परशुराम जयंती : अक्षय तृतीया
हर साल परशुराम जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया पर्व पर ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस साल परशुराम जयंती 10 मई, आज मनाई जा रही है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान परशुराम जगत के पालनहार भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं।
वैशाख मास की तृतीया तिथि के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुरामजी का अवतार हुआ था। इसलिए हर साल वैशाख मास की तृतीया तिथि अर्थात अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार परशुरामजी अमर हैं और सृष्टि के अंत तक वह धरती पर विराजमान रहेंगे।
भगवान परशुरामजी के जन्म से भगवान श्रीकृष्ण से मिलन तक की 5 कथाएं....
भगवान परशुराम का क्रोधी स्वभाव
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र हैं। परशुरामजी कुल परंपरा के अनुसार ब्राह्मण हैं लेकिन इनका स्वभाव क्षत्रिय जैसा है। अपने क्रोध से इन्होंने कई बार धरती पर क्षत्रियों का विनाश कर दिया, लेकिन इनका स्वभाव क्रोधी कैसे हुआ? इस विषय में एक कथा है - इनकी दादी सत्यवती को भृगु ऋषि ने दो फल दिए थे जिनमें एक इनकी दादी सत्यवती के लिए था और दूसरा फल इनकी दादी की माता के लिए था। लेकिन गलती से फलों में अदला बदली हो गई। इससे भृगु ऋषि ने सत्यवती से कहा कि तुम्हरा पुत्र क्षत्रिय स्वभाव का होगा। तो सत्यवती ने भृगु ऋषि से कहा कि ऐसा आशीर्वाद दीजिए जिससे कि मेरा पुत्र ब्राह्मण जैसा हो और मेरा पौत्र क्षत्रिय गुणों वाला हो। भृगु ऋषि के आशीर्वाद से ऐसा ही हुआ परशुरामजी ऋषि जमदग्नि की पांचवी संतान हुए जो बाल्यावस्था से ही क्रोधी स्वभाव के थे।
भगवान परशुराम को ऐसा मिला शिवजी से परशु
भगवान परशुरामजी का मूल नाम राम है। इन्हें ऋषि जमगग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य भी कहा जाता है, पर यह परशुरामजी के नाम से अधिक विख्यात हैं। परशुरामजी भगवान शिव के भक्त और शिष्य भी हैं। इनकी भक्ति, योग्यता को देखते हुए भगवान शिवजी ने इन्हें विद्युदभि नामक अपना परशु प्रदान किया था। सदैव परशु धारण करने के कारण यह जगत में परशुराम नाम से विख्यात हैं।
परशुरामजी ने बना दिया गणेशजी को एकदंत
भगवान गणेशजी का एक नाम एकदंत है। इसकी वजह यह है कि गणेशजी के एक दांत टूटे हुए हैं। ऐसी कथा है कि एक बार परशुरामजी अपने इष्टदेव भगवान शिवजी से मिलने कैलास पर्वत पर आए तो भगवान गणेशजी ने परशुरामजी का रास्ता रोक लिया। गणेशजी ने कहा कि अभी पिता शिवजी किसी से नहीं मिल सकते हैं। इस पर परशुरामजी शिवजी से मिलने की जिद कर बैठे और फिर गणेशजी के साथ परशुरामजी का महायुद्ध आरंभ हो गया। अंत में क्रोध में आकर परशुरामजी ने परशु से गणेशजी के दांत पर वार कर दिया और इस तरह गणेशजी का एक दांत टूट गया और वह एक दंत कहलाने लगे।
परशुरामजी ने भगवान राम को युद्ध के लिए ललकारा
ऐसी कथा है कि सीता स्वयंवर के समय जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा तब पृथ्वी कांप उठी। परशुरामजी के पता चला कि शिवजी का धनुष किसी ने तोड़ दिया है। इस पर मन की गति से चलने वाले परशुरामजी तुरंत महाराजा जनक के दरबार में पहुंच गए और शिवजी का धनुष तोड़ने पर भगवान राम को युद्ध के लिए ललकारने लगे। उस समय भगवान राम ने परशुरामजी के यह आभास कराया कि वह भगवान विष्णु के अवतार हैं। भगवान राम का रहस्य जानने के बाद परशुरामजी का क्रोध शांत हो गया और भगवान श्रीराम ने उनके अहंकार का नाश कर दिया। साथ ही भगवान राम ने परशुरामजी को अमर रहने का वरदान देते हुए यह जिम्मेदारी सौंपी कि आप मेरे अगले अवतार होने तक मेरा सुदर्शन चक्र संभालकर रखें। अगले अवतार में मुझे इसकी आवश्यकता होगी तब आप मुझे यह लौटा देंगे।
भगवान श्रीकृष्ण से परशुरामजी का मिलना
भगवान विष्णु ने जब द्वापर में श्रीकृष्ण अवतार लिया तब परशुरामजी और भगवान श्रीकृष्ण की भेंट उस समय हुई जब भगवान श्रीकृष्ण गुरु सांदीपनि के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर वापस अपने घर लौटने की तैयारी में थे। उस समय परशुरामजी ऋषि संदीपनी के आश्रम में पधारे और भगवान श्रीकृष्ण को उनका सुदर्शन चक्र लौटाते हुए कहा कि अब यह युग आपका है। आप अपना यह सुदर्शन चक्र संभालिए और धरती पर पाप का भार बहुत बढ़ गया है उस भार को कम कीजिए।
अक्षय तृतीया के दिन किया गया कोई भी कार्य अत्यंत शुभ और अक्षय फल देने वाला माना जाता है। इसका नाम "आखा तीज" भी है। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता गौरी है। अतः माता गौरी को साक्षी मानकर किया गया धर्म-कर्म एवं दान अक्षय हो जाता है। इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। यह एक अबूझ मुहूर्त मानी गई है, अतः अक्षय तृतीया के दिन हर तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं एवं हर प्रकार का मांगलिक कार्य इस दिन प्रारंभ हो जाता है। कई पुराणों और ग्रंथों में यह भी वर्णित है कि अगर पूरे साल तक कोई दान धर्म नहीं किया है, तो अक्षय तृतीया के दिन दान जरूर करना चाहिए। इस दान का अच्छा फल प्राप्त होता है।
आपको और आपके पूरे परिवार को अक्षय तृतीया व भगवान परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteशस्त्र और शास्त्र दोनों ही है उपयोगी
ReplyDeleteयही पाठ सिखा गए हैं हमें योगी।
भगवान परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई।
Naman 🙏
ReplyDeleteपरशुराम भाववन की जय
ReplyDeleteKoti koti naman
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