मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ?
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन ?
बात छोटी सी लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें….
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन ?
कुछ हँस के बोल दिया करो,
कुछ हँस के टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत परेशानियां है तुमको भी मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही हसरत निकाल लिया करो !!
हमेशा समझौता करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते को
हमेशा के लिए तोड़ देने से बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही हक से रूठना भी
आना चाहिए !
अपनो की आँख का पानी धीरे से पोंछना आना
चाहिए !
रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के दिल मे रहना आना चाहिए ।
उत्कृष्ट भावपूर्ण रचना 🙏🏻✍️
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना🙏🙏🙏
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteVery nice poem...
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteVery nice Happy Sunday
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
🙏राधे राधे 🚩🚩🚩
👌👌👌Superb, Thanks for sharing 💐💐
👌👌👌👌👌
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति
ReplyDeleteIt's beautiful heart touching ♥️ 💖 ❤️
ReplyDeleteWaah Rupaji kya bat hai bahut hi sundar 👍👍👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
ReplyDelete"What kind of honor and insult lies in kinship and friendship?
ReplyDeleteYou simply have to know how to live in the hearts of your loved ones." Beautiful.
Nice
ReplyDeleteNice
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