कामाख्या देवी मंदिर
असम में गुवाहाटी से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामाख्या मंदिर देश के सबसे बड़े शक्ति मंदिरों में से एक है। नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर तांत्रिक उपासकों और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। माता कामाख्या देवी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। भारतवर्ष के लोग इसे अघोरियों और तांत्रिक का गढ़ मानते हैं। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 10 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां न तो माता की कोई मूर्ति है और न ही कोई तस्वीर। बल्कि यहां एक कुंड है, जो हमेशा ही फूलों सें ढंका हुआ रहता है। इस मंदिर में देवी की योनी की पूजा होती है। आज भी माता यहां पर रजस्वला होती हैं। मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी बातें चौंकाने वाली हैं।
पुराना मंदिर नष्ट कर दिया था, जिसे बाद में 1565 में चिलाराय ने पुनर्निर्मित किया, जो कोच वंश के शासक राजा थे। यह मंदिर माँ शक्ति के विभिन्न रूपों को समर्पित है, जैसे सुंदरी, त्रिपुरा, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी और छिन्नमस्ता। तीन प्रमुख कक्षों से युक्त, वर्तमान संरचना को एक पवित्र परिसर माना जाता है। पश्चिमी कक्ष आयताकार आकार का है, जबकि मध्य कक्ष चौकोर आकार का है।
मंदिर धर्म पुराणों के अनुसार विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां-जहां यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया। इस जगह पर माता की योनी गिरी थी, इसलिए यहां उनकी कोई मूर्ति नहीं बल्कि योनी की पूजा होती है। आज यह जगह शक्तिशाली पीठ है। दुर्गा पूजा, पोहान बिया, दुर्गादेऊल, बसंती पूजा, मदान देऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है।
कामाख्या मंदिर परिसर में भगवान शिव के विभिन्न रूपों को समर्पित पांच मंदिर हैं। इसके अलावा, मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के तीन मंदिर भी हैं, जो केदार, गदाधर और पांडुनाथ के रूप में मौजूद हैं।
3 दिन क्यों बंद रहता है मंदिर?
बताया जाता है कि कामाख्या देवी का मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है। माना जाता है कि इन दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं। इन 3 दिनों में पुरुष भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते। कहते हैं कि इन 3 दिनों में माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो 3 दिनों में लाल रंग का हो जाता है। इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। इसे ही प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।
अम्बुबाची मेला इस मंदिर के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार हर साल देवी कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि मध्य जून के महीने में, जो एक आहार भी है, एक प्राकृतिक झरना होता है जो योनि से होकर बहता है।
तीन बार दर्शन करना जरूरी
मान्यता है कि जो लोग इस मंदिर के दर्शन तीन बार कर लेते हैं, तो उन्हें सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए मशहूर है। इसलिए दूर दूर से साधु संत भी यहां दर्शन के लिए आते हैं।
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Kamakhya Devi Temple
The Kamakhya temple, located 7 km from Guwahati in Assam, is one of the largest Shakti temples in the country. Situated on the Nilachal hills, this temple is an important pilgrimage site for Tantric worshippers and Hindus. Mata Kamakhya Devi Temple is famous all over India. This temple is one of the 52 Shaktipeeths. The people of India consider it to be the stronghold of Aghoris and Tantrics. It is located on the Nilachal mountain, about 10 km from Dispur, the capital of Assam. The special thing about the temple is that there is neither any idol of the mother nor any picture here. Rather, there is a pond here, which is always covered with flowers. The vagina of the goddess is worshipped in this temple. Even today the mother menstruates here. The mysterious things related to the temple are shocking.
The old temple was destroyed, which was later rebuilt in 1565 by Chilarai, who was the ruling king of the Koch dynasty. This temple is dedicated to various forms of Maa Shakti, such as Sundari, Tripura, Tara, Bhuvaneshwari, Baglamukhi and Chhinnamasta. Consisting of three major chambers, the present structure is considered a sacred complex. The western chamber is rectangular in shape, while the central chamber is square in shape.
Temple Dharma According to the Puranas, Lord Vishnu had cut Mata Sati into 51 parts with his chakra. Wherever these parts fell, a Shakti Peeth of Mata was formed there. At this place, the vagina of the mother had fallen, so there is no idol of her here but the vagina is worshipped. Today this place is a powerful Peeth. The beauty of this temple is worth seeing on Durga Puja, Pohan Biya, Durgadeul, Basanti Puja, Madan Deul, Ambuwasi and Manasa Puja.
The Kamakhya temple complex has five temples dedicated to various forms of Lord Shiva. Apart from this, the temple complex also has three temples of Lord Vishnu, who are present in the form of Kedar, Gadhdhar and Pandunath.
Why is the temple closed for 3 days?
It is said that the temple of Kamakhya Devi remains closed from 22 June to 25 June. It is believed that during these days, Mata Sati remains menstruating. Men cannot enter the temple during these 3 days. It is said that during these 3 days, a white cloth is kept in the court of the mother, which turns red in 3 days. This cloth is called Ambubachi Vastra. This is given to the devotees as prasad.
Ambubachi Mela is one of the major festivals of this temple. This festival is celebrated every year to commemorate the annual menstruation of Goddess Kamakhya. It is also said that in the month of mid-June, which is also a diet, there is a natural spring which flows through the vagina.
It is necessary to visit three times
It is believed that those who visit this temple three times, they get freedom from the worldly bondage. This temple is famous for Tantra Vidya. That is why saints and sages also come here from far and wide for darshan.
Three times. Yes, three is Magic.
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteवंदन माता जी को
🙏🙏💐💐
ReplyDelete🕉️शुभप्रभात 🕉️☕️☕️
👏👏 माँ कामाख्या देवी की जय हो 🚩🚩
🚩🚩जय माँ अम्बे दुर्गा भवानी 🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🚩🚩जय माता दी 🚩🚩
👍👍👍बहुत सुन्दर जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐