हाँ सुनो
हाँ सुनो, जब मैं पुकारूॅं तुम्हें आना होगा,
मेरी आवाज के सहारे चले आना होगा..
जब नहीं होंगे उजाले,
आँखों पे जो ऐनक होगी,
झुर्रियों से भरा चेहरा..
न पहले सी रौनक होगी
हाँ सुनो....
जो तुम्हें याद रहेगी मेरी आवाज,
सुनो,
बस दिल की सुनना न रोकना कदम सुन लो,
तुम्हें देखे बिना न छूटेगा जहाँन सुनों..
आओगे न बस इक यही वादा कर लो..
हाँ सुनों...
मेरी आवाज के सहारे चले आना होगा..
"कि छोड़ आई हूं खुद को तुझ में ही कहीं,
अब तुझको देखकर हर जुबां पर मेरा भी ज़िक्र आयेगा..❣️"
अब तुझको देखकर हर जुबां पर मेरा भी ज़िक्र आयेगा..❣️"
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 29 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDelete"पांच लिंकों के आनन्द में" इस पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Deleteबहुत खूबसूरत लेखन
ReplyDeleteइतवार की सुबह को खुशनुमा बनाती बेहतरीन कविता
ReplyDelete🙏🙏💐💐☕️☕️
ReplyDelete🕉️शुभदोपहर 🕉️
🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
👍👍👍बहुत सुन्दर रचना, आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
बहुत सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteHave a great Sunday ☕
Very nice..
ReplyDeleteHappy Sunday, Very nice
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है रूपा जी
ReplyDeleteHappy Sunday 🪷😍🙏🏻💐
चांद सी महबूबा हो मेरी कब मैंने ऐसा सोचा था
ReplyDeleteहां तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था
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ReplyDeleteआप बहुत सुंदर लग रही हैं बहुत ज्यादा 🙏
ReplyDeleteआप ऐसे ही रचनात्मक कविताएं लिखती रहे मां सरस्वती जी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रिय रूपा जी! आत्मा के प्रचंड स्वर यही है! दैहिक सौंदर्य की नश्वरता का जो ज्ञान रखता है वह इससे परे प्रेम के विशुद्ध रूप को जान पाता है!,
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteVery nice
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