फूल शाख़ों पे जब भी खिलते हैं
फूल शाख़ों पे जब भी खिलते हैं ,
दिन ख़िज़ाँ के भी तब बदलते हैं ।
ज़िन्दगी रूठती नहीं उनकी ,
जिनकी आँखों में ख़्वाब पलते हैं।
चाहे कितना भी हो कोई दानिश,
ठोकरें खा के ही सम्भलते हैं ।
तुम क़दम सोच कर यहाँ रखना,
कर्मों के फल सभी को मिलते हैं ।
उनकी गुस्ताख़ि तुम ज़रा देखो ,
मुफ़लिसी में भी वो अकड़ते हैं ।
तुम जो,” मौसम “ बहार लाते हो ,
हर तरफ़ फूल ही महकते हैं ।
रूपा, "ओस की बूंद"
बहुत सुंदर रचना🙏
ReplyDeleteउम्दा रचना
ReplyDeleteअति सुन्दर।
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy Sunday very nice and beautiful picture
ReplyDeleteअरे वाह रूपा जी क्या बात है वैसे ही आप का ब्लॉग आते ही हमारा दिन खिल जाता है
ReplyDeleteYou Have a Sweet ☺️ Smile Keep it up ☺️
Very nice..
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteHappy cool cool Sunday...Nice poem... beautiful pic 😍
ReplyDeleteBahut sundar rachana,💐
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteWow wonderful pic👌👌👌😘😘😘
ReplyDeleteHappy sunday 🌹🌹🌹🌹🌹
ReplyDeleteVery nice rachana👌👌👌👌
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
🙏राधे राधे 🚩🚩🚩
👍👍👍बहुत खूब 💐💐
ब्लाग पर आप जब भी मुस्कुराते हुए मिलते हैं😔
ReplyDeleteयकिनन हमारे भी मुरझाए हुए चेहरे खिलते हैं🥰