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भादो का महीना और आयुर्वेद || भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

भादो का महीना और आयुर्वेद || भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

भादो का महीना और आयुर्वेद भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

भादो

भादो की लस्सी कुत्तो की, कार्तिक की लस्सी पूतों को..

ये सुनने में केवल एक लोक कहावत लगती है लेकिन इसके बहुत गूढ़ अर्थ हैं। और ये सीधा सीधा हमारी सेहत से जुड़ा है। हिंदू कैलेंडर का छठा महीना भादों बरसात के दो महीनों में से एक है। सावन की रिमझिम बारिश में चारों और हरियाली की चादर फैली होती है, तो भाद्रपद महीने की धूपछांव सावन की हरियाली को खत्म करने लगती है। हांलाकि बारिश इस महीने में भी पड़ती है, लेकिन सूर्य चूंकि तब तक सिंह राशि में आ जाता है और शेर की तरह ही दहाड़ता दिखता है। इस महीने की धूप बहुत तीक्ष्ण होती है। इस महीने में भी उन्हीं सब बीमारियों का डर रहता है जिनका सावन में रहता हैं - वायरल, खांसी, जुकाम, डायरिया, मलेरिया, डेंगू आदि। आयुर्वेद में इस महीने में खान- पान के नियम बहुत सख्त रखे गए। इस महीने में दही और लस्सी का प्रयोग तो बिल्कुल मना किया गया है। दही और लस्सी ही क्यों खमीर से बनने वाले जितने भी खाद्य पदार्थ जैसे इडली , वड़ा , डोसा , ढ़ोकला आदि कुछ भी नहीं खाना चाहिए ।

भादो का महीना और आयुर्वेद । भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

इस महीने की उग्र धूप से शरीर में पित्त का संचय होता है । इसी कारण आपने देखा होगा कि कईं लोगों को बरसात में बहुत फोड़े फुंसियां निकलती हैं इसलिए उन सब वस्तुओं के खाने की मनाही है जिससे पित्त बढ़े। अरबी, भिंडी , कटहल जिमिकंद नहीं खाना चाहिए। परवल, करेला, मेथी दाना, कच्ची हल्दी, चिरायता और गिलोए का सेवन सेहत के लिए बहुत अच्छा है। आयुर्वेद के अनुसार इस महीने में पित्त शांत करने के लिए ठँडे दूध के साथ हरड़ का मुरब्बा खाना चाहिए। आंवले के साथ कुज्जे वाली मिश्री सुबह शाम लेनी चाहिए ।

इसी महीने में आता है गणेश उत्सव और गणेश जी पर दूर्वा चढ़ाई जाती है । महाराष्ट्र में तो दूर्वा की सुंदर माला बना कर गणेश जी को पहनायी जाती है । नन्ही दूब धार्मिक रूप से वृद्धि और विस्तार का प्रतीक है तो आयुर्वेद के अनुसार इसमें बहुत से गुण है दूर्वा पित्त को शांत करती है । कोमल दूर्वा का रस अगर खाली पेट लिया जाए तो शरीर की गरमी शांत होती है । और पित्त भी नियंत्रण में रहता है । दूर्वा एंटिबायटिक भी है ।

भादो का महीना और आयुर्वेद भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

चातुर्मास विशेषकर बरसात में सोने से तीन घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए . क्योंकि इन महीनों विशेष रूप से बरसात में जठराग्नि मंद पड़ जाती है और पाचन शक्ति बहुत अच्छी नहीं होती । शुद्ध सात्विक और कम मिर्च मसाले का भोजन करना चाहिए ।

भाद्रपद महीने का नाम दो नक्षत्रों उत्तराभाद्रपद और पूर्वाभाद्रपद के नाम से पड़ा है । इस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा इन दोनों में से किसी एक नक्षत्र में होता है । वैदिक काल में इस महीने को नभस्य और षौष्ठपद कहा जाता था । उत्तराभाद्रपद और पूर्वा भाद्रपद दो दो सितारों से मिल कर बने हैं यानि कुल मिला कर हुए चार सितारे । चारों सितारे मिल कर पलंग के पांयें की आकृति जैसे लगते हैं । अकेला उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का प्रतीक जुड़वां है । इसके स्वामी बृहस्पति और शनि हैं इसलिए इसमें सत गुणों और तमस गुणों का टकराव रहता है ।

भादो का महीना और आयुर्वेद । भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

भले ही भाद्रपद चातुर्मास का दूसरा महीना है, जिसमें सभी शुभ कार्य करने की शास्त्रों में मनाही है । क्योंकि इन महीनों में मन और तन दोनों ही कमज़ोर रहते हैं । नेगेटिव सोच हावी रहती है इसलिए अच्छे फैसले और शुभ कार्य नहीं किए जाते । लेकिन त्यौहारों और पर्वों की इस महीने में भरमार है । भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी उनकी शक्ति और सखी राधा रानी की जन्माष्टमी ,भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म , प्रथम पूजे जाने वाले गणपति बप्पा के जन्म की चतुर्थी और फिर पूरे दस दिन का गणपति उत्सव , भगवान विष्णु का वामन अवतार , केरल का ओणम उत्सव ये भी दस दिन तक चलता है । पूरा केरल फूलों की रंगोलियों से सज जाता है । अपने राजा बलि के धरती पर आगमन की खुशी में केरलवासी दस दिन का उत्सव मनाते हैं । भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराजा बलि से तीन पग धरती मांग ली थी और फिर तीन पग में पूरा ब्रह्मांड माप लिया और राजा बलि को पाताल में भेज दिया था । अपनी प्रजा को बलि बचन देकर गए थे कि इस महीने में दस दिन के लिए वो पृथ्वी पर हर साल आयेंगें । इसी महीने में जाहरवीर गुगापीर का पर्व भी आता है । और सुहागिनों का पर्व हरितालिका तीज भी इसी महीने में मनाया जाता है ।

भादो का महीना और आयुर्वेद । भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

सावन व् भादो मास में खान पान का विशेष् ध्यान रखे। इस मौसम में जठराग्नि (पाचन शक्ति) कमजोर व् मंद हो जाती है। इसलिए वात् पित्त व् कफ रोग बढ़ जाते है।वर्षा ऋतू में जलवायु में विषाक्त कीटाणु पैदा हो जाते है।जो बीमारियां फैलाते है।

क्या न खाए —

1. दूध, दही, लस्सी न पिए।

2. हरी पते वाली सब्ज़िया न खाएं।

भादो का महीना और आयुर्वेद । भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

3. रसदार फल न खाएं।

4. बैंगन न खाएं इनमे कीड़े हो जाते है और गैस भी बनाते है।

5. चकुंदर,खीरा, ककड़ी न खाए।

6. फ़ास्ट फूड न खाएं।

7. ज्यादा मिठाई न खाएं।

8. मास मदिरा न ले।

9.ठंडी व् बासी चीज न खाय।

10. आइस क्रीम व् कोल्ड ड्रिंक्स न पियें।

भादो का महीना और आयुर्वेद । भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं

क्या खाएं —-

आयुर्वेद के अनुसार इस महीने में जल्दी पचने वाले ताज़ा व् गर्म खाना चाहिए।

1. सेब,केला,अनार,नासपाती आदि मौसमी फल खाये।

2. टमाटर का सुप ले सकते है।

3. अदरक,प्याज, लहसन खाएं।

4. बेसन की चीजें व् हलवा खाये।

5. पानी उबाल कर पिए।

6. हल्दी वाला दूध पिए।

7. देसी चाय पिए।

8. पुराना चावल, गेहूं ,मक्का, सरसों,मुंग, अरहर की दाल खाएं।

9.छोटी हरड खाएं पेट साफ़ रहेगा व् पेट की बीमारियो से बचाव रहेगा।

भादो का महीना और आयुर्वेद । भादो के महीने में क्या खाएं क्या ना खाएं


ऋतु अनुसार आहार

ऋतु अनुसार आहार (किस महीने में कौन सी चीज़ खानी चाहिए)

ऋतु अनुसार आहार (किस महीने में कौन सी चीज़ नही खानी चाहिए)

32 comments:

  1. कुआर करेला कातक दही
    मर हो तो ने मनो परहो सही
    परहो = सोना
    मनो = मगर
    कुआर, कातक हिंदी महिना का नाम

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  2. बहुत सटीक जानकारी खान पान के बिषय में दी, अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी है, धन्यवाद जी

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  3. हमारे पूर्वज कहावतों में ही सब कुछ सिखा देते थे। अलग से पढ़ने सीखने जानने की जरूरत नहीं पड़ती थी। अब जबकि खुद को ही पता नहीं होता तो बच्चों को कहां से शिक्षा दी जाएगी।

    पोस्ट में आप बहुत उपयोगी जानकारियां ले के आती हैं, पर विडंबना ये हा कि यह रेगुलर फॉलो नहीं हो पाता। जब पोस्ट पढ़ो तो घर में सबको इससे अवगत तो करता हूं। फिर वो 1-2 दिन बाद पहले ढर्रे पर आ जाता। इसका क्या उपाय किया जाए😂😂

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    1. इसका उपाय तो खुद ही करना पड़ेगा..

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    2. दुर्लभ जानकारी।

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  4. Thank you so much for healthy knowledge, nowadays modern people don't have much knowledge regarding these things. I think your article will help them. Keep writing.

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  5. ॠतु अनुसार प्रकृति हमें सब चीजें देती है, लेकिन अब हमें यह पता ही नहीं चल पाता कि किस मौसम में क्या सही है,और ना ही हम जानने की कोशिश करते हैं,. ‌सारे फल एवं सब्जियां बारहों माह उपलब्ध हैं...ऐसे में तुम्हारे ब्लॉग द्वारा इस विषय पर जानकारी देना प्रशंसनीय है..👍👍👌👌

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  6. आप का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है। अपने ज्ञान को सबके साथ साझा करना बहुत ही सराहनीय कार्य है और मैं आप को इस ज्ञान वर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद करता हूं।

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    1. कोशिश यही है। सबका साथ मिलता रहा तो यह कार्य चलता रहेगा। आपके हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।

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  7. Good information
    But madam ye देसी चाय क्या है 🤔

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    1. काढ़े को कहते देसी चाय.. जिसमें चायपत्ती का उपयोग नहीं होता। अब ये काढ़ा किसी भी चीज का हो सकता। तुलसी, गिलोय, हरसिंगार, पत्थरचट्टा के पत्तों का या फिर लौंग, इलायची,दालचीनी,कालीमिर्च,अदरक का।

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  8. very useful information. .bas yaad nhi rahta aur follow nahi hota😂

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  9. A very filterated information has been derived from vitamin theory, hygiene, health and nutrition. Really an extremely well presentation is made . Thanks mem.

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  10. हमारे यहां एक कहावत बोली जाती है
    सावन साग न भादों दही
    क्वार करेला,कातिक मही(मट्ठा या छाछ)
    लेकिन भादों महीने में क्या खाएं और क्या न खाएं,यह बताकर आपने इस पोस्ट की सार्थकता को कई गुना अधिक बढ़ा दिया है।

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  11. अच्छी जानकारी

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  12. आधुनिक परिवेश में सब कुछ सालों भर उपलब्ध रहता है, कब क्या न खाएं ये जानना ज्यादा जरूरी है।
    अच्छी और उपयोगी जानकारी

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  13. काफी ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी लेख।

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  14. उपयोगी जानकारी।

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  15. क्या खाएं,क्या न खाएं,इसकी अच्छी जानकारी दी गई है।

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