Cricket News: Latest Cricket News, Live Scores, Results, Upcoming match Schedules | Times of India

Sportstar - IPL

भारतीय सांस्कृतिक धरोहर (Bhartiya Sanskritik Dharohar) - 9 - शोर मंदिर (Shore Temple)

शोर मंदिर (Shore Temple)

 शोर मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम में स्थित एक दर्शनीय स्थल है।( मंदिरों का शहर महाबलीपुरम तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है।) इसे महाबलीपुरम का रथ मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर प्राचीन स्मारकों का प्रतीक है और इस मंदिर की मूर्तिकला पल्लव वास्तुकला का एक खूबसूरत उदाहरण है। इसके अलावा सातवीं आठवीं शताब्दी के दौरान की द्रविड़ वास्तु शैली की झलक भी मंदिर में देखने को मिलती है। शोर मंदिर के प्रमुख देवता भगवान विष्णु और भोलेनाथ हैं।

शोर मंदिर का निर्माण 700 से 728 ई.पू. हुआ था। इसके निर्माण में काले ग्रेनाइट का उपयोग हुआ है। यह एक संरचनात्मक मंदिर है तथा सबसे प्राचीन पत्थर मंदिरों में से एक है, जो देश के दक्षिण भाग में स्थित है। बंगाल की खाड़ी के किनारे की ओर अग्रसर मूर्तिकला उत्कृष्टता का यह मंदिर महाबलीपुरम का प्रतीक है। एक टूटा हुआ मंदिर, खंभे, रथ और कला के कई टुकड़े बेहद शानदार चट्टानों पर खोद कर बनाए गए हैं। यहां का हर खंड सराहनीय है। यह अद्वितीय और भव्य है और इसका आकर्षण जादुई है। इसे पल्लव राजा नरसिंह वर्मन द्वितीय द्वारा निर्मित कराया गया था।

शोर मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया जा चुका है। शोर मंदिर की संरचना में मंदिर के अंदर और बाहर दोनों तरफ खूबसूरत नक्काशीदार मूर्तियां चित्रित की गई हैं। नंदी महाराज या नंदी बैल की खूबसूरत संरचना वाकई दर्शनीय है। इस मंदिर की संरचना इस प्रकार की गई है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर पर पड़े और सूर्यास्त के वक्त मंदिर की खूबसूरत छवि पानी में दिखाई दे।

शोर मंदिर के अंदर तीन मंदिर बने हुए हैं। मध्य में भगवान विष्णु का मंदिर है जबकि दोनों और भगवान शिव के मंदिर स्थित हैं। शोर मंदिर को कई खंडों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक खंड में एक अलग देवी देवता का स्थान है। मंदिर की संरचना में सुंदर चित्रकारी, आकर्षित मूर्ति और शेरों के चित्र देखने को मिलते हैं, जिससे पता लगता है कि यह स्थान कला और संस्कृति का प्रतीक है। मंदिर के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि मंदिर की संरचना अखंड है और इसे पंच रथों की भांति डिजाइन किया गया है। शोर मंदिर की अद्वितीय संरचना के कारण ही इसे सात पैगोडा (Seven Pagodas) नाम दिया गया है। मंदिर का कुछ हिस्सा समुंद्र के नजदीकी की वजह से नष्ट हो गया है।

शोर मंदिर की ऊंचाई 60 फीट है, जो कि एक पिरामिडनुमा संरचना है। 50 फीट वर्गाकार क्षेत्र में बनाया यह दर्शनीय मंदिर द्रविड़ वास्तु शैली का अद्भुत उदाहरण है और यह भारत के सबसे खूबसूरत पत्थर मंदिरों में से एक है।

शोर मंदिर का संबंध पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा है। माना जाता है कि राक्षस हिरण कश्यप और उनके पुत्र प्रहलाद का संबंध इस मंदिर से है। भगवान श्री हरि विष्णु ने नरसिंह अवतार धारण करके इस स्थान पर हिरण कश्यप का वध किया था। हिरण्यकश्यप की मृत्यु के बाद प्रहलाद राजा बने। एक कहानी प्रचलित है, जिसके अनुसार राजा प्रहलाद के पुत्र राजा बलि ने महाबलीपुरम के इस दर्शनीय मंदिर की स्थापना कराई थी।

English Translate

Shore Temple

Shore Temple is a scenic spot located in Mahabalipuram in the state of Tamil Nadu, India. (The city of temples Mahabalipuram is situated on the banks of the Bay of Bengal, 55 km from Chennai, the capital of Tamil Nadu.) It is also known as the Chariot Temple of Mahabalipuram.  This temple is a symbol of ancient monuments and the sculpture of this temple is a beautiful example of Pallava architecture.  Apart from this, a glimpse of Dravidian architectural style during the seventh eighth century is also seen in the temple.  The major deities of the Shore temple are Lord Vishnu and Bholenath.

The construction of Shore temple from 700 to 728 BC  happened.  Black granite is used in its construction.  It is a structural temple and one of the oldest stone temples, which is located in the southern part of the country.  This temple of sculptural excellence leading to the shores of the Bay of Bengal is a symbol of Mahabalipuram.  A broken temple, pillars, chariots and many pieces of art have been made by digging on extremely magnificent rocks.  Every section here is admirable.  It is unique and grand and its charm is magical.  It was built by the Pallava king Narasimhavarman II.

 The Shore Temple has also been included in the list of UNESCO World Heritage Sites in the year 1984.  The structure of the Shore temple features beautifully carved sculptures both inside and outside the temple.  The beautiful structure of Nandi Maharaj or Nandi bull is truly worth visiting.  The structure of this temple is designed in such a way that the first rays of the sun fall on the temple and at sunset the beautiful image of the temple can be seen in the water.

Three temples remain inside the Shore temple.  In the middle is the temple of Lord Vishnu while both and Lord Shiva's temple are located.  The Shore temple is divided into several sections and each section has a separate goddess place.  The temple structure has beautiful paintings, attractive sculptures and pictures of lions, which show that the place is a symbol of art and culture.  The most interesting thing about the temple is that the structure of the temple is monolithic and it is designed like five chariots.  It is because of the unique structure of the Shore Temple that it has been named Seven Pagodas.  Some part of the temple has been destroyed due to its proximity to the sea.

The Shore Temple has a height of 60 feet, which is a pyramidal structure.  This scenic temple built in a 50 feet square area is a wonderful example of Dravidian architectural style and it is one of the most beautiful stone temples in India.

 The Shore temple is also associated with mythology.  The demon deer Kashyapa and his son Prahlada are believed to be associated with this temple.  Lord Shri Hari Vishnu, wearing the incarnation of Narasimha, killed the deer Kashyapa at this place.  Prahlada became king after Hiranyakashipu's death.  There is a story, according to which Raja Bali, son of King Prahlada, established this spectacular temple of Mahabalipuram.

24 comments:

  1. मेरा भारत महान!!
    लगता है, दक्षिण भारत प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है

    ReplyDelete
  2. This part of your blog is really appreciable

    ReplyDelete
  3. Post se lag rha ki south me mandir hi mandir ha... amazing bharat ke is part me abhi tak south ke mandir k bare me bahut jankari mili...kuch k bare me pahle se pta tha...kuch nayi jankariyan mili...good effort...keep it up 👍👍👌👌

    ReplyDelete
  4. प्राचीन मंदिर का अनुपम उदाहरण ।जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  5. Hamari sanskritik dharohar..

    ReplyDelete
  6. Bahut achhi post..hamari sanskritik dharohar..

    ReplyDelete
  7. Incredible India...

    ReplyDelete
  8. Kitne aise prachin mandir hain south me..kai jankaari mil rhi post se..

    ReplyDelete
  9. Pahle mandiron ki diwaron pr hi wha ki sabhyta sanskrity ko uker dete the...karigaron ke haantho me jadu tha...jo aisi kalakritiyan hume dekhne ko milti hain...

    ReplyDelete
  10. पूज्यनीय दिव्य स्थल है

    ReplyDelete
  11. Extremely well written bh Rupa mem. May god bless her a beautiful vision in letrature world. Si that we cab be benefitted with har vast knowledge.

    ReplyDelete