर्भरता कम कर सकते हैं। आर्गेनिक खेती आजकल लोकप्रिय हो रही है लेकिन जब तक आर्गेनिक प्रोडक्ट्स की कीमत कम नही होगीं आम आदमी इसका उपयोग नही कर पायेगा। सरकार और समाज सेवी संस्थाओं को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए।अंत मे लेखिका को कोटिशः साधुवाद,इस जागरूकता भरी पोस्ट के लिए।

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    1. Sir, मोटा अनाज जो कोई खाना नहीं चाहता, उसकी लोकप्रियता साउथ में बढ़ती जा रही है, जो आज के समय में mymillets नाम से उपलब्ध हो रहा है। ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की कीमत तब कम होगी जब ज्यादातर लोग इस क्षेत्र में आएंगे। अभी इसकी उपलब्धता बहुत कम है इसलिए महंगे हैं।

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  5. Very burning topic....We have to follow"If there is a will,there is a way".

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  6. आज हमे यह सोचना है कि कैसे इस नुकसान से बचा जय।

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  7. आज हमे यह सोचना है कि कैसे इस नुकसान से बचा जय।

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  8. फिर से जौ,बाजरा,कोदो मोटा अनाज का उपयोग करने की कोशिश करते हैं.और घरों में गाय रखने की प्रथा की शुरुआत करते हैं..आधी से अधिक समस्या तो गाय की दूथ,घी और उसके गोबर से हल हो जाएगी 🙂

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  9. जी, 55rs में आधा किलो है 😊

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    1. I have read this post with great care and interest. The topic that touches on it is a matter of our life and our destruction as humanity. I live in a country far away from India, but the problem is the same with us! You also write about my country here! Yes, this loss affects us all - all people on Earth. And although there are a lot of people in the world, organizations that care and fight for our good, I cannot answer your question. It makes me very sad ... but I can't.
      There is one more thing that saddens me. It is known that in the past, great, highly developed civilizations led to their complete collapse with this development ... they ceased to exist. I can only say that it was people who prepared this fate for people.

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    3. First of all thank you very much.  You have remained with me continuously even though you are from another country.  Whatever the country, this problem is related to health and humanity, which is equal for everyone. You are right that, it is people who become selfish and cause the downfall of other people.  Nowadays humanity is ending and everything has come down to the economy.  Everyone is busy thinking about their own good, if others are bad in it, then too they do not care.

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    4. It's so hard to find rescue. Yes - everyone thinks about multiplying money. It is difficult for me to understand. After all, there are other values that we most need, and even necessary for our life.

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    5. Yes, it is very difficult, the marketing behind it has reached a very high level. Everyone has to be aware himself. You have to start from your home.The human values ​​that you are talking about have been limited to speech only.

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  11. Very excellent your post, thanks very nice information for helth for every person,, thanks

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  12. बात तो सारी सही है, पर आज के परिवेश में हम लोग उसी के आदी हो चुके हैं. बच्चे फास्ट फूड कोल्ड ड्रिंक के बगैर मानते नहीं. चाहे कितना भी समझा लो. मेरे पड़ोस में एक ऐसा बच्चा है जिसको 12 साल की उम्र में डायबिटीज हो गया है. घर वाले परेशान हैं, पर वह पिज्जा कोल्ड ड्रिंक खाए बगैर मानता ही नहीं है. अब बच्चों को कैसे समझाइए. कई बातें हैं बड़े बुजुर्गों परेशानी होने पर परहेज कर लेते हैं, पर बच्चे बिल्कुल नहीं मानते और हमें बच्चों के आगे हार ही मानना पड़ता है. जो बातें हम लोगों तक हैं जैसे बर्तन एलुमिनियम की जगह पीतल और फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं परंतु हम लोग भी कुकर और फ्रिज कितने आदि हो चुके हैं की यह सब बर्तन इस्तेमाल करने में सोचना पड़ता है कुकर में खाना आसानी से और जल्दी पक जाता है इसलिए हमें दूसरा बर्तन उपयोग लाते नहीं होता फिर भी धीरे-धीरे प्रयास करके यह सब चीजें बदली जा सकती है. जिन लोगों के घरों में परेशानियां शुरू हो गई हैं वह लोग बदलाव भी ला चुके हैं पर जिनके यहां कोई समस्या नहीं है वह जल्दी इन बातों को नहीं मानते.

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    1. हां ये समस्या भी है। बच्चों को छोटी उम्र में परेशानी हो रही और बच्चे मानते नहीं। फिर भी कुछ घरों में एक लिमिटेशन है और कुछ घरों में तो बहुत ज्यादा है। आज मन नहीं कर रहा खाना बनाने zomato से ऑर्डर कर देते हैं। अब इसके बीच बच्चा रहेगा तो वो भी तो यही सीखेगा।

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  13. हमें क्या और कब से नुकसान हो रहा है,शीर्षक से काफी जानकारी दी गई है ।

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