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कैलाश मंदिर (Kailash Temple Ellora)

कैलाश मंदिर (Kailash Temple) 

सुंदरकांड की समाप्ति के बाद आज से एक नए अध्याय की शुरुआत करते हैं, जिसमें अपने देश के प्राचीन वास्तु के बारे में चर्चा करेंगे। भारत की वास्तुकला यहां की परंपरागत एवं बाहरी प्रभावों का मिश्रण है। अनेक स्तूपों, चैत्य, बिहारों, स्तंभों, तोरणों और गुफा मंदिरों में वास्तुकला का चरम विकास हुआ। हिंदू वास्तु कौशल का विस्तार महलों, समाधियों, दुर्गों,  बावरड़ियों और घाटों में भी हुआ है।आज इस क्रम में महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के कैलाश मंदिर (Kailash Temple) की चर्चा करेंगे।

कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 20 किलोमीटर दूर भारत में 1200 साल प्राचीन हिंदू कैलाश मंदिर देख सकते हैं। जो सिर्फ एक पहाड़ को काटकर बनाया गया है। कैलाश मंदिर (Kailash Temple) संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु है, जिसे मालखेड़ स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण ने निर्मित कराया था। यह एलोरा औरंगाबाद में स्थित है। यह तेजस्वी भगवान शिव मंदिर के 24 मंदिरों के एक समूह का हिस्सा है जिसे एलोरा गुफाओं के नाम से जाना जाता है। भारत में शिल्पकारों की कोई कमी नहीं थी। प्राचीन काल के शिल्पकार बहुत उच्च कोटि से काम करते थे और मंदिरों का निर्माण करते थे। समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है। 

कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

अपनी समग्रता में 276 फीट लंबा 154 फीट चौड़ा यह मंदिर केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानतः  40,000 टन भार के पत्थरों को चट्टान से हटाया गया। इसके निर्माण के लिए पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट कर 90 फुट ऊंचा मंदिर गढ़ा गया है। मंदिर के भीतर और बाहर चारों ओर मूर्ति अलंकरणों से भरा हुआ है। इस मंदिर के आंगन के तीन और कोठरिययों की पाँत थी जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपर खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है। सामने खुले मंडप में नंदी (कैलाश के द्वारपाल) हैं और उसके दोनों और विशालकाय हाथी तथा तंबू बने हैं। यह कृति भारतीय वास्तु शिल्पीओं के कौशल का अद्भुत नमूना है। आपको बता दें यह मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी अखंड संरचना है, जो एक चट्टान पर खुदी हुई है। कैलाश मंदिर दिखने में इतना आकर्षक है कि सिर्फ भारत के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया भर से पर्यटक को आकर्षित करती है। बता दें कि कैलाश मंदिर 2 मंजिला इमारत है, जो पूरी दुनिया में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए जानी जाती है। 

                                                                            
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)
इस मंदिर के बारे में एक किवदंती प्रसिद्ध है। इस मंदिर की कहानी एक रानी से जुड़ी है। उसके पति राजा नरेश कृष्ण बेहद बीमार थे। रानी ने अपने पति को ठीक करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। इसके बदले में रानी ने शिव को समर्पित एक मंदिर बनवाने की कसम खाई और मंदिर पूरा होने तक उपवास रखने की कसम खाई। रानी के वास्तुकार इस के बारे में चिंतित थे क्योंकि इस तरह के भव्य मंदिर को पूरा करने के लिए लंबे समय की आवश्यकता होती है। लेकिन एक वास्तुकार 'ओकासा' ने रानी को आश्वासन दिया कि वह 1 सप्ताह में मंदिर का निर्माण कर सकता है। राजा नई उसी को यह काम सौंपा। उसने ऊपर से नीचे तक चट्टान से मंदिर बनाना शुरू कर दिया इस तरह एक हफ्ते में कैलाश मंदिर बनकर तैयार हो गया। 

किवदंती के मुताबिक इसका निर्माण 1 हफ्ते में हुआ था, लेकिन इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर को 7000 मजदूरों ने लगभग 150 साल में तैयार किया था। 
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

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Kailash Temple

After the end of Sundarkand, let us start a new chapter from today, in which we will discuss about the ancient architecture of our country. The architecture of India is a mixture of traditional and external influences. There was an extreme development of architecture in many stupas, chaityas, bihars, pillars, torans and cave temples. Hindu architectural skills have also expanded in palaces, mausoleums, fortifications, stepwells and ghats. Today, in this sequence, we will discuss the Kailash Temple in Aurangabad city of Maharashtra.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

One can see 1200 years old Hindu Kailash temple in India, 20 km from Aurangabad city of Maharashtra. Which is made by cutting just one mountain. Kailash Temple is a unique architecture of its kind in the world, which was built by King Krishna of Rashtrakuta dynasty located in Malkhed. It is located in Ellora Aurangabad. This stunning Lord Shiva temple is part of a group of 24 temples known as Ellora Caves. There was no dearth of craftsmen in India. The craftsmen of ancient times used to work with a very high quality and built temples. The entire mountain has been carved into a Dravidian style temple.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

In its totality, 276 feet long by 154 feet wide, this temple has been built by cutting only one rock. It is constructed from top to bottom. In the course of its construction, an estimated 40,000 tons of stones were removed from the rock. For its construction, the first section was separated and then this mountain section was cut from inside out and a 90 feet high temple has been erected. Inside and outside the temple is full of idol ornaments. The courtyard of this temple had a row of three more chambers, which were connected to the top section of the temple by a bridge. Now this bridge has fallen. The open mandapa in front has Nandi (the gatekeeper of Kailash) and huge elephants and tents on either side of it. This work is a wonderful example of the skill of Indian architectural craftsmen. Let us tell you that this temple is the largest monolithic structure in the world, which is carved on a rock. The Kailash temple is so attractive in appearance that it attracts tourists not only from the people of India but from all over the world. Let us tell you that the Kailash temple is a 2-storey building, which is known for the largest statue made of a single stone in the whole world.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)
                                                                          
There is a famous legend about this temple. The story of this temple is related to a queen. Her husband Raja Naresh Krishna was very ill. The queen prayed to Lord Shiva to cure her husband. In return, the queen vowed to build a temple dedicated to Shiva and vowed to observe a fast till the temple was completed. Rani's architects were worried about this as such a grand temple requires a long time to complete. But an architect 'Okasa' assured the queen that he could build the temple in 1 week. Raja Nai entrusted this task to him. He started building the temple from top to bottom from the rock, thus in a week the Kailash temple was completed.

According to legend, it was built in 1 week, but according to historians, this temple was prepared by 7000 laborers in about 150 years.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

24 comments:

  1. कैलाश मंदिर के बारे में बहुत रोचक और अच्छी जानकारी।आज से शुरू हुआ यह ब्लॉग भी पठनीय और नवीनता लिए हुए है।

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  2. Bahut suna ha is mandir k bare me..vastukala ka adbhut udaharan..

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  3. Is nakkashi ka aur humari sanskriti ka danka videsho me bajta hai.. 👌👌

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  4. Monolithic temples to sach me kala k sundar namune ha...adbhut

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  5. एलोरा का कैलाश मंदिर अद्वितीय है, आज के समय में तकनीकी और तमाम संसाधनों के बावजूद भी ऐसे मंदिर का निर्माण करना सम्भव नहीं है| अति सुन्दर ब्लॉग

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  6. Hme virasat me mili is dharohar ko bahut sambhalkr rakhna chahiye. Ab to aisi vastukla asambhaw h ##nice blog

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  7. ऐसी बेजोड़ वास्तुकला जो पहाड़ के पत्थर को बाहर से और अंदर से भी काट कर बनाया गया तब जब कोई विशेष संसाधन मौजूद नहीं थे.... अतुलनीय भारत!!

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  8. Very interesting place 👌

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  9. Very nice... 👏👏👏

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  10. Bharatiya vastu kala bejod ha...isse b badi baat...ye Mandir us samay bani ha jab vigyan ne itni tarakki nhi ki thi..

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  11. ये मन्दिर ही नहीं बल्कि वास्तु कला और संस्कृति को वर्णित करने की पूरी प्रयोगशाला है।
    इस मन्दिर के साथ ही अनेकों रहस्यमयी गुफाएं हैं।
    बीच में एक मन्दिर के ऊपर चार शेरों का ज्यामितीय रूप से खड़े होना भी कोई संकेत ही है।
    ऐसे ही अनेकों रहस्यों के कारण भी इसे एलियन टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है।

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    1. जी, बिल्कुल सही कहा आपने।

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  12. शानू अग्रवालJune 30, 2022 at 7:38 PM

    रूपा जी बहुत रमणीक स्थल है आपके द्वारा अच्छी जानकारी मिलती है

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