सुखी जीवन की सीख
एक बार बुद्ध किसी गांव में प्रवचन दे रहे थे। काफी दूर से लोग उनके प्रवचन सुनने को आए थे। उनके प्रवचन से लोगों को अपनी व्यक्तिगत व पारिवारिक समस्याओं का समाधान मिलता था। इसी गांव के गली में एक गरीब व्यक्ति अपनी छोटी सी कुटिया में रहता था। वह बार-बार लोगों के झुंड को बुद्ध के प्रवचन सुनने की लालसा लिए अपनी कुटिया के सामने से गुजरते हुए देखा करता था।
एक दिन उसके मन में एक प्रश्न आया कि भगवान बुद्ध के शिविर में जाते समय लोग उदास एवं परेशान दिखाई पड़ते हैं, पर उनके प्रवचन सुनकर वापस आ रहे लोगों के चेहरों पर एक अजीब सी प्रसन्नता, आत्मविश्वास व शांति के भाव दिखाई पड़ते हैं। आखिर क्यों ?
आखिर वह भी लोगों के साथ शिविर में गया जहां प्रवचन चल रहा था। उसने देखा प्रवचन समाप्त हो गया है और लोग अपनी समस्याओं व परिस्थितियों के समाधान को लेकर बुद्ध से मिल रहे हैं। भगवान बुद्ध बड़े ही शांत मन से उन सबकी बातें सुनकर उन्हें समाधान बता रहे थे। अंततः उस गरीब व्यक्ति का भी नंबर आया। वह तथागत के सम्मुख खड़ा था वह बोला-महात्मन्, ईश्वर ने सबको इतनी खुशियां दी हैं, धन-धान्य दिया है, पर ईश्वर ने मुझे इतनी गरीबी और दुख क्यों दिया है?
मैंने भला ऐसा कौन सा पापकर्म किया है, जिसके कारण मैं गरीबी और दुखों से भरा जीवन जीने के लिए विवश हूं। इस गरीब की बातें सुनकर, भगवान बुद्ध बड़े ही करुणा भरे स्वर में बोले- वत्स, क्या तुमने कभी किसी को कुछ दिया है। वह बोला- प्रभु भला मैं किसी को क्या दे सकता हूं, मेरे पास किसी को देने के लिए है ही क्या ? मैं तो स्वयं बड़ी मुश्किल से अपना और परिवार का भरण-पोषण कर पाता हूं। कई बार तो हमारे पूरे परिवार को भूखे पेट ही सोना पड़ता है।
यह सुनकर तथागत बोले- भगवान ने तुम्हें सुंदर चेहरा दिया है, जिससे तुम लोगों को मुस्कराहट दे सकते हो, तुम्हें सुंदर मुख दिया है, जिससे तुम लोगों की प्रशंसा कर सकते हो, भगवान ने तुम्हें दो हाथ दिए हैं, जिससे तुम लोगों की मदद कर सकते हो। जिसके पास ये तीन चीजें हैं वह भला गरीब कैसे हो सकता है ? तुम लोगों को देना सीख लो, उनकी मदद करना शुरू कर दो। अपनी मुस्कराहट और प्रशंसा के शब्द लोगों में बांटना शुरू कर दो। अपने दोनों हाथों से लोगों की जितनी मदद कर सकते हो करना शुरू कर दो। फिर तुम कभी गरीब नहीं रहोगे।
उस व्यक्ति को अब अपनी समस्या का समाधान मिल चुका था। उसे अपनी गरीबी और दुख के कारणों का पता चल चुका था। वह भी एक नए आत्मविश्वास व चेहरे पर एक अप्रतिम मुस्कराहट व शांति लिए वहां से चल पड़ा। उस दिन से उसके जीवन की दिशा बदल गई। वह, वह नहीं रह गया जो वह अभी-अभी बुद्ध से मिलने के कुछ पल पूर्व तक था। उसकी जीवनदृष्टि बदल चुकी थी और जीवन की दिशा भी।
अब लोगों की सेवा में, सहायता में निरत रहने लगा। लोगों को खुशी देकर वह भी प्रसन्न रहने लगा। कड़ी मेहनत व पुरुषार्थ के बल पर वह भी औरों की तरह समृद्ध व सुखी हो गया। निश्चित ही हममें से हर कोई इसे अपने जीवन में अपनाकर अनंत गुनी खुशियां पा सकता है। स्वयं के लिए पशु-पक्षी व अन्य प्राणी भी जी लेते हैं। पर मनुष्य विधाता की सर्वोत्कृष्ट कृति है, और हमें इस जगत में रहते हुए अपनी सर्वोत्कृष्टता का परिचय अपने आचरण से देना ही चाहिए।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 10 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteपांच लिंकों के आनन्द में इस पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Delete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🚩🚩जय श्री हरि कृपा हरि शरणम 🚩🚩
👍👍👍बहुत सुन्दर विचार🙏
🙏🙏आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
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ReplyDelete🚩🚩जय श्री हरि कृपा हरि शरणम 🚩🚩
👍👍👍बहुत सुन्दर विचार🙏
🙏🙏आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
Very Nice line 👌🏻🙏🏻
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर कहानी ।
ReplyDeleteMotivational story
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