ऋतु अनुसार आहार
हिंदू शास्त्रों और आयुर्वेद में भोजन से संबंधित बहुत कुछ वर्णन मिलता है। जैसे कि किस महीने में क्या खाएं और कब क्या ना खाएं। दरअसल इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। कुछ लोग इन वैज्ञानिक तथ्यों को परंपरा से जोड़कर भी देखते हैं। चलिए जानते हैं किस हिंदू माह में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।
आज महामारी के दौर में इम्युनिटी (Immunity) की चर्चा सर्वत्र है। इम्युनिटी (Immunity) बढ़ाने के तरीकों और नुस्खों से पूरा सोशल मीडिया भरा पड़ा है। हमारे महान देश के प्राचीन मनीषियों ने बहुत पहले ही बता दिया था कि मौसम और तासीर के हिसाब से शरीर के खाने-पीने का ध्यान रखा जाय तो बीमारियां पास नही आएंगी और इम्युनिटी (Immunity) अपने आप बनी रहेगी। आइए देखते हैं कि किस महीने में कौन सी चीज़ नही खानी चाहिए।
पुराने समय की कहावत है -
फिर भी वर्तमान में इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के मद्देनजर सादर प्रेषित है
चैते गुड़, वैसाखे तेल । जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल ...
सावन साग, भादौ दही। कुवांर करेला, कार्तिक मही...
अगहन जीरा, पूसै धना। माघे मिश्री, फागुन चना...
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहीं धरै...
किस माह में क्या न खाएँ.....
चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं (15 march-15april)
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं (16April-15may)
जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए (16May-15june)
अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं (16june-15july)
सावन माह में साग न खाएं (16july-15August)
भादों माह में दही न खाएं (16august-15september)
क्वार माह में करेला न खाएं (16september-15october)
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं (16October-15november)
अगहन माह में जीरा न खाएं (16 November-15 December)
पूस माह में धनिया न खाएं (16 Dec- 15 jan)
माघ माह में मिश्री न खाएं (16jan-15feb)
फागुन माह में चना न खाएं (16 feb- 14march )
जो कोई इतने से परहेज करे उसके घर वैद्य के पैर न पड़ें।
चैत्र माह अर्थात होली के बाद का समय ऋतुओं का संधि काल होता है। ग्रीष्म ऋतु का आगमन होने लगता है और सर्दियाँ हमसे विदा ले लेती हैं।इस माह में हमे नए गुड़ का सेवन नही करना चाहिए। इसी प्रकार वैशाख मास में गर्मी का प्रकोप अत्यधिक होता है अतः हमें किसी भी प्रकार का नया तेल नही लगाना चाहिए। बात की जाय ज्येष्ठ मास की यानि लगभग 16 मई से 15 जून का समय।इस वक्त गर्मी अपने शबाब पर होती है।सूर्य भगवान की प्रचंड किरणें मनुष्य के तन को झुलसा देती हैं।अतः इस माह में दोपहर में नही चलना चाहिए। लगभग16 जून से 15 जुलाई के समय अर्थात आषाढ़ मास में वर्षा ऋतु की आहट सुनाई पड़ने लगती है अतः इस माही के पके हुए बेल का सेवन निषिद्ध है।सावन के महीने में यानि लगभग16 जुलाई से 15 अगस्त तक वर्षा ऋतु अपने पूरे रौ में होती है अतः इस वक्त किसी भी प्रकार के साग का प्रयोग नही करना चाहिए।
भादों के महीने यानि लगभग16 अगस्त से 15 सिंतबर तक वर्षा काल रहता है और इस समय भी काफी वर्षा होती है।वातावरण में भी नमी की मात्रा अधिक रहती है। इस महीने दही के सेवन से परहेज करना चाहिए। अब बात की जाय क्वार महीने की अर्थात लगभग 16 सितंबर से 15 अक्टूबर का समय । इस समय वर्षा ऋतु विदा लेती रहती है ।इस मास पर्यन्त सभी को करेला का उपयोग नही करना चाहिए। लगभग16 अक्टूबर से 15 नवंबर तक यानि कार्तिक मास में गुलाबी सर्दियां शुरू हो जाती है और इस महीने में जमीन पर नही सोना चाहिए। मार्गशीर्ष मास का समय लगभग 16 नवंबर से 15 दिसम्बर तक होता है और जाड़ा पड़ने लगता है।इस महीने जीरा का प्रयोग नही करना चाहिए। पूस का महीना अर्थात लगबगग 16 दिसम्बर से 15 जनवरी के मध्य ठंड बहुत अधिक पड़ती है और इस महिने में धनिया के उपयोग से बचना चाहिए। लगभग 16 जनवरी से 15 फरवरी का समय पवित्र माघ मास होता है।सूर्य भी उत्तरायण हो जाते हैं। इस माह में मिश्री नही खानी चाहिए। इसके बाद साल का अंतिम महीना फाल्गुन का आता है जो लगबगग16 फरवरी से 15 मार्च तक होता है। इस मास पर्यन्त चना का सेवन नही करना चाहिए।
ऊपर बताई गई चीजें उस महीने में खाने से वे शरीर के बात,पित्त और कफ के असंतुलन का कारण बनती हैं। परिणामस्वरूप हम लोग बीमारी के चपेट में आ जाते हैं।अतः इंसान को उपर्युक्त चीजों का यथासंभव परहेज उन महीनों में अवश्य करना चाहिए, जिससे वह डॉक्टर के पास जाने से बच सके।
कुछ अन्य निर्देश
# स्नान के पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें ..
# भोजन के बाद कुछ देर बाई करवट लेटना चाहिए ..
# रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना चाहिए ..
# प्रातः पानी पीकर ही शौच के लिए जाना चाहिए ..
# सूर्योदय के पूर्व गाय का दूध पीना चाहिए ..
# व्यायाम के बाद दूध अवश्य पिएं ..
# मल, मूत्र, छींक का वेग नहीं रुकना चाहिए ..
# मौसमी फल का सेवन करना चाहिए ..
# रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिए ..
# रात्रि में फल कभी नहीं खाना चाहिए ..
# भोजन करते समय पानी नहीं पिएं। भोजन के पश्चात कम से कम 45 मिनट के बाद जल पीना चाहिए..
# स्नान रोजाना अवश्य करना चाहिए ..
# भोजन के समय क्रोध न करें, बल्कि प्रसन्न रहें। आवश्यकता से अधिक बोलना भी नहीं चाहिए वह बोलते समय भोजन करना रोक दें..
Ati sunder vichar jo jivan me apnane chaiye
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteHelpful information
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, अनुसरण करने का प्रयास करता हूं
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteगजब का पोस्ट...पहले तो दादी नानी ऐसे बोल बोल के ये सब कहावतें याद करा देती थीं...और सबको रट जाता था और साथ में सभी इसको फॉलो भी करते थे। आज की भागमभाग जिंदगी और एकल परिवार ने ये सब संस्कार खतम ही कर दिए। अब ये सब भी पढ़ना पड़ता ...पढ़ भी लो तो फॉलो नहीं होता...याद ही नहीं रहता, जिसका नतीजा ये बीमारियां हैं। पता सभी को है परेशान भी सभी हैं, पर करता कोई नहीं।
ReplyDeleteआज की पोस्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....🙏🙏
अगर किस मौसम में क्या खाएं वाली पोस्ट भी डाल दें तो बहुत अच्छा होगा।
बिल्कुल अगली पोस्ट में..
DeleteBahut Shaandar Post...per isko sirf post na rakh kar aur padh ke bhul jao nahi hona chahiye.. balki isko follow bhi karna chahiye.. Sabhi pathakon ko isko jyada se jyada share karna chahiye..aur apne life me amal karna chahiye..
ReplyDeleteThanks & Keep it up
शरीर को स्वस्थ रखने हेतु उचित परहेज के महत्व को रेखांकित करती बेहतरीन पोस्ट।
ReplyDeleteइस जानकारी के साथ आहार लेने को भी शामिल कर लेती तो अधिक उपयोगी हो जाता
ReplyDeleteअगली पोस्ट जरूर..
Deleteकब क्या खाना चाहिए और क्या नही, इस बारे में तो अब बहुत कम लोग सोचते होंगे, तुम्हारे ब्लॉग द्वारा अच्छी जानकारी मिली👌👌👍👍
ReplyDeletevery important knowledge regarding our health.everyone should aware of this.thank u so much for sharing such a useful information..very nice blog.
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ReplyDeleteUseful information 👍
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteएक दम सही
ReplyDeleteएक दम सही
ReplyDeleteएक दम सही
ReplyDeleteVery informative 👌
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteImportant post...everyone should follow this...thanks for sharing 👍👍
ReplyDeleteGood
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