जादुई गधा
अकबर - ये लीजिए आपके लिए हमारी तरफ से यह तोहफा।
रानी - यह तो बहुत ही खूबसूरत है। ऐसा हार मेरे पास एक भी नहीं है। मुझे यह बहुत पसंद आया। बहुत खूबसूरत है।
अकबर - हां रानी हो भी क्यों ना खूबसूरत, मैंने इसे खास कारीगरों से बनवाया है। खास आपके लिए।
रानी - यह मुझे बहुत पसंद है। इसे मैं हमेशा अपने पास रखूंगी। इसे अपने से अलग नहीं होने दूंगी। मैं बहुत खुशनसीब हूं जहांपनाह।
अकबर - हमें बहुत खुशी हुई आपको यह हार पसंद आया। आप इसे जब भी पहनेंगी, इसमें हमें आपका प्यार नजर आएगा।
रानी - शुक्रिया जहांपनाह!
फिर जब सुबह रानी सो कर उठती हैं और नहा कर तैयार होती हैं तो उन्हें अपना हार नहीं मिलता है। वह बहुत दुखी हो जाती हैं।
रानी - कहां गया हार अभी तो यही रखा था। रात जब मैं सोई थी तभी मैंने उसे यही रखा था। कहां चला गया मेरा हार। कहीं खो गया, दासियों दासियों कोई है ?
रानी के बुलाने पर वहां एक दासी आती है। दासी क्या हुआ महारानी जी? रानी हमारा हार कहीं खो गया है। हमें उसे ढूंढने में मदद कीजिए। रात सोने से पहले हमने उसे यहीं रखा था। लेकिन अब वह यहां नहीं है।
दासी - महारानी जी! आप कोई दूसरा हार पहन लीजिए आपके पास तो कई हार है।
रानी - नहीं -नहीं बिल्कुल नहीं, वह हार बहुत खास हार है। हमें वह जहाँपनाह ने बहुत प्यार से दिया था। हमें वही हार चाहिए। कोई और दूसरा नहीं चाहिए। यह बात कह कर रानी मायूस होकर बैठ जाती हैं। तभी वहां थोड़ी ही देर में अकबर आते हैं।
अकबर - क्या हुआ आपको? आप इतनी उदास क्यों बैठी है?
रानी - जहांपनाह! आपने जो हार हमें तोहफे में दिया था, वह कहीं खो गया है।
अकबर - खो गया है, क्या मतलब, आप कहना क्या चाहती हैं? कहीं वह आपने गिरा तो नहीं दिया।
रानी - जहांपनाह मैंने रात सोने से पहले उसे यही उतार कर रखा था। फिर ना जाने वह कहां चला गया। जहांपनाह हमें माफ कर दीजिए। हम आपके तोहफे की हिफाजत नहीं कर पाए और वह रोने लगी।
अकबर - महारानी! आप रोए मत। वह बस मामूली सा तोहफा था। हम आपके लिए उससे भी अच्छा हार बनवा देंगे, हम आपसे वादा करते हैं और हम आपको वह हर भी ढूंढ कर देंगे। बस आप परेशान ना हों। आज आप हमारे कमरे में ही ठहर जाइए।
सिपाही - तुम दूसरे सिपाहियों और दोसियों को लेकर जाओ और रानी के पुरे कमरे के हर कोने में जाकर ढूंढो हार को।
सिपाही - जहांपनाह! महल के दूसरे हिस्सों में भी चोरियां हो चुकी हैं। हम सभी ने उस चोर को पकड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन हम नाकामयाब हुए। आज तक उस चोर को हम नहीं पकड़ पाए।
अकबर - क्या महल के दूसरे हिस्सों में भी चोरी हो चुकी है। इसकी खबर हमें क्यों नहीं दी गई ? जाओ पहले हार महारानी के कमरे में ढूंढो। अगर वहां नहीं मिलता है तो हम कुछ और सोचेंगे।
(तभी सिपाही थोड़ी देर बाद आता है)
सिपाही - जहांपनाह हम सब ने हार सब जगह ढूंढ लिया लेकिन हार कहीं नहीं मिला। अकबर अब मामला गंभीर है। अब सिर्फ बीरबल ही इस मामले को सुलझा सकते हैं। सिपाहियों बीरबल को अभी हमारे पास बुलाया जाए। हमें वह आज ही चाहिए।
बीरबल थोड़ी देर में वहां हाजिर होते हैं।
बीरबल - जहांपनाह! आपने इतनी रात हमें याद क्यों किया?
अकबर - बीरबल! दरअसल बात यह है, हमने अपनी रानी को तोहफे में एक बेष कीमती हार दिया था। लेकिन रानी जब सुबह उठी तो हार वहां नहीं था। रानी बहुत उदास हैं। हम उन्हें उदास नहीं देख सकते। आपको हार आज रात ही ढूंढना होगा।
बीरबल - अच्छा तो यह मामला है। जहां पर एक बात तो पक्की है, चोर कहीं कोई सिपाहियों और दसियों में से ही है। इस बात का पता लगाने के लिए मुझे अपने एक दोस्त को बुलाकर लाना पड़ेगा।
अकबर - दोस्त, कौन सा दोस्त? और आप क्यों जाना चाहते हैं? हमें बताइए हम आपके दोस्त को बुलवा देते हैं।
बीरबल - नहीं जहाँपनाह उसको बुलाने सिर्फ मैं ही जा सकता हूं। मेरा दोस्त कोई ऐसा वैसा दोस्त नहीं है। उस पर जादुई शक्तियां हैं। जो हमें चोर को पकड़ने में मदद करेंगे।
अकबर - जाइए बीरबल अब तो हम भी आपके उस दोस्त से मिलने के लिए बेसब्री से इंतजार करेंगे।
बीरबल - जहांपनाह आप रानी के कमरे में पहरा देने वाले सिपाही और दसियों को बुलाइए। मैं अभी अपने दोस्त को लेकर आता हूं।
"तभी थोड़ी देर में बीरबल एक गधे को लेकर महल में आते हैं।"
अकबर - बीरबल ये क्या मजाक है? हमने तो तुम्हें तुम्हारा दोस्त लाने को कहा था। यह तो गधा है।
बीरबल - जी जहांपनाह ! यही मेरा दोस्त है, जिसे जादुई शक्ति आती है। यही हमारी चोर पकड़ने में मदद करेगा।
अकबर - ये कैसे तुम्हारी मदद करेगा कि चोर कौन है?
"बीरबल एक तंबू में गधे को खड़ा कर देते हैं।"
बीरबल - इसके अंदर एक-एक करके सिपाहियों को भेजिए और इन सब को गधे की पूंछ पकड़कर यह बोलना है कि मैंने चोरी नहीं की। जब यह सारे लोग गधे की पूछ पकड़ लेंगे, तभी मेरा दोस्त बताएगा चोर कौन है।
अकबर - ठीक है, सिपाही और दसियों आप सभी लोग एक - एक कर गधे की पूंछ पकड़िए।
"फिर सभी सिपाहि और दासी गधे की पूछ पकड़ते हैं। "
बीरबल - अब मैं अपने दोस्त से पूछ कर आता हूं कि चोर कौन है?
" कुछ देर बाद, जहांपनाह! हमें इन सभी के हाथ सूंघने हैं और सभी का हाथ सूंघने के बाद, यह सिपाही चोर है।
सिपाही - नहीं, जहांपनाह मैंने कोई चोरी नहीं की है। मैंने तो आपकी इतने वर्षों से सेवा की है। इस गधे की गवाही कुछ साबित नहीं करती है।
अकबर - बीरबल तुम कैसे कह सकते हो कि यही चोर है? तुम गधे की बात कैसे समझ सकते हो?
बीरबल - जहांपनाह! मैंने उस गधे की पूछ पर एक खास तरह का इत्र लगा दिया था। इसलिए मैंने इन सभी को गधे की पूंछ पकड़ने को कहा और जहांपनाह मैं यह भी जानता था कि चोर पकड़े जाने के डर से गधे की पूछ नहीं पकड़ेगा। उस इत्र की खुशबू सभी के हाथों में से आ रही है, लेकिन जब मैंने इसके हाथ सूंघे तो इसके हाथों में वह खुशबू नहीं आ रही है। इसलिए यही चोर है।
अकबर - नमक हराम! हम तुम्हें इसकी सजा देंगे।
सिपाही - नहीं जहाँपनाह मुझे माफ कर दीजिए। मैं लालची हो गया था। मुझे माफ कर दीजिए। मैं चोरी की हुई सारी चीजें लौटा दूंगा। बस मुझे माफ कर दीजिए।
अकबर - नहीं तुम्हें माफ नहीं किया जा सकता। जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो। सिपाही इसे कालकोठरी में डाल दो। बीरबल एक बार फिर आपने अपनी चतुराई से उस चोर को पकड़वा दिया, शुक्रिया।
बीरबल - शुक्रिया जहांपनाह।
English Translate
Jadui Gadha
One day Emperor Akbar gave his queen a precious precious necklace. The queen was very happy to see the precious precious necklace.
Akbar - Here is our gift for you.
Rani - It is very beautiful. I do not have such a necklace. I liked it very much. Is very beautiful
Akbar - Yes, even if you are a queen, I have made it with special craftsmen. Special for you
Rani - I like it very much. I will always keep it with me. Will not let it separate from itself. I am very happy where my daughter is.
Akbar - We are very happy that you liked this necklace. Whenever you wear it, we will see your love in it.
Rani - Thank you Jahanpahan!
Then when Rani wakes up in the morning and is ready to take a bath, she does not get her necklace. She becomes very sad.
Rani - Where did the necklace still remain. I kept it the same night when I slept. Where has my necklace gone Somewhere lost, maidens maidens anyone?
On the call of the queen, a maid comes there. What happened, maid, Maharani? The queen has lost our necklace somewhere. Help us find it. We had kept it here before nightfall. But now he is not here.
Maid - Her Majesty! If you wear another necklace, you have many necklaces.
Rani - No - not at all, that necklace is a very special necklace. Jahanpanah gave us very lovingly. We want the same defeat. Nobody wants another. Saying this, the queen sits down in despair. Then Akbar comes there in a short time.
Akbar - What happened to you? Why are you sitting so sad?
Queen - Jahanpanah! The necklace you gave us as a gift is lost somewhere.
Akbar - Lost, what do you mean? Did you drop it somewhere?
Rani - Jahanpanah I kept it off before going to sleep at night. Then do not know where he went. Please forgive us. We could not protect your gift and she started crying.
Akbar - Her Majesty! You don't cry He was just a modest gift. We will make a better necklace for you than that, we promise you and we will find you for that too. Just don't worry. Today you stay in our room.
Soldier - Take the other soldiers and friends and go to every corner of the queen's room and find the necklace.
Soldier - Jahanpanah! There have been burglaries in other parts of the palace as well. We all tried hard to catch the thief, but we failed. Till today we could not catch that thief.
Akbar - Has the other parts of the palace also been stolen. Why was it not communicated to us? Go find the necklace first in the Queen's room. If not found there we will think of something else.
(Then the soldier arrives after a while)
Soldier - Wherever we all find defeat everywhere but defeat is not found anywhere. Akbar is now serious. Now only Birbal can solve this matter. Soldiers Birbal should be called to us now. We need it today.
Birbal is there for a while.
Birbal - Jahanpahan! Why did you miss us so many nights?
Akbar - Birbal! Actually the thing is, we gave our queen a precious precious necklace as a gift. But when the queen woke up in the morning, the defeat was not there. Rani is very depressed. We cannot see them sad. You have to find the necklace tonight.
Birbal - Okay, this is the case. Where one thing is confirmed, the thief is somewhere among the soldiers and tens. I have to call a friend to find out about this.
Akbar - friend, which friend? And why do you want to leave? Tell us we invite your friend.
Birbal - No, only I can go where the wall is called. My friend is not such a friend. He has magical powers. Who will help us catch the thief.
Akbar - Go Birbal, now we too will be waiting impatiently to meet your friend.
Birbal - Jahanpanah You call the guards and tens of guards in the queen's room. I bring my friend now.
"Then in a while Birbal comes to the palace carrying a donkey."
Akbar - Birbal What is this joke? We hold you to bring your friend. This is a donkey.
Birbal - Yes! This is my friend who has magic power. This will help us catch the thief.
Akbar - how will it help you who is the thief?
"Birbal makes a donkey stand in a tent."
Birbal - Send soldiers inside it one by one and all of them have to hold the tail of the donkey and say that I did not steal. When all these people will catch the question of donkey, then my friend will tell who the thief is.
Akbar - Okay, the soldiers and tens of you all, one by one, hold the tail of the donkey.
"Then all the soldiers and maids get hold of the donkey."
Birbal - Now I ask my friend who is the thief?
"After some time, Jahanpanah! We have to smell the hands of all these and after sniffing the hands of all these soldiers, this soldier is a thief."
Soldier - No, where have I not stolen the wall. I have served you for so many years. The testimony of this donkey proves nothing.
Akbar - Birbal, how can you say that this is a thief? How can you understand the matter of donkey?
Birbal - Jahanpahan! I had put a special perfume on that donkey's request. So I told all these to hold the tail of the donkey and where I also knew that the thief would not catch the donkey for fear of being caught. The fragrance of that perfume is coming from the hands of all, but when I smell its hands, it does not smell in its hands. Therefore, this is a thief.
Akbar - Namak Haram! We will punish you for this.
Soldier - No, forgive me. I was greedy. please forgive me. I will return everything stolen. Just forgive me
Akbar - No you cannot be forgiven. You make holes in the plate on which you eat. Soldiers put it in the dungeon. Birbal once again, you cleverly got the thief caught, thank you.
Birbal - Thanks Jahanpanah.
Hume lga tha akbar birbal ki sari story mai janta hun...but i was wrong...new story...i like it������������
ReplyDeleteNice one
ReplyDeleteChatur birbal
ReplyDeleteInteresting story
ReplyDeleteहमेशा की तरह अकबर की समस्या को बीरबल ने अपनी बुद्धि से चुटकियों में हल कर दिया, सदाबहार मनोरंजक कहानी
ReplyDeleteAcchi kahani, Birbal apni buddhi aur chaturai se samasyaon ko hal kar dete the
ReplyDeleteGud
ReplyDeleteएक बार फिर नई,बेहतरीन कहानी।
ReplyDeletekya baat hai wah wah
ReplyDeleteकहानी अच्छी है
ReplyDeleteBirbal ki chaturayi 👏👏
ReplyDeleteBirbal the Great 😄
ReplyDeleteInteresting..
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