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सर्पगंधा

सर्पगंधा  एक दिव्य औषधि

कहते हैं कि साँप अगर काट ले तो जहर से पहले आदमी डर से ही मर जाता है, लेकिन यदि आप सर्पगंधा के उपयोग (sarpagandha uses) के बारे में जानते हों तो आप न तो डर से मरेंगे और न ही जहर से। सर्पगंधा (sarpagandha benefits) की जड़ी साँप के विष को उतारने की एक अच्छी दवा है। सर्पगंधा के बारे में अनेक रोचक कथाएं प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए कहा जाता है कि कोबरा से लड़ने से पहले नेवला सर्पगंधा की पत्तियों का रस चूस कर जाता है। पहले इसे पागलों की दवा भी कहा जाता था क्योंकि सर्पगंधा के प्रयोग से पागलपन भी ठीक होता है।

सर्पगंधा के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

सर्पगंधा  क्या है?

सर्पगंधा एक पौधा है जिसकी जड़ों का रंग पीले या भूरे रंग का होता है। वहीं, इसकी पत्तियों का रंग चमकीला हरा होता है और ये हमेशा तीन-तीन के जोड़े में होती हैं। इसके फूल का रंग सफेद और वायलेट होता है। ऐसा माना जाता है कि इस पौधे को घर में लगाने से सांप नहीं आते हैं। साथ ही इसे सांप के काटने पर दवा की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका वैज्ञानिक नाम रावोल्फिया सर्पेंटिना (Rauvolfia serpentina) है। इसे इंडियन स्नेकरूट के नाम से भी जाना जाता है। सर्पगंधा की जड़ को पीसकर इसके पाउडर को खाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।

सर्पगंधा के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण 

सर्पगंधा की जड़ का प्रयोग रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। सर्पगंधा की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त और भी दो प्रजातियाँ होती हैं जिनका दवा के रूप में प्रयोग (sarpagandha uses) किया जाता है। 

कुक्कुरखाँसी (काली खांसी) में 

कुक्कुर खांसी (Whooping cough) को काली खांसी भी कहते हैं। बच्चों में होने वाली यह एक संक्रामक बीमारी है। ज्यादातर 5 से 15 वर्ष आयु तक के बच्चों को होती है। कुक्कुर खांसी होने पर काफी तेज तथा लगातार खांसी उठती है। लगातार खांसने से रोगी घबरा जाता है। अंत में उसे उलटी हो जाती है। 250-500 मि.ग्राम सर्पगंधा चूर्ण को शहद के साथ सेवन कराने से कुक्कुर खाँसी या काली खांसी में लाभ होता है।

सांस उखड़ने की बीमारी में  

दौड़ने से दम फूलना यानी सांसों का तेज चलने लगना एक सामान्य बात है, लेकिन यदि चलने से भी दम फूलने लगे तो यह एक बीमारी है। दम फूलने या सांस उखड़ने की परेशानी में एक ग्राम सर्पगंधा चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होगा।          

हैजा में 

पतले दस्त और उल्टी यानी हैजा होने पर 3-5 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा यानि विसूचिका में लाभ होता है।             

पेट दर्द में 

सर्पगंधा अपच और कब्ज को दूर करता है। यह गैस को समाप्त करता है। इन कारणों से होने वाले पेट के दर्द में सर्पगंधा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पीएं। 

विष का प्रभाव दूर करे 

  • सर्पगंधा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विषों को समाप्त करने के लिए भी किया जाता है। साँप के काटने पर सर्पगंधा की जड़ को पानी में घिस कर 10-20 ग्राम पिलाने से लाभ (medicinal uses of sarpagandha) होता है।
  • साँप के काटे हुए स्थान पर इसकी जड़ के चूर्ण को लगाना भी चाहिए।

  • सर्पगंधा की ताजी पत्तियों को कुचल कर पाँव के तलुओं में लगाने से भी साँप के काटने में आराम मिलता है।

1.  अनिद्रा

सर्पगंधा का उपयोग अनिद्रा की समस्या से राहत पाने के लिए किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार, सर्पगंधा में सेरोटोनिन (मूड को बेहतर करने वाला केमिकल) पाया जाता है, जिस कारण यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करने का काम कर सकता है। इस लिहाज से कह सकते हैं कि सर्पगंधा के उपयाेग से इंसोमनिया (Insomnia) की अवस्था में राहत मिल सकती है।

2. उच्च रक्तचाप 

शरीर में रक्तचाप के बढ़ने से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। उच्च रक्तचाप की स्थिति में सर्पगंधा का सेवन इसे संतुलन करने का काम कर सकता है। इसके लिए इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड रक्तचाप के स्तर को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

3. पेट की समस्या

पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए सर्पगंधा का उपयोग किया जा सकता है। इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड के कारण यह पेट की समस्या में लाभ पहुंचाने में मदद कर सकता है।

4. तनाव

तनाव या depression के उपचार में सर्पगंधा की जड़ों का प्रयोग किया जाता है।

सर्पगंधा के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

विभिन्न भाषाओँ में सर्पगंधा का नाम 

सर्पगंधा के पौधे का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम रौवोल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauvolfia serpentina Linn.) है।

Hindi – नकुलकन्द, सर्पगन्धा, धवलबरुआ, नाकुलीकन्द, हरकाई चन्द्रा, रास्नाभेद
Sanskrit – सर्पगन्धा, धवलविटप, चद्रमार, गन्ध नाकुली 
Oriya – धनबरुआ (Dhanbarua), सनोचेडो (Sanochado), पातालगरुर (Patalgarur)
Konkani – पातालगरुड (Patalagarud)
Kannada – चन्द्राrके (Chandrike), सर्पगन्धी (Sarpagandhi), शिवरोकिबल्ला (Shivarokiballa)
Tamil – चीवनमेलपोडी (Chivanamelpodi), कोवन्नामीलपूरी (Covannamilpori)
Telugu – पालालागानी (Palalagani), पातालगंधि (Patalagandhi), डुमपासन (Dumpasana)
Bengali – छोटा चाँद (Chota chand), चन्दरा (Chandara) 
Nepali – चांदमरुवा (Chandmaruva)
Marathi – हरकी (Harki), अडकई (Adakayi), हरकय (Harkaya) 
Malayalam – तूलून्नी (Tulunni), चुवन्ना अविलपूरी (Chuvanna avilpori)
Persian – छोटाचान्दा (Chotachanda)

15 comments:

  1. पवन कुमारJanuary 19, 2024 at 11:25 AM

    बहुत ही उपयोगी जानकारी 🙏

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 20 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. "पांच लिंकों के आनन्द में" इस रचना को शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से आभार।

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  3. Very Nice Information it's useful 👌🏻👌🏻

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  4. Very nice information

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  5. अच्छी जानकारी

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  6. 🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
    🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩
    👍👍👍बहुत बढ़िया उपयोगी जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
    🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩

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  7. बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक लेख ।

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  8. बहुत सुंदर

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  9. उपयोगी जानकारी

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