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योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर

आज एक ऐसे मंदिर की चर्चा करेंगे जो अन्‍य मंदिरों की तरह बहुत ज्‍यादा लोकप्रिय और सुुंदर तो नहीं है, पर बावजूद इसके मंदिर की महत्‍ता बिल्‍कुल भी कम नहीं है। इस मंदिर की वास्‍तुशिल्‍प और संरचना भी बहुत सादी  है। यह है दिल्ली के महरौली में स्थित "श्री योगमाया मंदिर" जिसको "जोगमाया मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। योगमाया मंदिर कुतुब मीनार से सौ मीटर की दूरी पर महरौली के पास में स्थित है। लोगों के बीच ऐसी धारणा है कि इस मंदिर को खुद भगवान कृष्ण ने बनाया है। 

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

योगमाया मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो देवी योगमाया को समर्पित है। कहा जाता है कि यह मंदिर पांच हजार वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना पांडवों ने की थी। योगमाया भगवान कृष्ण की बड़ी बहन थीं। पांडवों ने उन्हीं के वरदान से विजय गाथा लिखी थी। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं। यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से है। ऐसा माना जाता है कि श्री योगमाया मंदिर उन पांच मंदिरों में से एक है, जो कि महाभारत काल से हैं। 

दिल्ली के लोगों के बीच योगमाया मंदिर कम मशहूर है, परन्तु महरौली में रहने वाले लोगों में यह खासा प्रचलित है। यहाँ के लोग रोज इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार महरौली को पहले योगमाया देवी के नाम पर योगिनीपुरम कहा जाता था। मंदिर 5000 साल पुराना बताया जाता है। आश्‍चर्य की बात यह है कि ये मंदिर किसी इंसान ने नहीं बल्कि खुद भगवान ने बनवाया है। 

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

महाभारत तो लगभग सभी लोगों ने देखी होगी और भगवान श्री कृष्ण के जन्म का मंजर सबको याद होगा। योगमाया भगवान कृष्ण की बहन थीं, जिनका जन्‍म उन्‍हीं के साथ हुआ था। योगमाया वह देवी हैं, जिन्‍हें भगवान कृष्ण के पिता ने यमुना नदी को पार करके लाया गया था और कृष्ण की जगह पर देवकी के बगल में रख दिया था। कंस ने इन्हें भी देवकी के अन्‍य संतानों की तरह मारना चाहा, लेकिन देवी योगमाया उसके हाथों से निकलकर अदृश्य हो गई थीं और अपने वास्तिवक रूप में सामने आकर कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी कीं।

कहा जाता है कि देवी योगमाया आदि शक्ति मां लक्ष्मी की अवतार हैं। उन्हें सतगुण प्रदान देवी भी कहते हैं। इसी वजह से मंदिर में किसी भी तरह की बलि पर प्रतिबंध है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, योगमाया का अर्थ दैवीय भ्रम है और कई लोग उन्‍हें सभी प्राणियों की माता के रूप में पूजते हैं। योगमाया के अलावा, मंदिर में भगवान राम, शिव, गणेश और अन्य देवता भी विराजमान हैं।

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

970 ईसवी से फारसी शासक गजनी द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने के बावजूद भी मंदिर पिछले 5,000 वर्षों से खड़ा है। स्थानीय पुजारी के अनुसार, यह गजनी और बाद में मामलुकों द्वारा नष्ट किए गए 27 मंदिरों में से एक है। यह एकमात्र जीवित मंदिर है जो सल्तनत से पहले से उपयोग में है। मंदिर का सबसे पहले जीर्णोद्धार मुगल सम्राट अकबर द्वितीय (1806-37) के शासनकाल के दौरान लाला सेठमल द्वारा किया गया था।

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Yogmaya Temple or Jogmaya Temple

Today we will discuss a temple which is not very popular and beautiful like other temples, but despite this the importance of the temple is not less at all. The architecture and structure of this temple is also very simple. This is "Shri Yogmaya Temple" located in Mehrauli, Delhi, which is also known as "Jogmaya Temple". Yogmaya Temple is located near Mehrauli at a distance of hundred meters from Qutub Minar. There is a belief among the people that this temple was built by Lord Krishna himself.

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

Yogmaya Temple is an ancient Hindu temple, which is dedicated to Goddess Yogmaya. It is said that this temple is five thousand years old. It was established by the Pandavas. Yogmaya was the elder sister of Lord Krishna. The Pandavas wrote the Vijay Gatha with her blessings. It is believed that even the biggest problems are solved by just visiting here. This temple is one of the major temples of Delhi. It is believed that Shri Yogmaya Mandir is one of the five temples which are from the Mahabharata period.

Yogmaya Mandir is less famous among the people of Delhi, but it is quite popular among the people living in Mehrauli. People here come to worship in this temple every day. According to the mythological story, Mehrauli was earlier called Yoginipuram in the name of Yogmaya Devi. The temple is said to be 5000 years old. The surprising thing is that this temple was not built by any human but by God himself.

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

Almost everyone must have seen Mahabharata and everyone must remember the scene of Lord Shri Krishna's birth. Yogmaya was Lord Krishna's sister, who was born along with him. Yogmaya is the goddess who was brought by Lord Krishna's father after crossing the Yamuna river and was placed next to Devaki in place of Krishna. Kansa wanted to kill them like other children of Devaki, but Goddess Yogmaya slipped out of his hands and became invisible and appeared in her real form and predicted Kansa's death.

It is said that Goddess Yogmaya is the incarnation of Adi Shakti Maa Lakshmi. She is also known as Satgun Pradaan Devi. This is why any kind of sacrifice is prohibited in the temple. According to Hindu mythology, Yogmaya means divine illusion and many people worship her as the mother of all creatures. Apart from Yogmaya, Lord Rama, Shiva, Ganesha and other deities are also enshrined in the temple.

योगमाया मंदिर अथवा जोगमाया मंदिर, महरौली || Shri Yogmaya Temple, Mehrauli

The temple has stood for the last 5,000 years despite damage caused by the Persian ruler Ghazni since 970 AD. According to the local priest, it is one of the 27 temples destroyed by Ghazni and later by the Mamluks. It is the only surviving temple that has been in use since before the Sultanate. The temple was first renovated by Lala Sethmal during the reign of the Mughal emperor Akbar II (1806–37).

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