नाग पंचमी (Nag Panchami 2021)
नाग पंचमी (Nag Panchami) हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी (Nag Panchami) के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध और धान के लावा से स्नान कराया जाता है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने की नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है। इस साल नाग पंचमी (Nag Panchami) 13 अगस्त 2021 को मनाया जा रहा है।
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥ (भविष्योत्तरपुराण – ३२-२-७)(अर्थ: वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनंजय - ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं।)
नाग पंचमी के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में नाग कुआं नामक स्थान पर बहुत बड़ा मेला लगता है। किवदंती है कि इस स्थान पर तक्षक गरुड़ जी के भय से बालक रूप में काशी संस्कृत की शिक्षा लेने हेतु आए,परंतु गरुड़ जी को इसकी जानकारी हो गई, और उन्होंने तक्षक पर हमला कर दिया, परंतु अपने गुरु जी के प्रभाव से गरुड़ जी ने तक्षक नाग को अभय दान दे दिया, उसी समय से नाग पंचमी के दिन यहां नाग पूजा की जाती है। यह मान्यता है कि जो भी नाग पंचमी के दिन यहां पूजा - अर्चना कर नागकुआं का दर्शन करता है, उसकी जन्मकुंडली के सर्प दोष का निवारण हो जाता है
नाग पंचमी के ही दिन अनेक गांवों व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है, जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
कथा
नाग पंचमी के दिन नाग पूजा को लेकर भविष्य पुराण के पंचमी कल्प में एक रोचक कथा मिलती है। कथा के अनुसार राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने का फैसला किया था। राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी। इसलिए जनमेजय ने यज्ञ से संसार के सभी सांपों की बलि चढ़ाने का निश्चय किया।(महाभारत युद्ध के समय जब अभिमन्यु मारे गए तब उनकी पत्नी उत्तरा गर्भवती थीं और उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जो आगे चलकर हस्तिनापुर के राजा हुए जिनका नाम परीक्षित था और परीक्षित के ही पुत्र राजा जनमेजय हैं।)
राजा जनमेजय का यज्ञ इतना शक्तिशाली था कि उसके प्रभाव से सभी सांप अपने आप खींचे चले आए। तक्षक नाग इस यज्ञ के भय से पाताल लोक में जाकर छुप गए। राजा जनमेजय मैं यज्ञ करने वाले रिसीव से मंत्रों की शक्ति को बढ़ाने के लिए कहा जिससे अग्नि का ताप बढ़ सके। तब इंद्र ने तक्षक केसाथ यज्ञ स्थल पर जाने का निश्चय किया इसके बाद तक्षक के जीवन को बचाने के अंतिम प्रयास में देवताओं ने सड़कों की देवी मनसा देवी का आह्वान किया।देवताओं की पुकार पर मनसा देवी ने अपने बेटे अस्टिका को भेजा और जनमेजय से यज्ञ को रोकने की विनती करने के लिए कहा। जनमेजय के यज्ञ को रोकने के लिए राजी करना आसान काम नहीं था, लेकिन अष्टिका सर्प यज्ञ को रोकने में सक्षम रहे। इस प्रकार सांपों के राजा तक्षक का जीवन बच गया, ये नवी वर्धिनी पंचमी का दिन था, तभी से इस दिन को जीवित बचे सर्पों को श्रद्धांजलि देने रूप में नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाने लगा।
कृष्ण और कालिया
इसी तिथि से जुड़ी एक और कथा भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी है।एक बार श्री कृष्ण वृंदावन के चरवाहों के साथ खेल रहे थे, इसी बीच उनका खिलौना यमुना नदी में गिर गया और समस्या यह थी कि नदी में कालिया सांप रहता था।खिलौना लेने के लिए जब कृष्ण नदी में गए तो कालिया सांप ने उन पर हमला किया और दोनों के बीच युद्ध हुआ। कृष्ण ने करारा जवाब देते हुए कालिया को युद्ध में पछाड़ दिये और कालिया सांप (जिसके कई सारे सिर थे) के सिर पर नृत्य करते हुए नदी से बाहर आए। कृष्ण ने कालिया सांप को इस शर्त पर जाने दिया कि वह वृंदावन में कभी वापस नहीं आएगा और यहां के लोगों को कभी परेशान नहीं करेगा। शास्त्रों के अनुसार वह दिन भी पंचमी का दिन था।
शास्त्रों के अनुसार, अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है, तो नाग पंचमी के दिन उपाय करने से व्यक्ति को इस दोष से मुक्ति मिल सकती है।
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Nag Panchami 2021
Nag Panchami is a major festival of Hindus. According to the Hindu calendar, this festival is celebrated on the fifth day of Shukla Paksha of Sawan month as Nag Panchami. On this day the serpent or snake is worshipped and bathed with milk and paddy lava. In the scriptures, the serpents have not been told to drink milk, but to bathe with milk. Ashtnagas are worshiped on this day. This year Nag Panchami is being celebrated on 13 August 2021.
Vasuki: Takshaschaiva Kaliyo Manibhadrakah. (Bhavishyottara Purana – 32-2-7) (Means: Vasuki, Takshaka, Kaliya, Manibhadrak, Airavata, Dhritarashtra, Karkotaka and Dhananjaya – they bestow fearlessness on living beings.)
On the holy festival of Nag Panchami, a big fair is held in Varanasi (Kashi) at a place called Nag Kuan. Legend has it that because of the fear of Takshak Garuda ji at this place the child…
On the day of Nag Panchami, wrestling is organized in many villages and towns, in which nearby wrestlers participate. Animals like cows, bulls etc. are taken to the river pond on this day and bathed.
Story
An interesting story is found in the Panchami Kalpa of Bhavishya Purana regarding Nag Puja on the day of Nag Panchami. According to the legend, King Parikshit's son Janamejaya had decided to avenge his father's death. King Parikshit died due to the bite of the snake Takshak. Therefore Janamejaya decided to sacrifice all the snakes of the world by yajna. King Janamejaya is the son of Parikshit.
King Janamejaya's yajna was so powerful that all the snakes were automatically pulled away under its influence. Takshak Nag hid in the Hades due to the fear of this sacrifice. King Janamejaya I asked the receiver who performed the yajna to increase the power of the mantras so that the heat of the fire could increase. Then Indra decided to accompany Takshak to the Yagya site, after which the gods invoked Manasa Devi, the goddess of the roads, in a last attempt to save Takshak's life. requested to stop. It was not an easy task to persuade Janamejaya to stop the Yagya, but Ashtika Sarpa was able to stop the Yagya. Thus the life of the king of snakes, Takshak, was saved, it was the day of Navi Vardhini Panchami, since then the festival of Nag Panchami was celebrated on this day as a tribute to the surviving snakes.
Krishna and Kalia
Another story related to this date is related to the life of Lord Krishna. When Krishna went to the river to get the toy, Kaliya snake attacked him and a fight ensued between the two. Krishna, giving a befitting reply, defeated Kaliya in the battle and Kaliya came out of the river dancing on the head of the snake (which had many heads). Krishna let the Kaliya snake go on the condition that he would never return to Vrindavan and would never disturb the people here. According to the scriptures, that day was also the day of Panchami.
According to the scriptures, if someone has Kaal Sarp Dosh in his horoscope, then by taking remedies on the day of Nag Panchami, one can get rid of this defect.
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ReplyDelete🐍नाग 🐍पंचमी 🐍छम्म्मम🐍 छम 🐍
ReplyDeleteढोल🐍 ढामाका 🐍ढमम्मक 🐍ढम🐍
🐍सभी 🐍@rupaooskiekbood 🐍पाठक🐍 साथियो 🐍के 🐍लिये 🐍
🐍नाग 🐍पंचमी 🐍के 🐍पवित्र 🐍त्योहार🐍 की 🐍शुभकामनाऐं🐍
Nice
ReplyDeleteNice information..
ReplyDeleteWah jai ho
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteनाग पंचमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeletejai bholenath
ReplyDeleteHappy Nagpanchami....jai bam bhole, 🙏
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteशुभ नागपंचमी 🙏🐍
ReplyDeletenaag panchami ki shubhkamnayen
ReplyDeleteबचपन मे इसे हम लोग गुड़िया का त्योहार के रूप में मनाते थे।शुभ नागपंचमी
ReplyDeleteNice
ReplyDeletejai shiv shankar..🙏🙏
ReplyDeleteNaag Panchami ki shubhkamnaye
ReplyDeleteOm namah shivaya🙏🙏
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