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वो नीली चिट्ठियां

वो नीली चिट्ठियां

Rupa Oos ki ek Boond
इरादे इतने 
कमज़ोर नहीं होने चाहिए,
कि लोगो की 
बातों से टूट जाएं…!❣️"

वो नीली चिट्ठियां कहां खो गई,

जिनमें लिखने के सलीके छुपे होते थे..


कुशलता की कामना से शुरू होते थे

बड़ों के चरणस्पर्श पर ख़त्म होते थे


और बीच में लिखी होती थी जिंदगी

प्रियतमा का विछोह,

पत्नी की विवशताएं

नन्हें के आने की खबर,

मां की तबियत का दर्दं

और पैसे भेजने का अनुनय

फसलों के खराब होने की वजह


कितना कुछ सिमट जाता था

एक नीले से कागज में

जिसे नवयौवना भाग कर सीने से लगाती

और अकेले में आंखों से आंसू बहाती


मां की आस थी ये चिट्ठियां

पिता का संबल थी ये चिट्ठियां

बच्चों का भविष्य थी ये चिट्ठियां

और गांव का गौरव थी ये चिट्ठियां

अब तो स्क्रीन पर अंगूठा दौड़ता है

और अक्सर ही दिल तोड़ता है

मोबाइल का स्पेस भर जाए तो

सब कुछ दो मिनिट में डिलीट होता है

सब कुछ सिमट गया छै इंच में

जैसे मकान सिमट गए फ्लैटों में 

जज्बात सिमट गए मैसेजों में

चूल्हे सिमट गए गैसों में

और इंसान सिमट गए पैसों में..

Rupa Oos ki ek Boond

खुशी एक फूल से सुगंध की तरह विकिरण करती है 
और सभी अच्छी चीजों को अपनी ओर खींचती है…!❣️"

28 comments:

  1. Very nice poem...happy Sunday...

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  2. Beautiful pic..nice poem.. happy sunday..☕

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  3. बहुत सुंदर रचना

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  4. वह पल ❣️ आपने सुनहरी यादों को ताजा कर दिया काश आज भी इस तरह की चिट्ठियां लिखने का मौका मिलताl जब हम चिट्ठियों का इंतजार बेसब्री से किया करते थेl🙏🏻😍

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  5. इंसान सिमट गया पैसों में,वाह!क्या बात है!

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  6. पवन कुमारAugust 20, 2023 at 4:50 PM

    अपने अतीत को याद करने का इससे अच्छी कविता और क्या हो सकती है। दिल यही कहता है की जाने कहां गए वो दिन🙏🙏🙏🙏🙏

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  7. Mashallah very beautiful and gorgeous picture of Rupa post vah neeli chittiyan all the best take care

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  8. उम्दा पंक्तियां
    हैप्पी संडे

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  9. Happy Sunday nice pic

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  10. अति सुन्दर अभिव्यक्ति 👌🏼

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  11. Waah! Lajwaab👌👌👌🏻👌🏻

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  12. Bahut sunder kavita.

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  13. Soooooo beautiful 😍
    Nice poem 👌👌
    Ab to koi chitthi likhta hi nahi hai...aajkal ke bachche to antardeshiy dekhe bhi nhi honge..

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  14. Waah kya baat hai rupa ji kya khub kaha nili chthiya ne 👌🏻👌🏻👌🏻

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  15. https://rupaaooskiekboond.blogspot.com/2023/08/blog-post_20.html?m=1
    🥰💌वो नीली चिट्ठियाँ💌🥰
    वो नीली चिट्ठियाँ-चिट्ठियाँ आसमानी
    जिनमें छुपा है किसी का बचपन तो
    किसी का बुढ़ापा-किसी की जवानी
    रिश्तों की जिनमें गर्माहट थी और थी
    थोड़ी बहुत शरारत और थोड़ी शैतानी
    वो चिट्ठियाँ जो दवा का काम करती थी
    कुछ चिट्ठियाँ दुआ का काम करती थी
    कुछ चिट्ठियाँ जीवन में जोश भरती थी
    कुछ चिट्ठियाँ तो हमें मदहोश करती थी
    कुछ चिट्ठियाँ घर की याद दिलाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ लौरी गाकर सुलाती थी
    कुछ ससुराल से बहना को बुलाती थी
    कुछ कलाईयों में राखियाँ सजाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ तो रंगों से रंग जाती थी
    कुछ दीपावली की याद दिलाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ जो बुलाती देश-परदेश
    कुछ चिट्ठियाँ दे जाती थी शोक-संदेश
    कुछ चिट्ठियाँ आंखों में आँसू लाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ हमें हौसला दिलाती थी
    अब वो पहले जैसा सुनहरा दौर कहाँ
    अब रिश्तों पर वैसा जबरा जोर कहाँ
    अब तो अपनी उंगलियाँ ही नापती है
    सुबह-दोपहर और गुजरते दिन-रात
    अब कहांँ होती है हमारे अपनों से
    पहले जैसे दिल खोलकर हर बात
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी 🙏

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  16. 🥰💌वो नीली चिट्ठियाँ💌🥰
    वो नीली चिट्ठियाँ-चिट्ठियाँ आसमानी
    जिनमें छुपा है किसी का बचपन तो
    किसी का बुढ़ापा-किसी की जवानी
    रिश्तों की जिनमें गर्माहट थी और थी
    थोड़ी बहुत शरारत और थोड़ी शैतानी
    वो चिट्ठियाँ जो दवा का काम करती थी
    कुछ चिट्ठियाँ दुआ का काम करती थी
    कुछ चिट्ठियाँ जीवन में जोश भरती थी
    कुछ चिट्ठियाँ तो हमें मदहोश करती थी
    कुछ चिट्ठियाँ घर की याद दिलाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ लौरी गाकर सुलाती थी
    कुछ ससुराल से बहना को बुलाती थी
    कुछ कलाईयों में राखियाँ सजाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ तो रंगों से रंग जाती थी
    कुछ दीपावली की याद दिलाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ जो बुलाती देश-परदेश
    कुछ चिट्ठियाँ दे जाती थी शोक-संदेश
    कुछ चिट्ठियाँ आंखों में आँसू लाती थी
    कुछ चिट्ठियाँ हमें हौसला दिलाती थी
    अब वो पहले जैसा सुनहरा दौर कहाँ
    अब रिश्तों पर वैसा जबरा जोर कहाँ
    अब तो अपनी उंगलियाँ ही नापती है
    सुबह-दोपहर और गुजरते दिन-रात
    अब कहांँ होती है हमारे अपनों से
    पहले जैसे दिल खोलकर हर बात
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी 🙏

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  17. चिट्ठी.. प्रीती वाहक ❣️🍃

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  18. बाते अगर सच्ची और साफ हो तो असर होना भी चाहिए
    अगर असर न हो तो वो इंसान जिंदा ही नही है।।

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