गुस्सैल लड़का

गुस्सैल लड़का

एक पिता ने अपने गुस्सैल लड़के से तंग आकर उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा तुम्हें जितनी बार क्रोध आए तुम थैले से एक कील निकाल कर बाड़े में ठोक देना। 

गुस्सैल लड़का

लड़के को अगले दिन जैसे ही क्रोध आया उसने एक कील बाड़े की दीवार पर ठोक दी। यह प्रक्रिया वह लगातार करता रहा। धीरे धीरे उसकी समझ मे आने लगा कि कील ठोकने की व्यर्थ मेहनत से अच्छा तो अपने क्रोध पर नियंत्रण करना है और क्रमशः कील ठोकने की उसकी संख्या कम होती गई। एक दिन ऐसा भी आया कि लड़के ने दिन में एक भी कील नहीं ठोकी।


उसने खुशी खुशी यह बात अपने पिताजी को बताई। वे प्रसन्न हुए और कहा जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम एकबार भी क्रोधित नहीं हुए, ठोकीं हुई कील मे से एक कील निकाल लेना।


लड़का ऐसा ही करने लगा। एक दिन ऐसा भी आया कि बाड़े मे एक भी कील नहीं बची। उसने खुशी खुशी यह बात अपने पिताजी को बताई। पिताजी उस लड़के को बाड़े मे लेकर गए और कीलों के छेद दिखाते हुए पूछा क्या तुम ये छेद भर सकते हो? लड़के ने कहा नहीं तो पिताजी ने उससे कहा क्रोध में तुम्हारे द्वारा कहे गए गलत शब्द, दूसरे के दिल पर ऐसे ही छेद करते हैं जिसकी भरपाई भविष्य में तुम नहीं कर सकते। 

अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें। 

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 06 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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