संकट मोचन हनुमान मंदिर
संकट मोचन हनुमान मंदिर (Sankat Mochan Hanuman Temple) उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अस्सी नदी के तट पर स्थित है। इसकी स्थापना गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में की थी। “संकट मोचन” का अर्थ है “मुसीबतों से छुटकारा दिलाने वाले”। इस मंदिर में भगवान हनुमान, भगवान राम के सामने खड़े हैं।
इस मंदिर का नाम तुलसीदास जी ने ही रखा था। प्रारंभ में इसका स्वरूप छोटा था, लेकिन सन् 1900 में पंडित महामना मदन मोहन मालवीय जी ने व्यवस्थित रूप से इस मंदिर का निर्माण करवाया, तब से लेकर अब तक दूर-दूर देश-विदेश से श्रद्धालु यहां श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आते रहते हैं।
इसी मंदिर में हनुमान जी ने रामचरितमानस की रचना करने वाले तुलसीदास जी को दर्शन दिए थे। इसके बाद ही इस मंदिर की स्थापना तुलसीदास जी ने की थी। मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले लोगों पर भगवान हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसी वजह से यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है, मंगलवार और शनिवार के दिन इस मंदिर में हजारों लोग हनुमान बाबा जी के दर्शन करने आते हैं।
यह मंदिर दिखने में बेहद साधारण है पर मन की शांति पाने के लिए एक आदर्श मंदिर है। इसमें हनुमान जी की मूर्ति मिट्टी से बनी है जिसकी स्थापना श्री रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने हाथों से 1608-1611 ई. में की थी। श्री गोस्वामी तुलसीदास एक बहुत प्रसिद्ध भारतीय कवि व भगवान हनुमान के उत्कृष्ट भक्त थे। अधिकांश श्री रामचरितमानस तुलसीदास जी द्वारा यही लिखे गए थे, जिनकी पांडुलिपि तुलसीघाट के तट पर तुलसीदास जी के प्राचीन निवास में सुरक्षित रूप से संरक्षित है।
संकट मोचन मंदिर की वस्तु कला अत्यधिक आकर्षक है। मंदिर के एक तरफ भगवान राम और देवी सीता की मूर्तियां हैं, तो दूसरी तरफ भगवान लक्ष्मण और भगवान शिव की पूजा करते हुए वानर सेना की मूर्तियां हैं। भगवान हनुमान की पूजा संकट मोचन मंदिर में एक अंडाकार आकार की आराधना गैलरी में की जाती है, जिसमें लगभग 250 उपासक बैठ सकते हैं।
भगवान हनुमान की मूर्ति को गैलरी के सभी तरफ से, साथ ही हाल के बाहर से भी देखा जा सकता है। संकट मोचन मंदिर का वास्तु शिल्प प्रतीक इसकी स्वच्छता है, जो इसके आकर्षण को बढ़ाती है। अन्य प्रतिबद्ध नागरिकों की तरह संकट मोचन मंदिर में हर वह गतिविधि होती है, जो पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद कर सकती है। यहाँ तक की भगवान की ओर से फूलों को भी खाद में बदलने के लिए विशेष रुप से निर्मित गड्ढों में रखा जाता है। संकट मोचन मंदिर की वास्तु कला पारंपरिक और आधुनिक तत्वों का एक संयोजन है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यहां हनुमान जयंती व्यापक धूमधाम से मनाई जाती है, एक बड़ा जुलूस निकाला जाता है। हर साल हनुमान जयंती पर दुर्गा मंदिर दुर्गाकुंड से संकट मोचन मंदिर तक एक अनोखी शोभा यात्रा आयोजित की जाती है। भगवान हनुमान के भेष में भक्त भगवान हनुमान की किंवदंतियों से जुड़े सभी कार्य करते हैं।
एक साप्ताहिक संगीत कार्यक्रम व्यापक रूप से भव्य रूप में आयोजित किया जाता है, जिसके माध्यम से देश के कई प्रसिद्ध कलाकार, अपनी कला का प्रदर्शन बाबा संकटमोचन के दरबार में करते है। पांच दिनों तक चलने वाले सभी संगीत और नृत्य कार्यक्रम में कलाकार बिना किसी शुल्क के भक्ति के साथ अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, जिसका हजारों दर्शकों और श्रोताओं द्वारा आनंद लिया जाता है। इस उत्सव के दौरान मंदिर का वातावरण संगीतमय हो जाता है।
jai bajrang bali
ReplyDeleteJai bajragbali
ReplyDeleteJai Bajrang bali🙏🙏
ReplyDeleteJai Bajrang bali🙏🙏
ReplyDeleteजय बजरंगबली
ReplyDeleteजय हनुमानजी
ReplyDeleteJai Hanumaanji
ReplyDeleteJay Bajrang Bali
ReplyDelete🙏🏼🙏🏼
काशी हिन्दू विश्व विद्यालय में क़ानून की पढ़ाई करते समय (1990 से 1993) नियमित दर्शन का सौभाग्य मिलता था. काशी अद्भुत है. जय संकट मोचन की. जय श्रीराम
ReplyDeleteजय बजरंग बली
ReplyDelete🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
ReplyDelete🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🚩🚩जय जय बजरंगबली 🚩🚩
👍👍👍बहुत बढ़िया, आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
जय श्री राम
ReplyDeleteJai shree Ram
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