फिर एक दिसम्बर गुज़र रहा है..
उम्र की डोर से फिर
एक मोती झड़ रहा है..
तारीख़ों के ज़ीने से, एक और साल,
फिर उतर रहा है..
कुछ चेहरे घटे,चंद यादें जुड़ी,
गए वक़्त में..
उम्र का पंछी नित दूर और
दूर निकल रहा है..
गुनगुनी धूप और ठिठुरी
रातें, जाड़ों की..
गुज़रे लम्हों पर झीना-झीना
सा इक पर्दा गिर रहा है..
कुछ खट्टी - मीठी बातें
ढ़ेर सारी यादों की बरसातें
पीछे छोड़ रहा
उम्र की डोर से फिर
एक मोती झड़ रहा है..
ज़ायका लिया नहीं और
फिसल गई ज़िन्दगी..
वक़्त है कि सब कुछ समेटे
बादल बन उड़ रहा है..
फिर एक दिसम्बर गुज़र रहा है..
बूढ़ा दिसम्बर,
जवां जनवरी के क़दमों मे बिछ रहा है
लो अब इस सदी को चौबीसवॉं साल लग रहा है..
जाते हुए साल की विदाई और नए साल का स्वागत।
ReplyDeleteनए साल की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteसमाप्त होते अंग्रेजी वर्ष और आने वाले अंग्रेजी नव वर्ष तथा चल रहे हिंदू पुस -महीने की बहुत बहुत बधाई🙏
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy New Years
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteHappy year ending
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
👍👍👍बहुत खूब, बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
👍👍👍बहुत खूब, बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐