क्या लिखूं...
क्या लिखूं...
वो साथ गुजारे पल लिखूं या
मैं बीते साल लिखूं
सदियों लंबी रात लिखूं..
मैं तुमको अपने पास लिखूं
या दूरी का एहसास लिखूं..
दिल का दर्द लिखूं या
चेहरे की मुस्कान लिखूं
वो बरसात के अमरूद लिखूं
या जेठ के दोपहरी की चाय लिखूं..
स्कूटी पर साथ होने का एहसास लिखूं
या ट्रेन की वो आखिरी मुलाकात लिखूँ
वो साथ गुजारे लम्हें लिखूं या
कभी न खत्म होने वाला
इंतजार लिखूं..
Bahut khubsurat
ReplyDelete🥰🥰🥰🥰💞💞superbbbbb hpy sunday
ReplyDeleteShandar rachana likhi h aapne
ReplyDeleteखूबसूरत रचना।
ReplyDeleteVery nice....happy Sunday.
ReplyDeleteBeautiful poetry.
ReplyDeleteWait. I'll send you a photo.
DeleteHappy sunday
ReplyDeleteबहुत अच्छा, रूपा जी,
ReplyDeleteVery nice and beautiful lines happy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday excellent poem
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteअति सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteक्या लिखूँ कुछ तो लिखूँ
ReplyDeleteअपने दिल का दर्द लिखूँ
या तुझको मैं बेदर्द लिखूँ
वो साथ गुजारे पल लिखूँ
या रोता मेरा कल लिखूँ
जब तक हाथों में हाथ रहा
जो तेरा प्यारा वो साथ रहा
उसे सुनहरा साथ लिखूँ या
मैं उसे कोई सौगात लिखूँ
जो दिन गुजरे मेरे तेरे संग
दिल में उठे जज्बात लिखूँ
अब तबाह हर दिन लिखूँ
काली-कातिल रात लिखूँ
एक साथ एक ही प्याली में
पी थी वो एक चाय लिखूँ
अकेले में तरसता अब दिल
दिल से निकलती हाय लिखूँ
मैं रह गया जो तन्हा-अकेला
इसे कैसे तेरा मैं न्याय लिखूँ
जो प्यार से तूने मेरे हाथ चुमे
कितने दिन जो हम साथ घूमे
उस हर पल का हिसाब लिखूँ
जो देख तेरे मैंने ख्वाब लिखूँ
बेवफाई ने तेरे जख्म दिए उन
जख्मों में उठता सैलाब लिखूँ
इस इश्क में जो चोटें खाई है
कैसे उस पर मैं किताब लिखूँ
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
मेरी कुछ लाइनों को कितने अच्छे से सजा सवार देते आप..लाजवाब 👌👌👌
Deleteनिच्छक जीवन की उत्कट चित्रपद ❣️🍃👍👌👌👌
ReplyDeleteकुछ खूबसूरत पलों की महक सी है यादें,
ReplyDeleteसुकून ये भी है कि ये कभी मुरझाती नहीं !
दिल छू गई आज की पंक्तियां ❤️
ReplyDeleteNice poetry
ReplyDeleteकहते है की यदि किसी को धन , सम्पति सब दे दो फिर भी वापिस पाया जा सकता है
ReplyDeleteलेकिन किसी के साथ बिताए हुए पल, लम्हे, वो एहसास जो एक बार चला गया फिर वो लौट कर कभी नही आता है बस एक याद बन कर रह जाता है 🙂🙂🙂