तीन महीने पूरी तरह अंधेरे में रहता है यह गांव, लोगों ने बना लिया खुद का सूर्य
आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है, इस कहावत को इटली के विगानेला (Viganella) गांव के लोगों ने चरितार्थ किया है। दरअसल, बात यह है कि इस गांव में 3 महीने तक सूर्य की रोशनी ही नहीं पहुंचती थी इसलिए यहां के लोगों ने रोशनी पाने के लिए अपना आर्टिफिशियल सूरज बना लिया।
विगानेला इटली का एक छोटा सा गांव है, जो मिलान से 130 किलोमीटर उत्तर में एक गहरी घाटी के तल पर स्थित है। यह गांव चारों तरफ पहाड़ों और घाटियों से घिरा हुआ है। इसी वजह से खासतौर पर ठंड के महीने नवंबर से लेकर फरवरी तक यहां अंधेरा छाया रहता है, क्योंकि सूर्य की किरणें इस गांव तक पहुंचती ही नहीं हैं।
लंबे समय तक सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाने की वजह से इस गांव में बीमारियां फैलने लगती थीं। लोग रोशनी नहीं मिल पाने की वजह से नकारात्मक मानसिकता, नींद की कमी, मूड खराब रहने जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे और अपराध भी बढ़ जाता था।
ऐसे में इस गांव के लोगों ने ठंड के मौसम में रोशनी के लिए जो व्यवस्था की वो तारीफ- ए- काबिल है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव के लोगों ने रोशनी पाने के लिए साल 2006 में 100000 यूरो की मदद से 8 मीटर लंबा और 5 मीटर चौड़ा स्टील के शीट (करीब 1.1 टन वजन) का निर्माण किया और दर्पण को 1100 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ के विपरीत ढलान पर स्थापित किया गया। बेशक, पूरे गांव को रोशन करने के लिए दर्पण बहुत छोटा है, इसलिए चर्च के सामने विगानेला का मुख्य वर्ग चुना गया था।दर्पण कंप्यूटर से संचालित होता है, जो पूरे दिन सूर्य के मार्ग का अनुसरण करता है, और आधा मील दूर गांव के चौराहे पर सूरज की रोशनी को दर्शाता है, तथा दिन में कम से कम 6 घंटे के लिए 300 वर्ग गज के क्षेत्र में रोशनी करता है। सूर्य के मार्ग का अनुसरण करने के लिए दर्पण को कंप्यूटर से जोड़ा गया है इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर विगानेला के मेयर पियरफ्रैंको मिडाली ने कहा - 'यह आसान नहीं था,हमें इसके लिए उचित सामग्री ढूंढनी थी, तकनीक के बारे में सीखना था, और विशेष रूप से पैसों का इंतजाम करना बड़ी चुनौती थी'।
इस तकनीक को एक वैज्ञानिक ने समझाते हुए बताया कि स्टील शीट पर लगा दर्पण दिन में 6 घंटे सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है, जिससे गांव वालों को अंधेरे से मुक्ति मिल जाती है। मिडाली ने कहा, इस परियोजना के पीछे के विचार का वैज्ञानिक आधार नहीं बल्कि मानवीय जरूरत है। इस स्टील शीट की वजह से अब ठंड के मौसम में भी गांव के लोगों को 6 घंटे की रोशनी मिल जाती है, जिससे वे आसानी से दिन और रात का फर्क महसूस करते हैं।उनका कहना है कि शीशा लग जाने के बाद निवासियों के मिजाज और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आया है।
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This village remains in complete darkness for three months, people have made their own sun
Necessity is the mother of invention, this proverb has been realized by the people of Viganella village in Italy. Actually, the thing is that sunlight did not reach this village for 3 months, so the people here made their own artificial sun to get light.
Viganella is a small village in Italy, located 130 km north of Milan at the bottom of a deep valley. The village is surrounded by mountains and valleys on all sides. For this reason, there is a dark shadow, especially from the cold months of November to February, because the rays of the sun do not reach this village.
Due to lack of sunlight for a long time, diseases started spreading in this village. People were suffering from problems like negative mentality, lack of sleep, poor mood due to lack of light and crime also increased.
In such a situation, the arrangements made by the people of this village for lighting in the cold season are praise-e-worthy. According to the BBC report, the people of this village built 8 meters long and 5 meters wide steel sheets (weighing about 1.1 tons) in 2006 with the help of 100,000 euros to get the light, and the mirror was mounted on the mountain at an altitude of 1100 meters. installed on the opposite slope. Of course, the mirror is too small to illuminate the entire village, so Vignella's main square in front of the church was chosen. The mirror is computer-operated, following the path of the sun throughout the day, and half a mile away from the village. Reflects sunlight to the intersection, and illuminates an area of 300 square yards for at least 6 hours a day. The mirror is connected to a computer to follow the path of the Sun. Regarding the use of this technology, the mayor of Vignella, Pierfranco Midali, said - 'It was not easy, we had to find the right material for it, learn about the technology, And especially arranging the money was a big challenge'.
Explaining this technique, a scientist said that the mirror mounted on a steel sheet reflects sunlight for 6 hours a day, thereby freeing the villagers from darkness. The idea behind this project has not a scientific basis, but a human need, Midali said. Due to this steel sheet, now the people of the village get 6 hours of light even in cold weather, due to which they can easily feel the difference between day and night. They say that after the glass is installed, the mood of the residents and There has been a positive change in behavior.
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ReplyDeleteएकदम अनोखी जानकारी।
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ReplyDeleteबढ़िया जानकारी 👌👍
ReplyDeleteजय हो रूपा मैडम की 😂
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ReplyDeleteWowwwwwwww 😨😱
ReplyDeleteHere arises one conclusion - without light, without the sun - we perish.
ReplyDeleteइटली के विगनेला ग्राम का कृत्रिम सूर्य बनाने का अद्भुत एवं सराहनीय है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteवास्तव में, आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है...
ReplyDeleteVery good post about it 👍👍
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ReplyDeleteNice
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ReplyDeleteVery knowledgeable...Good job and keep it up 👌👍
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